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प्रतिज्ञप्ति

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दर्शनशास्त्रतर्कशास्त्र में प्रतिज्ञप्ति (proposition) या प्रकथन ऐसा वाक्य या कथन होता है जो या तो सत्य हो या फिर असत्य हो। यह आवश्यक नहीं है कि हमें यह ज्ञात हो कि प्रतिज्ञप्ति सत्य है या असत्य।[1] उदाहरण के लिए "पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन है।" यह प्रतिज्ञप्ति या तो पूर्ण रूप से सत्य है या फिर असत्य है, हालांकि हम नहीं जानते कि सत्य-असत्य के इन दो विकल्पों में से वास्तविकता कौन-सी है। "भारत को स्वतंत्रता सन् 1948 में मिली थी" भी एक प्रतिज्ञप्ति जो या तो सत्य हो सकती है या असत्य। इतिहास के अध्ययन से हमें ज्ञात है कि भारत को स्वतंत्रता वास्तव में सन् 1947 में मिली थी, इसलिए हम इस प्रतिज्ञप्ति को असत्य ठहरा सकते हैं।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "An Introduction To Logic And Scientific Method," Morris F. Cohen, Read Books Ltd, 2013, ISBN 9781446547403, Pg 25, "... While a proposition is defined as that which is true or false, it does not mean that we must know which of these alternatives is the case ..."