प्रॉक्सी सर्वर

प्रॉक्सी सर्वर कंप्यूटर नेटवर्किंग में एक ऐसा सर्वर होता है जो एक मध्यस्थ या बिचौलिए की तरह काम करता है। मतलब यह क्लाइंट (उपयोगकर्ता) और सर्वर के बीच में होता है।[1]
जब क्लाइंट (कंप्यूटर या मोबाइल) किसी वेबसाइट या फाइल की मांग करता है, तो वह सीधा उस सर्वर से न जुड़कर प्रॉक्सी सर्वर से जुड़ता है। इसके बाद प्रॉक्सी सर्वर असली सर्वर से कनैक्शन स्थापित करके क्लाइंट को वैबसाइट या फ़ाइल भेजता है।
इसका फायदा यह होता है कि क्लाइंट की पहचान छिपी रहती है (गोपनीयता बढ़ती है), कुछ हद तक सुरक्षा मिलती है, और कभी-कभी स्पीड या परफॉर्मेंस में भी अच्छा सुधार आता है।
प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल बड़े सिस्टमों को बेहतर ढंग से संभालने के लिए किया जाता है, ताकि चीजों को ज्यादा व्यवस्थित और आसान बनाया जा सके। यह क्लाइंट की तरफ से काम करता है और सर्वर को यह पता नहीं चलता कि अनुरोध (request) कहां से आया है।[2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Luotonen, Ari; Altis, Kevin (April 1994). "World-Wide Web Proxies" (PDF). 9 October 2016 को मूल से पुरालेखित (PDF).
- ↑ Shapiro, Marc (May 1986). "Structure and Encapsulation in Distributed Systems: the Proxy Principle". 6th International Conference on Distributed Computing Systems. Cambridge, MA, USA. pp. 198–204. inria-00444651. https://hal.inria.fr/inria-00444651/document. अभिगमन तिथि: 26 December 2018.