प्राक्षेपिक अभिघात
प्राक्षेपिक अभिघात (बैलिस्टिक ट्रौमा) या बंदूक की गोली के घाव (GSW), शारीरिक आघात का एक रूप है जो की हथियारों के लगने से होता है। बैलिस्टिक आघात, घातक साबित होता है और लंबी अवधि के परिणामों का कारण भी बन सकता है।[1] ऊतक व्यवधान की डिग्री का नष्ट होना बंदूक से निकली प्रोजेकटाईल स्थायी गुहा बनाम और अस्थायी गुहा बनाम के आकार पर निर्भर करता है।[2] गुहिकायन की हद प्रोजेकटाईल की निम्न विशेषताओं पर निर्भर करता है:
- गतिज ऊर्जा: KE = mv2/2 जहां m मास है और वी वेग है। यह गतिजन्य ऊर्जा, उच्च द्रव्यमान और उच्च वेग की मिसाइलों द्वारा उत्पादित घाव के द्रव्यमान और घाव से मिसाइलों का वेग बताने में मदद करता है।[3]
- डीफॉरमेशन
- फ्रेगमेनटेशन
बंदूक की गोली लगने के तुरंत बाद आम तौर पर गंभीर खून बहता है और इसके साथ-साथ हाइपोवेलमिक सदमे की स्थिति भी उत्पन्न होती है। हाइपोवेलमिक स्थिति वह स्थिति है जिसमे महत्वपूर्ण अंगों को ऑक्सीजन की अपर्याप्त वितरण प्राप्त होती है। यह इसलिए होता है क्यूंकि बंदूक से आघात होने से बहुत खून बहता है और इसी कारण ऑक्सीजन नहीं मिल पति विशेष अंगो को। विनाशकारी प्रभाव तब होते है जब गोली महतवपूर्ण अंगो को लगती है जैसे दिल, फेफड़े, रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क की केंद्रीय तंत्रिका के तंत्र को नुकसान पहुंचता है। बंदूक की गोली की चोट के बाद मौत के आम कारणों में शामिल हाइपोक्सीया, दिल और मस्तिष्क पर लगी चोंटे अत्यधिक हानिकारक होती है। बंदूक की गोली के घाव आमतौर पर एक बड़ी डिग्री में शारीरिक और ऊतक विघटन के विनाश का कारण होते हैं। बैलिस्टिक आघात बहुत से प्रकार के हो सकते है क्यूंकि गोली भिन्न-भिन्न अंगो पर लगती है। गैर-घातक बंदूक की गोली के घाव अक्सर बहुत लम्बा और गहरा असर छोड़ते है शरीर के अंग पर, कभी-कभी तो उम्रभर वह अंग आपहिज भी हो जाता है। बंदूक की गोलियों का आघात शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर अलग होता है क्यूंकि हर हिस्से में बंदूक की गोली के प्रवेश और निकलने का स्थान अलग होता है। गोलियों का शारीर में घुसने का मार्ग और उनका विखंडन होना भी अप्रत्याशित होता है। बंदूक की गोली की चोटों में गोलियों की गतिशीलता का अध्ययन करने के विज्ञानं को प्राक्षेपिकी कहा जाता है।[4]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Mahoney, P. F., et al. (2004). Section 1 : Introduction, Background and Science p4
- ↑ Mahoney, P. F., et al. (2004). The International Small Arms Situation p6
- ↑ Charles E. Sajous, ed. (1890). Annual of the Universal Medical Sciences And Analytical Index 1888-1896. 3. Philadelphia: F.A. Davis Company
- ↑ Wound Ballistic Research of the Past Twenty Years: A Giant Step Backwards Jump up ^ "My story -the leg wounds".