पिंजर (उपन्यास)
लेखक | अमृता प्रीतम |
---|---|
मूल शीर्षक | ਪਿੰਜਰ |
अनुवादक | खुशवंत सिंह (अंग्रेज़ी में) |
भाषा | पंजाबी |
प्रकाशन स्थान | भारत |
मीडिया प्रकार | प्रिंट |
आई.एस.बी.एन | साँचा:ISBNT |
पिंजर (पंजाबी: ਪਿੰਜਰ,پنجر , उर्दू: پنجر, हिन्दी/अनुवाद: कंकाल) उल्लेखनीय कवयित्री और उपन्यासकार अमृता प्रीतम द्वारा 1950 में लिखित पंजाबी उपन्यास है। यह एक हिंदू लड़की, पूरो की कहानी है, जिसका एक मुस्लिम आदमी रशीद ने अपहरण कर लिया। जब वो रशीद के घर से अपने माता-पिता के घर भागती है तो उसके माता-पिता उस लड़की को अशुद्ध/अपवित्र मानते हुए वापस लेने से इनकार करते हैं। पिंजर को भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि के साथ लिखे गए सर्वश्रेष्ठ साहित्यों में से एक माना जाता है।
कहानी
[संपादित करें]दो खानदान पूरो और रशीद हैं। पूरो शाह और रशीद शेख क्रमशः हिंदू और मुसलमान है। शाहों और शेखों के बीच पुश्तैनी झगड़ा है। दो पीढ़ी पहले शाहों के आदमियों ने शेखों की एक लड़की अगावा कर ली थी। अब वो बदला लेने की सोचते रहते हैं। पूरो को रशीद अगवा कर लेता है और कब्जे में रखता है। वह घर छोड़ आने की जिद करती है लेकिन रशीद बताता है कि पूरो के लिए अब उसके अपने घर वाले ही अनजान हो गए हैं। लेकिन पूरो को अपने मां-बाप पर भरोसा था। मौका पा कर वह रशीद की गिरफ्त से भागती है। रात को अपने घर पहुंचती है। मां और पिता साथ में होते हैं। उसके पिता पूरो को घर में घुसने से रोक देते हैं और कहते हैं कि अब वो परायी हो गई है। वो अपवित्र हो गई और उसका धर्म भ्रष्ट हो गया है।[1]
पात्र
[संपादित करें]- पूरो (हमीदा)
- रशीद
- रामचंद
- लाजो
रूपांतरण
[संपादित करें]इसे इसी नाम (पिंजर) से 2003 में एक हिन्दी फिल्म में निर्मित किया गया था, जिसमें प्रमुख भूमिकाओं में उर्मिला मातोंडकर, मनोज बाजपेई और संजय सूरी थे। आलोचनात्मक प्रशंसा के अलावा, फिल्म ने राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता था।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "पॉडकास्ट | एक ऐसा 'पिंजर' जिससे भारत-पाकिस्तान दोनों को मोहब्बत है". द क्विंट. 23 जनवरी 2018. अभिगमन तिथि 10 सितम्बर 2018.