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पुट कवक

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पुट कवक या थैली कवक विरल पाए जाने वाले पुट कवक एककोशिक जैसे खमीर के अतिरिक्त ये बहुकोशिक होती हैं। ये मृतजीवी, अपघटक, परजीवी अथवा शमलरागी (मल पर उगनेवाली) होते हैं। कवक जालशाखित तथा पटीय होता है। अलैंगिक बीजाणु कोनिडिया होते हैं जो विशिष्ट कवकजाल जिसे कोनिडिमधर कहते हैं, पर बहिर्जात रूप से उत्पन्न होते हैं। कोनिडिया अंकुरित होकर कवक जाल बनाते हैं। लैंगिक बीजाणु को पुट बीजाणु कहते हैं। ये बीजाणु थैलीसम पट में अन्तर्जातीय रूप से उत्पन्न होते हैं। ये पुट विभिन्न प्रकार की फलनकाय में लगी रहती हैं, जिन्हें ऐस्कोकार्प कहते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं ऐस्पर्जिलस, अर्गॉट तथा न्यूरोस्पोरा हैं। न्यूरोस्पोरा का प्रयोग जैवरासायनिक तथा आनुवंशिक प्रयोगों और कोशिका वैज्ञानिक अध्ययनों में प्रयोग की जाती हैं।। इस वर्ग में आने वाले मॉरल तथा ट्रफ़ल खाद्य होते हैं और इन्हें सुस्वादु भोजन समझा जाता है।

पुट कवक एक एकवर्गी समूह है (इसमें एक सामान्य पूर्वज के सभी वंश शामिल हैं)। पहले द्वितीय कवक में अन्य कवक श्रेणी से अलैंगिक जातियों के साथ रखा गया था, अलैंगिक पुट कवक को अब पुट-धारणकारी श्रेणी के रूपात्मक या शारीरिक समानता के आधार पर और डीएनए अनुक्रमों के वर्गानुवंशिक विश्लेषण के आधार पर पहचाना और वर्गीकृत किया गया है। [1] [2]

पुट कवक औषधीय रूप से महत्त्वपूर्ण यौगिकों के स्रोत के रूप में मनुष्यों हेतु विशेष रूप से उपयोगी हैं, जैसे कि प्रतिजैविक, रोटी, मादक पेय और पनीर को किण्वन हेतु। पनीर पर पेनिसिलियम प्रजातियाँ और जीवाणु संक्रामक रोगों के उपचार हेतु प्रतिजैविकों का उत्पादन करने वाले पुट कवकों के उदाहरण हैं।

कई पुट कवक मनुष्यों सहित पश्वों और पौधों दोनों हेतु रोगजनक हैं। पुट कवकों के उदाहरण जो मनुष्यों में संक्रमण उत्पन्न कर सकते हैं उनमें कैण्डिडा अल्बिकन्स, ऐस्पर्जिलस नाइजर और कई प्रजातियाँ शामिल हैं जो त्वक्संक्रमण का कारण बनती हैं। कई पादप-रोगजनक पुट कवक में सेब की खुरपी, चावल का विस्फोट, अर्गोट कवक, काली गाँठ और ख़स्ता फफूंदी शामिल हैं। प्रयोगशाला अनुसन्धान में पुट कवकों की कई प्रजातियां जैविक मॉडल जीव हैं।

सन्दर्भ

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  1. Lutzoni F (2004). "Assembling the fungal tree of life: progress, classification, and evolution of subcellular traits". American Journal of Botany. 91 (10): 1446–80. डीओआई:10.3732/ajb.91.10.1446. पीएमआईडी 21652303. {{cite journal}}: Unknown parameter |displayauthors= ignored (help)
  2. James TY (2006). "Reconstructing the early evolution of Fungi using a six-gene phylogeny". Nature. 443 (7113): 818–22. बिबकोड:2006Natur.443..818J. डीओआई:10.1038/nature05110. पीएमआईडी 17051209. {{cite journal}}: Unknown parameter |displayauthors= ignored (help)