पुनिक युद्ध
पुनिक युद्ध (264 ईसा पूर्व – 146 ईसा पूर्व) प्राचीन रोम और कार्थेज के बीच तीन प्रमुख युद्धों की एक श्रृंखला थी। ये युद्ध भूमध्यसागरीय क्षेत्र पर नियंत्रण के लिए लड़े गए और प्राचीन इतिहास के सबसे निर्णायक संघर्षों में से एक माने जाते हैं। रोम ने इन युद्धों में कार्थेज को हराकर पश्चिमी भूमध्यसागर में अपना वर्चस्व स्थापित किया। प्रथम पुनिक युद्ध मुख्य रूप से सिसिली द्वीप के लिए हुआ, जबकि द्वितीय पुनिक युद्ध हनिबल की साहसिक सैन्य रणनीतियों के लिए प्रसिद्ध है। तृतीय पुनिक युद्ध के दौरान, रोम ने कार्थेज को पूरी तरह नष्ट कर दिया।[1]
पुनीक युद्ध | |||||||||
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![]() 237 ईसा पूर्व में पश्चिमी भूमध्यसागर का मानचित्र, जिसमें प्रथम प्यूनिक युद्ध में शामिल राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
रोमन साम्राज्य | कार्थेज |
पृष्ठभूमि
[संपादित करें]264 ईसा पूर्व तक, रोम ने इटली प्रायद्वीप पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। उसने कई शहर-राज्यों और कबीलों को गठबंधन के माध्यम से अपने अधीन कर लिया था। दूसरी ओर, कार्थेज एक समृद्ध समुद्री शक्ति थी, जिसका विस्तार उत्तरी अफ्रीका, स्पेन, सिसिली और सार्डिनिया तक था। उसकी अर्थव्यवस्था व्यापार और कृषि पर आधारित थी, और उसकी नौसेना भूमध्यसागर में सबसे मजबूत मानी जाती थी।[2]
रोम और कार्थेज के बीच पहले कोई सीधा टकराव नहीं हुआ था। दोनों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध थे। लेकिन सिसिली पर नियंत्रण को लेकर दोनों शक्तियों के हित आपस में टकराने लगे। सिसिली का पूर्वी भाग ग्रीक शहर-राज्यों के अधीन था, जबकि पश्चिमी भाग कार्थेज के नियंत्रण में था। जब मेसाना और सिराक्यूज के बीच संघर्ष हुआ, तो दोनों पक्षों ने रोम और कार्थेज से सहायता मांगी। यह संघर्ष जल्द ही युद्ध में बदल गया, जो इतिहास में प्रथम पुनिक युद्ध के रूप में जाना गया।[1]
प्रथम पुनिक युद्ध (264–241 ईसा पूर्व)
[संपादित करें]प्रथम पुनिक युद्ध मुख्य रूप से सिसिली पर नियंत्रण के लिए लड़ा गया। रोम ने इस संघर्ष में अपनी पहली नौसेना का निर्माण किया और समुद्री युद्धों में कार्थेज को चुनौती दी। युद्ध की शुरुआत मेसाना से हुई, जहां रोम ने कार्थेज के हस्तक्षेप का विरोध किया। इसके बाद रोम ने सिराक्यूज के राजा हीरों द्वितीय को हराया और उनके साथ संधि कर ली।[2]
इस युद्ध का एक महत्वपूर्ण चरण अक्रागास की घेराबंदी थी, जहां रोम ने कार्थेज के मुख्य गढ़ पर कब्जा कर लिया। इसके बाद रोम ने एक शक्तिशाली नौसेना बनाई और मायला और एकनोमस की लड़ाइयों में कार्थेज को हराया। रोम ने उत्तरी अफ्रीका पर भी आक्रमण किया, लेकिन वहां कार्थेज के जनरल जैंथिप्पस ने उसे करारी हार दी।[1]
अंत में, 241 ईसा पूर्व में, एगेट्स द्वीपों की नौसैनिक लड़ाई में रोम ने कार्थेज को निर्णायक रूप से हरा दिया। कार्थेज को सिसिली और सार्डिनिया से अपने दावे छोड़ने पड़े और भारी क्षतिपूर्ति का भुगतान करना पड़ा। यह युद्ध 23 वर्षों तक चला और रोम की पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय जीत के रूप में समाप्त हुआ।[2]
द्वितीय पुनिक युद्ध (218–201 ईसा पूर्व)
