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चित्र:Gond stamp.jpg

गोंड (जनजाति), भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं । आदिवासी गोंड का इतिहास उतना ही पुराना है जितना इस पृथ्वी -ग्रह पर मनुष्य, परन्तु लिखित इतिहास के प्रमाण के अभाव में खोज का विषय है। यहाँ गोंड जनजाति के प्राचीन निवास के क्षेत्र में आदि के शाक्ष्य उपलब्ध है। गोंड समुदाय द्रविढ़वर्ग के माने जाते है, जिनमे जाती व्यस्था नही थी। गहरे रंग के ये लोग इस देश में कोई ५-६ हजार वर्ष पूर्व से निवासरत है। एक प्रमाण के आधार पर कहा जा सकता है की गोंड जाती का सम्बन्ध सिन्धु घटी की सभ्यता से भी रहा है। गोंडी धर्मं की स्थापना पारी कुपार लिंगो ने शम्भूशेक के युग में की थी। गोंडी धर्मं कथाकारों के अनुसार शम्भूशेक अर्थात महादेवजी का युग देश में आर्यों के आगमन से पहले हुआ था। इस काल से ही कोया पुनेम धर्मं का प्रचार हुआ था। गोंडी बोली में कोया का अर्थ मानव तथा पुनेम का अर्थ धर्मं अर्थात मानव धर्मं। आज से हजारों वर्ष पूर्व से गोंड जनजातियों द्वारा मानव धर्मं का पालन किया जा रहा है। अर्थात गोंडी संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बक।