पेंटेकोस्ट

पेंटेकोस्ट (Pentecost) ईसाई धर्म का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है, जिसे कभी-कभी व्हिट्संडे (Whitsunday) या व्हिट्सन (Whitsun) भी कहा जाता है। यह पर्व ईस्टर (Easter) के पचासवें दिन मनाया जाता है।[1] यह पर्व उस दिन को याद करता है जब यीशु मसीह के शिष्यों और अन्य विश्वासियों पर पवित्र आत्मा का अवतरण हुआ । इसे "चर्च का जन्मदिन" भी माना जाता है क्योंकि इसी दिन धार्मिक समुदाय ने अपने इतिहास की नई शुरुआत की।[2] यही कारण है कि इसे ईसाई चर्च के आरंभ का प्रतीक भी माना जाता है।इस घटना का वर्णन प्रेरितों के कार्य नामक ग्रंथ में (अध्याय २:१–३१) किया गया है।[3][4][2]
पृष्ठभूमि
[संपादित करें]पेंटेकोस्ट शब्द ग्रीक भाषा “πεντηκοστή” (pentēkostē) से बना है, जिसका अर्थ “पचासवाँ” होता है। इसका मूल यहूदी पर्व शवोत है, जो पासओवर के सात सप्ताह और एक दिन बाद मनाया जाता था। शवोत का उल्लेख व्यवस्थाविवरण (१६:९) और लैव्यव्यवस्था (२३:१६) में मिलता है।[5][6][7] शवोत एक फसल उत्सव था, जिसे “सप्ताहों का पर्व” और “पहले फलों का दिन” कहा जाता था। बाद में यह पर्व धार्मिक अर्थ लेने लगा और यहूदी धर्म में तोराह की प्राप्ति से जुड़ गया। सन् ७० ईस्वी में यरूशलेम मंदिर के विनाश के बाद यहूदी धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र बन गया। ईसाई धर्म में पेंटेकोस्ट पवित्र आत्मा के अवतरण और कलीसिया की स्थापना का प्रतीक माना जाता है। नए नियम के अनुसार, पेंटेकोस्ट के दिन यरूशलेम में दुनिया भर से यहूदी तीर्थयात्री एकत्र हुए थे।
बाइबिल में वर्णन
[संपादित करें]प्रवृत्तियाँ के अध्याय २ में पेंटेकोस्ट का विस्तृत विवरण मिलता है। इसमें बताया गया है कि शिष्यों और अन्य विश्वासियों जेरूशलम में एकत्रित थे, जब अचानक तेज हवा का स्वर आया और अग्नि की लपटें उनके ऊपर प्रकट हुईं। इससे वे पवित्र आत्मा से विभूषित हुए और विभिन्न भाषाओं में बोलने लगे, जैसे कि आत्मा उन्हें भाषाएँ बोलने का वरदान दे रही हो। यह घटना विश्वासी समुदाय के लिए आध्यात्मिक जागरण और प्रचार का माध्यम बनी।
प्रतीक और रंग
[संपादित करें]पश्चिमी चर्चों में पेंटेकोस्ट का प्रमुख रंग लाल है। लाल रंग पवित्र आत्मा की अग्नि और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पुरोहित और विश्वासियों द्वारा लाल वस्त्र धारण करना आम है। चर्चों में फूलों, शाखाओं और लाल झंडों के माध्यम से धार्मिक वातावरण को और अधिक भक्तिमय बनाया जाता है।
सार्वजनिक अवकाश और सामाजिक महत्व
[संपादित करें]कई यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में पेंटेकोस्ट सोमवार (Pentecost Monday) को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक रूप से भी समुदाय में एकजुटता और विश्वास को मजबूत करता है। पेंटेकोस्ट ईसाई धर्म में आध्यात्मिक चेतना, धार्मिक शिक्षा और समुदाय की स्थापना का प्रतीक है।
निष्कर्ष
[संपादित करें]इस प्रकार, पेंटेकोस्ट ईसाई धर्म का एक केंद्रीय पर्व है जो पवित्र आत्मा के आगमन, विश्वासियों के आध्यात्मिक विकास और चर्च समुदाय की स्थापना की याद दिलाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्सव भी है।
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ Pritchard, Ray. "What Is Pentecost?" (अंग्रेज़ी भाषा में). Christianity.com. अभिगमन तिथि: 9 June 2019.
According to the Old Testament, you would go to the day of the celebration of Firstfruits, and beginning with that day, you would count off 50 days. The fiftieth day would be the Day of Pentecost. So Firstfruits is the beginning of the barley harvest and Pentecost the celebration of the beginning of the wheat harvest. Since it was always 50 days after Firstfruits, and since 49 days equals seven weeks, it always came a 'week of weeks' later.
- 1 2 Hilovsky, Judy (2025). "Happy Pentecost: The Birthday of the Church". Museum of the Bible. अभिगमन तिथि: 11 June 2025.
In the Christian tradition, Pentecost is the celebration of the Holy Spirit descending on the apostles, Mary, and the first followers of Jesus, who were in the Upper Room.
- ↑ Acts 2:1–31 {{{3}}}
- ↑ Acts 1:14 {{{3}}}
- ↑ Balz, Horst Robert; Schneider, Gerhard (1994). Exegetical dictionary of the New Testament. Wm. B. Eerdmans. ISBN 978-0-8028-2803-3.
- ↑ Keil, Carl Friedrich; Delitzsch, Franz (2011). Commentary on the Old Testament. Peabody, Massachusetts: Hendrickson Publishers. ISBN 978-0-913573-88-4.
- ↑ Gaebelein, Frank E (1984). The expositors Bible commentary with the New International Version of the Holy Bible in twelve volum. Grand Rapids, MI: Zondervan. ISBN 978-0-310-36500-6.