प्रेरणा के प्रबंधन के सिद्धांतों

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

प्रेरणा के प्रबंधन के सिद्धांतों[संपादित करें]

प्रेरणा के प्रबंधन के सिद्धांतों[संपादित करें]

प्रेरणा में प्रब्ंधन[संपादित करें]

अंतरिक और बाह्य कारकों जो लोगों में इच्छा और ऊर्जा को प्रोहितसाहित लगातार एक नौकरी ,भूमिका या विषय के लिए दिलचस्पी और प्रतिब्ध हो सकता है,या एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए।इस प्रकार के इच्छा या ज़रुरत की तीव्रता व्यक्ति की है और उसके साथियों की अपेक्षाओं के रूप में दोनों सचेत और बेल कारकों की बातचीत से प्रेरणा का परिणाम है।यह कारणों के वझ से एक कर्मचारी एक तरह कि व्यवहार प्रस्तुत करता है। प्रेरणा वह विशेश्ता हे जो आपको अपकी लक्ष्य तक पहुचाते है।वह एक बल हे जो अपको बहुत मेह्नत करने के लिए प्रेरणा देती है।

प्रेरणा के सिद्धांतों[संपादित करें]

प्रेरणाहीन कर्मचारीयों के साथ व्यापार अकसर कम उत्पादकता और उच कारओबार के सामना।अनेक सिद्धांतों यह सूचित करता है कैसे श्रमिकों को प्रेरित कारते है और कैसे कार्यस्थल में प्रेरणा को बढ़ाने के लिए सुझाव प्रदान करते है।कौन्सा सिध्दांत किस कर्मचारी को उपयुक्त है यह समझना कर्मचारी प्रतिधारण दरों और कर्माचरी उत्पादक्ता दवारा अपनी छोटी व्यापार के लिए मदद कर सकते है।

प्रेरणा सिद्धांतों के वर्गीकरण[संपादित करें]

प्रेरणा के सिद्धांतों को दो अलग दॄष्टिकोण के तौर पर वर्गित किया जा सकता है सामग्री और प्रक्रिया सिद्धांतों। सामग्री सिद्धांतों में लोगों को क्या प्रेरित करता है और व्यक्तिगत ज़ररूत और लक्ष्यों के बारे में सूचित करता है। प्रक्रिया सिद्धांतों में प्रेरणा कैसे होती हे और प्रेरणा की प्रक्रिया कैसे है। एक बार एक निचले स्तर की जरूरत संतुष्ट है, यह अब प्रेरणा का एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। आवश्यकताओं प्रेरकों होती है जब वे असंतुष्ट होते हैं।

सामग्री प्रेरण के बारे में सिद्धांत[संपादित करें]

मास्लो के अवश्यकताओं के पदानुक्रम्

इब्राहीम मास्लो आवश्यकताओं के पदानुक्रम[संपादित करें]

इस सिद्धांत के अनुसार जब मनुष्य कम ज़रुरत् पूरा करता है तब वह उच्च ज़रूरत के तलाश करने के प्रयास में होते है।

प्रथम स्तर में, शारीरिक आवश्यकताओं जैसे हवा, पानी और भोजन के रूप में जो मनुष्य को जीवित रकने के लिए सबसे बुनियादी जरूरतों में शामिल हैं। दूसरे स्तर में, सुरक्षा जरूरतों मौजूद हैं जो व्यक्तिगत सुरक्षा, स्वास्थ्य, भलाई और सुरक्षा ज़रुरत के लिए उपस्थित है। तीसरे स्तर में, जहां लोगों को अपनेपन और स्वीकृति की भावना महसूस करने की जरूरत है। यह रिश्ते, परिवार और दोस्ती के बारे में है। संगठनों लोगों के लिए इस जरूरत को पूरा करते हैं। चौथे स्तर में, आत्म सम्मान की जरूरत रहते हैं। लोगों को लग रहा है सम्मान किया जाना और आत्म-सम्मान मनुष्य के लिए एक बहुत बडी ज़रुरत है। उपलब्धि की जरूरत है, दूसरों के सम्मान इस स्तर में आते हैं। शीर्ष-स्तर में, आत्म-विकास के लिए मौजूद हैं। जरूरत के इस स्तर व्यक्ति की पूरी क्षमता को साकार करने के लिए संबंधित है।

