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पोस्त

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पीला पोस्त जिसे 'कैलिफोर्निया पॉपी' भी कहते हैं।

पोस्त (पॉपी, Poppy) या पोस्ता फूल देने वाला एक पौधा है जो पॉपी कुल का है। पोस्त भूमध्यसागर प्रदेश का देशज माना जाता है। यहाँ से इसका प्रचार सब ओर हुआ। इसकी खेती भारत, चीन, एशिया माइनर, तुर्की आदि देशों में मुख्यत: होती है। भारत में पोस्ते की फसल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में बोई जाती है। पोस्त की खेती एवं व्यापार करने के लिये सरकार के आबकारी विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है। पोस्ते के पौधे से अहिफेन यानि अफीम निकलती है, जो नशीली होती है।[1]


"पोस्त" पश्तो भाषा का एक शब्द है।

पोस्ते का पौधा लगभग 60 सेंटीमीटर ऊँचा होता है। फूल सफेद, लाल, बैंगनी और पीले, इस प्रकार विभिन्न रंगों के होते हैं।

अफीमवाले पोस्ते के फूल लाल अथवा बहुत हलके बैंगनी रंग के, या सफेद, होते हैं। फल, जिसे 'डोडा' कहते हैं, चिकना और अंडाकार होता है। पोस्ते की दूसरी जातियों को, जिन्हें फूलों के लिये लगाया जाता है, शर्ली पॉपीज कहते हैं।[2]

पोस्त मुख्यत: अफीम के लिये बोया जाता है। कच्चे डोडे पर तेज चाकू से धारियाँ बनाने पर, एक प्रकार का दूध निकलता है जो सूखकर गाढ़ा होने पर खुरच लिया जाता है। यही अफीम है। पोस्त के सूखे फल के छिलके को डोडा कहते हैं जिसे पानी में भिगोकर शेष रहे अफीम के निर्यास को घोलकर निकाल लिया जाता है। इसमें से मॉरफीन और कोडीन निकाले जाते हैं, जो दवाइयों में काम आते हैं। अफीम में साधारणत: 8 से 13 प्रतिशत मॉरफीन होता है, अधिक से अधिक 22.8 प्रति शत। एक एकड़ भूमि से लगभग 25 सेर अफीम निकल आती है।[3][4]

पोस्ते के फूल का उपयोग

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  • खसखस को कनाडाई संस्कृति में लैपेल पर पहना जाता है।
  • इसके कई प्रजातियों के फूल आकर्षक होते हैं और व्यापक रूप से वार्षिक या बारहमासी सजावटी पौधों के रूप में खेती की जाती है, इसलिए इस पौधे की व्यावसायिक रूप से खेती की जाती है, क्योंकि इनमें से शर्ली पोस्पी, पापवेर रियास की एक किस्म और अफीम पोस्ता पापावर सोम्निफरम और ओरिएंटल पोस्पी (पापावर ओरिएंटेल) के अर्ध-डबल या डबल (फ्लोर प्लेना) रूप व्यावसायिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  • यह पौधा इतना महत्वपूर्ण है कि इससे दवाई भी बनाई जाती है। इसलिए इसके कई अन्य प्रजातियों के खसखस बगीचों में उगाए जाते हैं।
  • अफीम की खेती व्यापक रूप से की जाती है और इसके विश्वव्यापी उत्पादन की निगरानी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा की जाती है। इसका उपयोग सूखे लेटेक्स और अफीम के उत्पादन के लिए किया जाता है, जो मॉर्फिन, हेरोइन और कोडीन जैसे मादक और एनाल्जेसिक अफीम का प्रमुख स्त्रोत हैं। मादक पदार्थ होने के कारण इसका कीमत अधिक होता है।

बहुत से देशों में पोस्त की खेती उसके बीजों के लिये, जिन्हें खसखस या पोस्तदाना कहते हें, की जाती है। बीज सफेद या काले रंग के होते हैं। इनमें तेल की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत तक होती है। तेल खाद्य सामग्री में काम आता है। बीज मिठाई, 'ठंढाई' आदि बनाने में उपयोगी हैं। खसखस में नशीला पदार्थ नहीं होता। यह औषधियुक्त भी मानी गई है तथा अपने पौष्टिक गुणों के कारण खसखस लोकप्रिय है। गढ़वाल जिले में पोस्त के हरे पत्तों से सब्जी भी बनाई जाती है।[5][6]


पोस्त के फल के अन्दर छोटे-छोटे बीज होते हैं जिन्हें खसखस के नाम से जाना जाता है। ये बीज मसालों एवं मिठाइयों में प्रयुक्त होते हैं। खसखस में अफीम की तरह नशा नहीं होता।[7][8]

चित्रदीर्घा

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सन्दर्भ

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  1. Jared Diamond (1997). Guns, Germs, and Steel: The Fates of Human Societies. W W Norton & Co. p. 101. ISBN 0-393-03891-2.
  2. Simon,J.E., Chadwick, A.F. and Craker L.E. (1984) Herbs: An indexed bibliography, 1971-1980: the scientific literature on selected herbs, and aromatic and medicinal plants of the Temperate Zone. Elsevier, Amsterdam and New York. ISBN 0444996265
  3. Dorothy Hodges (1952). The pollen loads of the honeybee. Bee Research Association Ltd., London.
  4. Kryzmanski, J. and Jonsson, R. (1999) Poppy. In: Robbelon, G., Downey, R.K., Ashri,A.(eds.), Oil Crops of the World. Their Breeding and Utilization. McGraw Hill, New York, ISBN 00-705-30815. p. 388-393.
  5. Kryzmanski, J. and Jonsson, R. (1999) Poppy. In: Robbelon, G., Downey, R.K., Ashri,A.(eds.), Oil Crops of the World. Their Breeding and Utilization. McGraw Hill, New York, ISBN 00-705-30815. p. 388-393
  6. Graham Seal (2004). Inventing Anzac: the digger and national mythology. Univ. of Queensland Press. pp. 105–. ISBN 978-0-7022-3447-7. Archived from the original on 16 जून 2013. Retrieved 18 September 2010.
  7. World Book; Inc (2003). The World Book dictionary. World Book.com. pp. 1622–. ISBN 978-0-7166-0299-6. Archived from the original on 10 जून 2013. Retrieved 18 August 2010. {{cite book}}: |author2= has generic name (help)
  8. United States of America Congressional Record. Government Printing Office. pp. 10121–. GGKEY:8F7NFQJ525R. Archived from the original on 10 जून 2013. Retrieved 18 August 2010.
  9. Dr. Hutchins, R. E. 1965. The Amazing Seeds. New York: Dodd, Mead and Company

इन्हें भी देखें

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