[संपादित करें]प्रथम पुनिक युद्ध में हार के बाद, कार्थेज ने अपनी शक्ति को पुनः स्थापित करने के लिए स्पेन में विस्तार किया। हान्निबल, जो कार्थेज के महान सेनापति और हामिल्कार बरका के पुत्र थे, ने इस अभियान का नेतृत्व किया। 219 ईसा पूर्व में, उन्होंने रोम के मित्र शहर सागुंतम पर हमला किया, जिससे द्वितीय पुनिक युद्ध की शुरुआत हुई। हनिबल ने अपनी सेना और हाथियों के साथ आल्प्स पर्वत को पार किया, जो सैन्य इतिहास का एक अविश्वसनीय साहसिक कार्य था। उन्होंने इटली में प्रवेश कर रोमनों को ट्रेबिया, ट्रासीमीन और कैनै की लड़ाइयों में बुरी तरह हराया।[3]

कैनै की लड़ाई में, हान्निबल ने रोमन सेना को घेरकर नष्ट कर दिया। हालांकि, रोम ने अपने जनरल स्किपियो अफ्रिकानस के नेतृत्व में स्पेन में कार्थेज की शक्ति को कमजोर किया। उन्होंने 209 ईसा पूर्व में न्यू कार्थेज पर कब्जा कर लिया और अंततः 202 ईसा पूर्व में ज़ामा की लड़ाई में हान्निबल को निर्णायक रूप से हराया। इस युद्ध के बाद, कार्थेज को अपनी सभी विदेशी भूमि छोड़नी पड़ी, और उसकी सेना को सीमित कर दिया गया। रोम ने स्पेन और उत्तरी अफ्रीका में अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।[4]
तृतीय पुनिक युद्ध (149–146 ईसा पूर्व)
[संपादित करें]द्वितीय पुनिक युद्ध के बाद, कार्थेज ने अपने आंतरिक मामलों में सुधार किया और अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया। हालांकि, नुमिडिया के राजा मासिनिसा के साथ उसके संघर्ष ने 201 ईसा पूर्व की संधि का उल्लंघन किया। रोम ने इसे युद्ध का कारण बनाते हुए 149 ईसा पूर्व में कार्थेज पर आक्रमण किया।[2]
तृतीय पुनिक युद्ध मुख्य रूप से कार्थेज को पूरी तरह नष्ट करने के लिए लड़ा गया। रोम ने तीन वर्षों तक कार्थेज की घेराबंदी की। 146 ईसा पूर्व में, रोम की सेना ने कार्थेज पर हमला किया और छह दिनों तक चले घमासान युद्ध के बाद शहर को जला दिया। बचे हुए नागरिकों को गुलाम बना लिया गया और कार्थेज का क्षेत्र "अफ्रीका प्रांत" के रूप में रोम के अधीन कर लिया गया।[1]
निष्कर्ष
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पुनिक युद्धों ने पश्चिमी भूमध्यसागर में शक्ति का संतुलन पूरी तरह से बदल दिया। इन युद्धों में रोम ने अपनी सैन्य शक्ति, रणनीति और संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया। परिणामस्वरूप, रोम भूमध्यसागर का निर्विवाद शासक बन गया और कार्थेज का नाम इतिहास के पन्नों में विलुप्त हो गया। इन युद्धों ने सैन्य रणनीति और साम्राज्य विस्तार की नींव रखी, जिसने बाद के युगों में गहरी छाप छोड़ी।[5]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ ई Hoyos 2011.
- ↑ अ आ इ ई "Punic Wars | Summary, Causes, Battles, & Maps | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी भाषा में). 2024-11-22. अभिगमन तिथि: 2025-01-15.
- ↑ Ball, Philip (2016-04-03). "The truth about Hannibal's route across the Alps". The Observer (ब्रिटिश अंग्रेज़ी भाषा में). आईएसएसएन 0029-7712. अभिगमन तिथि: 2025-01-15.
- ↑ Gabriel 2011, p. 159–211.
- ↑ Goldsworthy 2012, p. 296.
ग्रंथ सूची
[संपादित करें]- Hoyos, Dexter (2011), "Punic Wars (264–241, 218–201, 149–146 BCE)", The Encyclopedia of War (अंग्रेज़ी भाषा में), John Wiley & Sons, Ltd, डीओआई:10.1002/9781444338232.wbeow506, ISBN 978-1-4443-3823-2, अभिगमन तिथि: 2025-01-15
- Goldsworthy, Adrian (2012). The Fall of Carthage: The Punic Wars 265-146BC (अंग्रेज़ी भाषा में). Orion. ISBN 978-1-78022-306-3.
- Gabriel, Richard A. (2011). Hannibal: The Military Biography of Rome's Greatest Enemy (अंग्रेज़ी भाषा में). Potomac Books, Inc. ISBN 978-1-59797-686-2.