प्रयत्न (संस्था)

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प्रयत्न का उद्देश्य[संपादित करें]

प्रयत्न खुद को खोजने और अपने जीवन को सार्थक दिशा देने की एक कोशिश है। प्रयत्न के संचालकों का यह दृढ़तापूर्वक मानना है कि सामूहिक चेतना का विकास किए बगैर इस उद्देश्य को हासिल नहीं किया जा सकता है। इसलिए प्रयत्न में हम व्यक्ति से व्यक्ति, व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र को जोड़ते हुए स्वयं की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

प्रयत्न के संचालक[संपादित करें]

प्रयत्न के संचालक प्रयत्न के भीतर कोई विशिष्ट वर्ग नहीं हैं। प्रयत्न में हम बूंद की ताकत में यकीन करते हैं। प्रयत्न के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी इच्छा शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार योगदान करने वाले सभी लोगों की प्रयत्न में समान रूप से भागीदारी है, सभी प्रयत्न के संचालक हैं।

आधार वाक्य[संपादित करें]

एकोऽहम द्वितीयोनास्ति हम सभी एक हैं। कोई भी दूसरा या पराया नहीं है। सभी के लिए शुद्ध सात्विक और समर्पित प्रेम ही हमारे कार्य का आधार होगा।

ध्येय वाक्य[संपादित करें]

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत।। सभी सुखी हों। सभी निरोग हों। सभी अच्छा देखें। किसी को किसी तरह का दुःख न हो।

प्रयत्न की वृहद कार्ययोजना[संपादित करें]

प्रयत्न की वृहद कार्ययोजना के केंद्र में छात्र होंगे, जिन्हें भविष्य की इबारत लिखनी है। पुस्तकालय हमारे पावरहाउस होंगे। जहां नवयुवक रूपी ऊर्जाशक्ति का विकास होगा। इस ऊर्जाशक्ति के माध्यम से हम समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में काम करेंगे।

पुस्तकालय[संपादित करें]

पहले चरणा के तहत प्रयत्न उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ११ पुस्तकालयों की शुरूआत करेगा। ये पुस्तकालय पांच साल के बच्चे से लेकर उनके दादा जी तक के लिए होंगे। लेकिन, पुस्तकालय में तरूणों और युवाऒं पर विशेष फोकस होगा। पुस्तकालय युवाऒं से बातें करेगा। उनके लिए यहां विशेष कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे। कोशिश होगी कि ये युवा स्वयं की उन्नति करते हुए राष्ट्र के उत्थान में सहायक बनें।

शुक्लागंज परियोजना[संपादित करें]

शुक्लागंज परियोजना दरअसल प्रयत्न में हम जैसा सोचते हैं उसकी भौतिक अभिव्यक्ति है। शुक्लागंज परियोजना उत्तर प्रदेश के दो सबसे बड़े महानगर लखनऊ और कानपुर के बीच स्थित एक पिछड़े जिले उन्नाव का एक कस्बा है। शुक्लागंज परियोजना के तीन प्रमुख हिस्से हैं- (१) नामवर सिंह पुस्तकालय, (२) शुक्लागंज एजुकेशन सेंटर और (३) जन्मोत्सव।

नामवर सिंह पुस्तकालय[संपादित करें]

आज के दौर में हिन्दी के सर्वाधिक प्रतिष्ठित आलोचक श्री नामवर सिंह के नाम को आधार बनाकर हमने ५ जुलाई २००९ को शुक्लागंज में अपने पहले पुस्तकालय की स्थापना की। आज दो महीने से भी कम समय में इस पुस्तकालय की सदस्यता बढ़कर २०० के आंकड़े को लांघ चुकी है और पुस्तकालय में प्रतिदिन करीब ७० पाठक आते हैं। पुस्तकों को चार वर्गों में बांटा गया है- (१) बच्चों की पुस्तकें, (२) साहित्य, (३) अकादमिक पुस्तकें और (४) धार्मिक साहित्य। पुस्तकालय में इस समय करीब १८०० पुस्तकें हैं। इसके अलावा ६ समाचार पत्र और २४ पत्रिकाएं नियमित रूप से मंगाई जाती हैं। पुस्तकालय में पाठकों के ऊपर अपनी पसंद की पुस्तकें थोपी नहीं जाती हैं। सदस्यों से नियमित रूप से पूछा जाता है कि वे किस तरह की पुस्तकें यहां देखना पसंद करेंगे। हमारी कोशिश है कि इन पुस्तकों को जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए। जल्द ही स्थानीय प्रबुद्ध नागरिकों को शामिल कर एक मार्गदर्शक मंडल और पुस्तकालय के सक्रिय सदस्यों को शामिल कर एक कार्यपालक मंडल का गठन किया जाएगा। मार्गदर्शक मंडल की सलाह के आधार पर कार्यपालक मंडल पुस्तकालय संबंधी रोजमर्रे के फैसले करेगा।

शुक्लागंज एजुकेशन सेंटर[संपादित करें]

जैसा कि आपको पता है पुस्तकालय में तरुणों और युवाऒं के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों का क्रियान्वयन शुक्लागंज एजुकेशन सेंटर के माध्यम से किया जा रहा है। एजुकेशन सेंटर में प्रत्येक शनिवार को व्यक्तित्व निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। इन कार्यशालाऒं में कैरियर काउंसिलिंग, समसामयिक ज्ञान और आरटीआई जैसे जागरुकता अभियान शामिल हैं। इसके अलावा सुपर ४० नाम से कक्षा १० के ४० छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। एजुकेशन सेंटर के सभी कार्यक्रम पूरी तरह से निःशुल्क हैं।

जन्मोत्सव[संपादित करें]

हम सभी अपने तथा अपने परिजनों के जन्मदिन की खुशियां मनाते हैं। थोड़ा बहुत खर्च भी करते हैं। प्रयत्न आपसे आग्रह करता है कि ऐसे अवसरों पर ज्ञान दीप जलाएं, कुछ जरुरतमंद छात्रों की शिक्षा का प्रबंध करें। जन्मोत्सव के तहत स्थानीय विद्यालयों में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिता के तहत जिस व्यक्ति का जन्मदिन मनाया जा रहा है, छात्रों से उनके लिए एक बधाई पत्र तैयार करने के लिए कहा जाता है। सबसे अच्छा बधाई पत्र बनाने वाले छात्र को छात्रवृत्ति दी जाती है जबकि इन बधाई पत्रों को आकर्षक रूप देकर जन्मदिन के दिन आपके स्नेही स्वजनों को भेंट किया जाता है। आप ऐसी छात्रवृत्तियों को प्रायोजित कर ज्ञान की ज्योति का प्रसार कर सकते हैं।