प्रवेशद्वार:सिख धर्म/Intro

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on मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
सिख धर्म विश्व का पाँचवां संगठित धर्म है

खंडा
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सिख धर्म (IPA: ['siːkɪz(ə)m] या ['sɪk-] ; पंजाबी: ਸਿੱਖੀ, sikkhī, IPA: ['sɪk.kʰiː] ) पंद्रहवीं शताब्दी में उपजा और सत्रहवीं शताब्दी में धर्म रूप में परिवर्तित हुआ था. यह उत्तर भारत (तथा वर्तमान पाकिस्तान) में पंजाब राज्य में जन्मा था. इसके प्रथम गुरु थे गुरु नानक देव जी, और फ़िर बाद में नौ और गुरु हुए. सिख धर्म: सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, पर उसके पास जाने के लिये दस गुरुओं की सहायता को महत्त्वपूर्ण समझते हैं । इनका धर्मग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब है । अधिकांश सिख पंजाब (भारत) में रहते हैं । सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं । उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है । सिख शब्द संस्कृत शब्द शिष्य से निकला है, जिसका अर्थ है शिष्य या अनुयायी. [1][2] सिख धर्म विश्व का नौवां बड्क्षा धर्म है। इसे पाँचवां संगठित धर्म भी माना जाता है। [3]

गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया। गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पहला प्रकाश 16 अगस्त 1604 को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु तेगबहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया, इसमे कुल 1430 पृष्ठ है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. सिंह, खुशवंत (2006). द इलस्ट्रेटेड हिस्ट्री आफ् सिख्स्. भारत: ऑक्स्फोर्ड विश्वविद्यालय मुद्रण. पृ॰ 15. ISBN 0-195-67747-1.
  2. (पंजाबी) नाभा, कहान सिंह (1930). गुर शबद रत्नाकर - महान कोष/ਗੁਰ ਸ਼ਬਦ ਰਤਨਾਕਰ ਮਹਾਨ ਕੋਸ਼ (पंजाबी में). पृ॰ 720. अभिगमन तिथि 2006-05-29.
  3. Adherents.com. "Religions by adherents" (PHP). अभिगमन तिथि 2007-02-09.