फील्ड गन निर्माणी, कानपुर

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फील्ड गन फैक्टरी कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से झाँसी की ओर जाने वाले कालपी रोड मार्ग पर 10 कि०मी० दूरी पर स्थित है। यह निर्माणी आयुध निर्माणियों के शस्त्र, वाहन एवं अभियंत्रण समूह की सबसे नई सदस्य है।

आवश्यकता[संपादित करें]

1965 के भारत-पाक युद्ध और 1971 के बांग्लादेश की स्वाधीनता के युद्ध के परिणामस्वरूप आयुध उत्पादन को दिए गए महत्व के परिप्रेक्ष्य में यह देखा गया था कि आयुध निर्माणी कानपुर पर इसकी क्षमता से ज्यादा कार्यभार था तब सरकार ने यह निर्णय लिया था कि एक नई निर्माणी स्थापित की जाए जो फील्ड गनों का उत्पादन करने में स्वत: समर्थ/ आत्मनिर्भर हो। इस फैक्टरी की संरचना निर्धारित करते समय यह दृष्टिकोण रखा गया था कि स्टील की अपेक्षित श्रेणी को तैयार करने से लेकर अन्तिम सज्जीकरण (फाइनल असेम्बली), परीक्षण (प्रूफ) और उसे जारी करने तक सम्पूर्ण उत्पादन कार्य इस निर्माणी में ही किया जाना चाहिए। भूमि का काफी बड़ा क्षेत्र उपलब्ध होने के कारण फील्ड गन फैक्टरी का विन्यास खाका काफी वैज्ञानिक रूप में तैयार किया गया था। सभी उत्पादन अनुभागों (शापों) को एक पंक्ति में उत्पादन की आरम्भिक प्रक्रिया से लेकर अंतिम प्रक्रिया के क्रम में स्थापित किया गया था।

इतिहास[संपादित करें]

आरम्भ[संपादित करें]

भारतीय आयुध निर्माणियों का इतिहास एवं विकास भारत में अंग्रेजी शासन काल से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। इंगलैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने आर्थिक लाभ एवं अपनी राजनीतिक शक्ति को बढाने हेतु सैन्य सामग्री को महत्वपूर्ण अवयव के रूप में स्थापित किया। सन् 1775 के दौरान ब्रिटिश प्राधिकारियों ने फोर्ट विलियम, कोलकाता में आयुध निर्माणी की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की। यह भारत में थलसेना आयुध के प्रारम्भ को दर्शाता है।

सन् 1787 में ईशापुर गन पाउडर फैक्टरी की स्थापना की गई एवं 1791 से इसका उत्पादन शुरू हुआ। (1904 में स्थापित की गई राइफल फैक्टरी) सन् 1801 में काशीपुर, कोलकाता में तोपगाड़ी एजेंसी (वर्तमान में तोप एवं गोला निर्माणी, काशीपुर के नाम से जानी जाती है) की स्थापना की गई एवं इसका उत्पादन 18 मार्च 1802 से होने लगा। यह आयुध निर्माणियों की प्रथम औद्योगिक स्थापना थी जो अपने अस्तित्व को आज की तिथि तक कायम रखे हुए है।

भारतीय आयुध निर्माणियों का विकास

अपनी वर्तमान प्रतिष्ठा में अग्रसर आयुध निर्माणियाँ निरंतर परंतु अत्यंत तीव्र गति से विकास कर रही है। भारत में 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कुल 18 आयुध निर्माणियाँ थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत 21 निमाणियों की स्थापना की गई, अधिकांशत: भारतीय सशस्त्र बलों के द्वारा तीन प्रधान युध्द लड़ने के परिणामस्वरूप की गई। बिहार के नालंदा में 40 वीं फैक्टरी निर्माणाधीन है।

मुख्य घटनाएं[संपादित करें]

आयुध निर्माणियों के विकासक्रम की मुख्य घटनाएं निम्न रूप में सूचीबध्द की जा सकती है:

  • 1801 - काशीपुर, कोलकाता में गन कैरिज एजेंसी की स्थापना।
  • 1802 - 18 मार्च 1802 से काशीपुर में उत्पादन की शुरूआत।
  • 1906 - भारतीय आयुध निर्माणियों को प्रशासन का दायित्व " आई जी आयुध निर्माणियों " के अधीन आ गया।
  • 1933 - " निदेशक, आयुध निर्माणियाँ " को प्रभार प्रदान किया गया।
  • 1948 - रक्षा मंत्रालय के सीघे नियंत्रण के अधीन।
  • 1962 - रक्षा मंत्रालय में रक्षा उत्पादन विभाग की स्थापना की गई।
  • 1979 - दिनांक 2 अप्रैल से आयुध निर्माणी बोर्ड अस्त्तित्व में आया।

