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पुष्पलता दास

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पुष्पलता दास
जन्म 27 मार्च 1915
उत्तर लखीमपुर, असम, भारत
मौत 9 नवंबर 2003(2003-11-09) (aged 88)
कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
पेशा भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता
समाज सेवक

जीवनसाथी ओमेयो कुमार दास
बच्चे 1 बेटी
माता-पिता
रामेश्वर साइकिया
स्वर्णताल

पुष्पलता दास (1915-2003) उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्य असम एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, गांधीवादी और विधायक थी। [1] वह 1951 से 1961 तक एक राज्य सभा सदस्य , असम विधान सभा की सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कार्य समिति की सदस्य थी।[2] उसने कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट और खादी और ग्रामोद्योग आयोग के असम के अध्यायों के अध्यक्ष के रूप में सेवा की। [3] समाज के लिए उसके योगदान के लिए भारत सरकार ने 1999 में उसे तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया।[4]

कनकलता उद्यान  में 1942 की पुलिस की शूटिंग दिखा रही एक मूर्ति

दास का जन्म  27 मार्च 1915[5] को  रामेश्वर सैकिया और स्वर्णलता के घर में उत्तरी लखीमपुरअसम में हूया।  दास की स्कूली शिक्षा पानबाज़ार गर्ल्स हाई स्कूल में हूई।  उस ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों स्कूल के दिनों से शुरू कर दी थी और मुक्ति संघा  नाम के एक संगठन की सचिव थी। 1931 में, उसने और उसके साथियों ने  क्रांतिकारी भगत सिंह को ब्रिटिश राज द्वारा फांसी के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन आयोजित  किया था और उसे स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था। उसे अपनी पढ़ाई एक निजी छात्र के रूप में जारी रखी और 1934 में मैट्रिक परीक्षा पारित करने के बाद उस ने अपना इंटरमीडिएट कोर्स संपूर्ण करने के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में दाखला ले लिया। बाद में, उसने आंध्र विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और इसी  विश्वविद्यालय से 1938 में पोस्ट-स्नातक की डिग्री ली। बाद में, वह कानून में अध्ययन के लिए अर्ल लॉ कॉलेज, गुवाहाटी में चली गई जहां उसे अपनी छात्र राजनीति जारी रखी ; वह 1940 में कलज यूनियन की सचिव थी। यह इस समय के दौरान था, गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के एक भाग के रूप में और दो साल बाद शुरू होने वाले भारत छोड़ो आंदोलन के लिए एक अग्रदूत के रूप में व्यक्तिगत सत्याग्रह का बुलावा दिया,[6] और दास ने इस आंदोलन में भाग लिया। उसे जेल में रखा गया था, जिसने उसकी कानून की पढ़ाई की प्रभावी रूप से कटौती कर दी।

राष्ट्रीय योजना समिति की महिला उप समिति के सदस्य के रूप में, इस के साथ अपनी एसोसिएशन के कारण दास उस वर्ष मुंबई चले गया और  दो साल के लिए वहाँ रुका था। उसकी गतिविधियों ने उसे मृदुला साराभाई और विजया लक्ष्मी पंडित और ओमेओ कुमार दास, जो तब असम विधान सभा का सदस्य था, के साथ काम करने का अवसर दिया।[7] ओमेओ कुमार दास से उसे 1942 में शादी बना ली। विवाह के बाद  वह असम लौट आई और दो संगठनों शांति वाहिनी और मृत्यु वाहिनी का गठन किया[8] सितंबर1942 में दास और उसके के साथियों के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस स्टेशन पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज पकड़े एक विरोध प्रदर्शन किया गया और यह इस प्रदर्शन पर पुलिस ने गोली चलाई जिस में  उस की सहयोगी, कनकलता बरूआ की मौत हुई थी। [9] उस समय तक, वह पहले से ही  अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की एक सदस्य और असम कांग्रेस समिति के महिला विंग की संयोजक बन चुकी थी और कथित तौर पर पूर्वी पाकिस्तान के साथ जाने से असम को रोकने के लिए काम किया।

सन्दर्भ

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  1. "Pushpa Lata Das (1951-2003)". India Online. 2016. मूल से 18 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 May 2016.
  2. "Pushpalata's memories live on". The Telegraph. 21 November 2003. मूल से 4 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 May 2016.
  3. "Puspa Lata Das Biography". Maps of India. 2016. मूल से 27 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 May 2016.
  4. "Padma Awards" (PDF). Ministry of Home Affairs, Government of India. 2016. मूल से 15 नवंबर 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 3 January 2016.
  5. Guptajit Pathak (2008). Assamese Women in Indian Independence Movement: With a Special Emphasis on Kanaklata Barua. Mittal Publications. पपृ॰ 118–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8324-233-2. |author= और |last= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); |ISBN= और |isbn= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  6. "Individual Satyagraha 1940-41". GK Today. 2016. मूल से 23 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 May 2016.
  7. "Lokanayak Omeo Okumar Das". Free India. 2016. मूल से 21 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 May 2016.
  8. "Freedom Struggle in Assam". Press Information Bureau, Government of India. 2016. मूल से 1 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 May 2016.
  9. Guptajit Pathak (2008). Assamese Women in Indian Independence Movement: With a Special Emphasis on Kanaklata Barua. Mittal Publications. पपृ॰ 52–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8324-233-2. मूल से 12 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 मार्च 2017. |author= और |last= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); |ISBN= और |isbn= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)