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फ़तेह करण चारण

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फ़तेह करण चारण राजस्थान से एक क्रांतिकारी और कवि थे । उन्होंने ब्रिटिश भारत के मेवाड़ रियासत क्षेत्र में बिजोलिया किसान आंदोलन का प्रारंभिक चरण में नेतृत्व किया। [1]

बिजोलिया आंदोलन

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बिजोलिया मेवाड़ राज्य में एक जागीर थी, इसमें किसानों की एक बड़ी आबादी थी जो कई करों (कुल 84 प्रकार) के बोझ से दबे हुए थे और उनके बीच जागीर के सामंती स्वामी के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया था। 1906 में, पृथ्वी सिंह के बिजोलिया के ठाकुर बनने पर, मेवाड़ के महाराणा को दिए गए 'तलवार-बंधी' कर को पूरा करने के लिए करों को बढ़ा दिया। जल्द ही करों में वृद्धि के खिलाफ एक आंदोलन शुरू हुआ और आस-पास के इलाकों में फैल गया। [1]

1913 में, फ़तेह करण चारण के नेतृत्व में, लगभग 15,000 किसानों ने 'नो टैक्स' अभियान शुरू किया, जिसके तहत उन्होंने बीजोलिया की भूमि को बंजर छोड़ने और इसके बजाय बूंदी, ग्वालियर और मेवाड़ राज्यों के पड़ोसी क्षेत्रों में किराए के भूखंडों पर खेती करने का फैसला किया। इसके परिणामस्वरूप पूरे बिजोलिया में कृषि भूमि असिंचित रह गई और खाद्य सामग्री की कमी के अलावा जागीर के राजस्व में भारी गिरावट आई। [1][2]

एक कवि के रूप में

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फ़तेह करण चारण ने मुंसरीम, पुलिस, राज्य के अधिवक्ताओं और थानेदार (इंस्पेक्टर) सहित अधिकारियों के द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ निंदा करते हुए कवित्त भी रचे और उनके चरित्र पर सवाल उठाए। [3]

आंदोलन का दमन

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अधिकारियों ने दमनकारी नीति का सहारा लिया और महाराणा ने किसानों के उदय को देखते हुए, बिजोलिया के ठाकुर का पक्ष लिया। किसान आंदोलन में उनकी भूमिका के कारण, फ़तेह करण चारण से उनकी जागीर (सामंती-अनुदान) छीन ली गई और उन्हें मेवाड़ से निर्वासित कर दिया गया। [4]

अगला चरण

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1915 में, फ़तेह करण चारण , ब्रह्म देव और साधु सीताराम दास के साथ, चित्तौड़ में विजय सिंह पथिक (उर्फ भूप सिंह) से मिले और उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखने और जागीरदारों की क्रूरता के खिलाफ आंदोलन पुनः शुरू करने का फैसला लिया। [5]

  1. Hooja, Rima (2006). A History of Rajasthan (अंग्रेज़ी भाषा में). Rupa & Company. ISBN 978-81-291-0890-6. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; ":0" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  2. SINGH, AMIT (2018-08-19). RAJASTHAN POLICE CONSTABLE BHARTI PARIKSHA-2019-Competitive Exam Book 2021. Prabhat Prakashan. ISBN 978-93-5322-612-1.
  3. Surana, Pushpendra (1983). Social Movements and Social Structure: A Study in the Princely State of Mewar (अंग्रेज़ी भाषा में). Manohar. ISBN 978-0-8364-1003-7.
  4. Pande, Ram (1974). Agrarian Movement in Rajasthan (अंग्रेज़ी भाषा में). University Publishers (India).
  5. The Journal of Sociological Studies (अंग्रेज़ी भाषा में). Department of Sociology, University of Jodhpur. 1986.