अल्डरफर इ र ज सिद्धांत्

अल्ड्ररफर् इ र ज सिद्धांत[संपादित करें]

सन १९६९ में क्लेटन् पी अल्ड्ररफर ने मास्लो के सिद्धांत को तीन श्रेणीयों में वर्गित करते हूए सरल बनाया।शारीरिक ज़रूरत और् सुरक्षा ज़रूरत को अस्तित्व ज़रूरत के साथ विल्य कर दिया।सबंधित ज़रुरत को स्ंब्ंद्धता के नाम पर बदल दिया।आत्मसम्मान और आत्म-विकास की जरूरत को विकास की जरूरत के साथ् विलय कर दिया।

हर्ज़ब्र्ग के दो कारक सिद्धांत्

हर्ज़बर्ग के दो कारक सिद्धांत[संपादित करें]

१९५९ हर्ज़बर्ग ने इस दो कारक सिद्धांत को शुरू किया। उन्होंने सुझाव दिया की दो प्रकार के कारकों प्रेरण को प्राभावित करते है और वे अलग अलग तरीकों से करते है, स्वछता कारकों

स्व्छता कारकों क्की एक श्र्ंखला व्यक्तियों में अस्ंतुष्टता लाती है जब वह उन्हें अपर्याप्त और अन्यायी के रूप में दिखती है। स्वच्छता कारकों बाह्य कारकों होती है जैसे कि वेतन या पारिश्रमिक, नौकरी की सुरक्षा और काम की परिस्थितियों के रूप में कारकों में शामिल हैं।

प्रेरणात्म्क कारकों वह आंतरिक कारक है जैसे कि वे ऐसी उपलब्धि है, मान्यता, जिम्मेदारी, और व्यक्तिगत विकास की भावना।

हर्ज़बर्ग सिद्धांत संतुष्टि सिद्धांत के साथ दावा करता है कि एक संतुष्ट कर्मचारी एक ही संगठन में काम करने के लिए जाता है, लेकिन इस संतुष्टि हमेशा बेहतर प्रदर्शन में परिणाम नहीं करता है"। दूसरे शब्दों में, संतुष्ट्ता उत्पादकता के साथ संबंध स्थापित नहीं करता।

मेकलेन्ड सिद्धांत्

मेकलेन्ड उपल्बधि अविश्यकता सिद्धांत्[संपादित करें]

अपने १९६१ के हासिल करने सोसयटी नामक किताब मैं मनुष्य के तीन बुनियादी ज़रुरतों को जो वह अपने जीवन के अनुभ्वों से विकसित और प्राप्त करते है एस के बारे मे कहा है।

उपल्बधि के लिए ज़रूरत कुछ् व्यक्ति उपल्बधि के लिए उच्च ज़रुरत और चाहत रखता है और चुनौतीपूर्ण लक्ष्यों को पाने की कोशिश करता है। उपल्बधि , प्रगति ,उपल्बधि भावना के रूप मे प्रतिक्रिया एक मज़बूत ज़रुरत है।जो व्यक्ति एक उच्च उपलब्धि की जरूरत है व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने के लिए पसंद करती है।

स्ंब्ध्ंता के लिए ज़रुरत कुछ् व्यक्ति संबद्धता के लिए एक उच्च जरूरत रखता है, लोगों के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्तें की जरूरत और अन्य लोगों द्वारा स्वीकार किया जाना चाह्ता है। (से कार्य उन्मुख नहीं बल्कि लोगों को उन्मुख)।

सत्ता के लिए ज़रूरत कुछ् व्यक्ति सत्ता के लिए प्रत्यक्ष और दूसरों पर अदेश करना चाहता है।अधिकांश प्रब्ंधकों उच्च सत्त कि ज़रूरत रखते है।उद्यमियों आमतौर पर उपल्बधि जरूरतों पर ज़्यादा ध्यान देते है। प्रोत्साहन थ्योरी