निर्माणी[संपादित करें]

निर्माणी का विस्तार 104.1 हेक्टेयर क्षेत्र में है। जिसमें से केवल 40.40 हेक्टेयर क्षेत्र ही प्रयोग में है। इस औद्यौगिक नगर में पूर्णत: अनुकूल स्थितियों में उपलब्ध 53.16 हेक्टेयर क्षेत्र का अभी लाभप्रद उपयोग किया जाना है।

निर्माणी की आधारभूत संरचना बहुत ही वैज्ञानिक रूप में तैयार की गई है और भविष्य में निर्माणी के विस्तार को ध्यान में रखते हुए इसमें औद्योगिक/ वाणिज्यिक भवन और विद्युत आपूर्ति, जल आपूर्ति, वाहित मल, वातानुकूलन, जल निकासी व्यवस्था, संपीडित वायु आपूर्ति आदि सेवाओं की पूर्ण व्यवस्था की गई है।

धातु कर्मीय एवं अभियांत्रिकी दोनों श्रेणी में नवीनतम प्रौद्योगिकी वाली उत्पादन सुविधांए उपलब्ध हैं।

क्षमता[संपादित करें]

फील्ड गन फैक्टरी कानपुर के पास अपने नाम के अनुरूप देश की रक्षा आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार की फील्ड गनों का उत्पादन करने की अद्वितीय क्षमता है। यह निर्माणी गलाई (मेल्टिंग), गढ़ाई (फोर्जिग) से लेकर गुणवत्ता में उत्कृष्टता की उच्चतम सीमा तक की गई अंतिम मशीनिंग कार्य के लिए सभी प्रकार के अत्याधुनिक और परिष्कृत उत्पादन संसाधन उपकरणों से सुसज्जित है।

अपने विविध उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत निर्माणी ने उत्पादों की श्रृंखला में वृद्वि की है और सरकार के असैनिक बाजार तथा निजी क्षेत्र की माँगों के साथ-साथ व्यक्तिगत शस्त्रों की आवश्कताओं की पूर्ति भी निर्माणी द्वारा की जा रही है।

उच्चतम अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता-पूर्ण उत्पादन करना निर्माणी की नीति है और यह इस तथ्य से स्वयं सिद्ध होता है कि निर्माणी में उत्पादन गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रबंधन प्रक्रिया मानक (आईएसओ 9001:2000) अपनाए गए हैं। उत्पादन गतिविधियों में प्रयुक्त होने वाले समस्त मापक यंत्र एवं उपकरणों का अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अंशशोधन सुनिश्चित करने के लिए निर्माणी में एक एनएबीएल प्रत्यायित प्रयोगशाला भी है।

सुविधाएं[संपादित करें]

फील्ड गन फैक्टरी कानपुर के पास अपने नामे के अनुरूप देश की रक्षा आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार की फील्ड गनों का उत्पादन करने की अद्वितीय क्षमता है तथा निर्माणी के पास मेल्टिंग, फोर्जिग से लेकर फिनिश मशीनिंग तक गुणवत्ता में उत्कृष्टता की उच्चतम सीमा वाले सभी प्रकार के अत्याधुनिक और परिष्कृत उत्पादन संसाधन उपकरणों की अच्छी व्यवस्था है।

अभियांत्रिकी क्षेत्र अपने आप में अद्वितीय है। यह क्षेत्र 'रफ मशीनिंग' से लेकर अंतिम (फिनिश) मशीनिंग तक किसी भी चुनौतीपूर्ण कार्य को कुशलतापूर्वक कर सकता है। इसके पास विशिष्ट उद्देश्यपूर्ण मशीनें यथा-डीप होल बोरिंग मशीन, राइफलिंग मशीन, हैवी ड्यूटी लैंथ और मशीनिंग सेन्टर्स के साथ-साथ एनसी एवं सीएनसी मशीनें हैं। अंतरपरिवर्तनीयता, प्रक्रियात्मकता, टिकाऊपन और संरक्षा से समझौता किए बिना यह क्षेत्र ग्राहक की आवश्यकताओं को समझने और उन्हें सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्यत: आवश्यक परिशुद्ध गेजों का उत्पादन करने वाले उपकरणों से पूर्णत: सुसज्जित है।

फील्ड गन फैक्टरी पूरे विश्वास के साथ गर्व का अनुभव करती है कि हम चतुर्दिक गुणवत्तोन्मुख प्रयासों के द्वारा पूर्णतया दोषमुक्त उत्पादन करने में सक्षम हैं।