प्रोत्साहन सिद्धांत के प्रकार एक् कर्मचारी एक वांछित इनाम को प्राप्त करने के लिए अपने प्रयास बदाते है। इस सुदृढीकरण के सामान्य सिद्धांत पर आधारित है। वांछित परिणाम आमतौर पर "पैसा" है। यह सिद्धांत् आर्थिक सिद्धांतों पर आधारित है जहां आदमी तर्कसंगत माना जाता है और पूर्वानुमान "आर्थिक आदमी" के सिद्धांत पर आधारित हैं।

प्रेरणा के बारे में प्रक्रिया सिद्धांतों[संपादित करें]

प्रत्याशा सिद्धांत[संपादित करें]

प्रत्याशा सिद्धांत के अनसार मनुष्य अपने होश में उम्मीद रखता है कि विशेष व्यवहार विशिष्ट वांछनीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है। विक्टर एच व्रूम ने १९६४ में इस प्रत्याशा सिद्धांत को विकासित किया।यह एक कार्यस्थल प्रेरणा का एक व्यवस्थित व्याख्यात्मक सिद्धांत है।इस सिद्धांत के अनुसार एक खास तरह के व्यवहार् प्रकट क्ररने के लिए जो प्रेरणा वह मनुष्य के जो उम्मीद होता है कि वह व्यवहार एक विशेष परिणाम देगा उसी से आता है।

प्रत्याशा सिद्धांत के तीन घटक हैं: प्रत्याशा: ई -> पी व्यक्ति है कि उसे / अपने प्रयास (ई) वांछित प्रदर्शन (पी) के लक्ष्यों की प्राप्ति में परिणाम होगा की धारणा। साधन: पी -> आर व्यक्ति है कि वह / वह एक इनाम (आर) अगर प्रदर्शन (पी) उम्मीद से पूरा किया जाता है प्राप्त होगा की धारणा। वैलेंस: व्यक्ति के हिसाब से इनाम के मूल्य। (उदाहरण के लिए व्यक्ति को आकर्षक इनाम है?)

इस स्मीकरण से पता चलता है कि मानव व्यवहार व्यक्तिपरक स्ंभावना दवारा निर्देशित है।

लक्षय सिद्धांत[संपादित करें]

लक्षय सिद्धांत्
एडविन लोके ने १९६८ में लक्षय सिद्धांत का प्रसताव किया।यह सिद्धांत प्रस्तावित करता है कि जब व्यक्तियों को चुनौतीदार लक्षय दिए हुए हें लेकिन स्वीकार किए जाते हैं, और जहां प्रतिक्रिया के प्रदर्शन पर दिया जाता तब उनकी प्रेरणा और प्रदार्शन उच्च किया जाएगा।

इस सिद्धांत के दो महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष है: विशिष्ट लक्षयों कि स्थापना सामान्य लक्षयों कि स्थापना से उच्च प्रदर्शन का उत्पन्न करता है। कठिन लक्षय् को प्राप्त करने के लिए जो मेहनत है वह सीधा सकारात्मक प्रदर्शन से जुड़े हैं।जब लक्षय कठिन होता है तब उसको पाने के लिए ज़्यादा करना होता है।

इक्विटी सिद्धांत[संपादित करें]

जॉन स्टेसी एडम्स क तर्क है कि कर्माचारियों को प्रेरणा तब मिलती है जब कार्यस्थल में उनको अच्छा व्यवहार मिलता है अगर इसका विपारीत हुअ तो वह बिना प्रेरणा के रह्ते है। एक स्ंगटन के रूप में यह काम वह करता है जब क्रर्मचारियों को अपने काम के लिए मान्यता देता है या कर्मचारियों को अग्रिम या बोनस और अन्य पुरस्कार अर्जित क्ररने का एक अभ्यास रखते है। जिन प्रब्ंध्ंकों अपनी पस्ंदीदा क्रर्मचारियों को ज़्यादा मान्य्ता देने खोशीश करता है उनको एक प्रेरणाहीन कर्मचारियों का सामना करना पड़ेगा।

संदर्भ[संपादित करें]

[1] [2]

  1. http://management/management-theories/theories-about-motivation/[मृत कड़ियाँ]
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 नवंबर 2016.