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पिंकी विरानी

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पिंकी विरानी
व्यवसाय पत्रकार और लेखक
जीवनसाथी शंकर अय्यर

पिंकी विरानी (जन्म 30 जनवरी 1959) भारतीय लेखिका, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और लेखिका हैं। वो वन्स वाज़ बॉम्बे, अरुणाज़ स्टोरी, बिटर चॉकलेटः चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज इन इंडिया (जिसने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता) और डीफ हैवन की लेखिका हैं।[1][2][3] उनकी पांचवीं पुस्तक का नाम पॉलिटिक्स ऑफ द वोम्ब-द पेरिल्स ऑफ आईवीएफ, सरोगेसी एंड मॉडिफाइड बेबीज है।[4]

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

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विरानी का जन्म 30 जनवरी 1959 को मुम्बई में गुजराती मुस्लिम माता-पिता के घर हुआ था। उनके पिता एक दुकान चलाते थे और उनकी माँ एक शिक्षिका थीं। उन्होंने मुम्बई, पुणे और मसूरी में विद्यालयी शिक्षा पूर्ण की। वो आगा खान फाउंडेशन छात्रवृत्ति पर पत्रकारिता में परास्नातक के लिए अध्ययन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गईं। उन्होंने द संडे टाइम्स में शुरूआती प्रशिक्षण (इंटरशीप) लिया। द संडे टाइम्स में काम करते हुये उन्होंने ब्रिटेन में रंगभेद से सम्बंधित दंगों पर बड़े पैमाने पर रिपोर्ट की।

उन्होंने 18 साल की उम्र में टाइपिस्ट के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। जब वो अपनी छात्रवृत्ति के बाद भारत लौटी, तो उन्होंने एक रिपोर्टर के रूप में काम किया और भारत में सायंकालीन समाचार पत्र की पहली महिला संपादक बनीं।[5] अपनी पहली पुस्तक प्रकाशित करने के बाद वो दैनिक पत्रकारिता से हट गईं।

विरानी पाँच पुस्तकों के लेखक हैं। उनकी पुस्तक अरुणाज़ स्टोरी एक नर्स की कहानी को बताती है जिसमें नर्स बलात्कार का शिकार होता है और इसके परिणास्वरूप वो कोमा में चली गई। इस पुस्तक की कहानी पर आधारीत 52 मिनट का एक वृत्तचित्र पीएसबीटी द्वारा निर्मित किया गया। इस वृत्तचित्र का शीर्षक पैसिव एथेनसिया: कहानी करुणा की था। रंगमंच निर्देशक अरविंद गौर ने इसे नाटक अरुणा की कहानी के रूप में लिखा और निर्देशित किया। इस नाटक में लुशिन दुबे द्वारा अभिनय किया गया।[6][7] उनकी रचना बिटर चॉकलेट भारत में बाल यौन शोषण के बारे में है। इस पुस्तक पर आधारित एक एकल नाटक अरविंद गौर द्वारा लिखित-निर्देशित और लुशिन दुबे द्वारा प्रस्तुत किया गया था।[8][9][10] वन्स वाज़ बॉम्बे समाजशास्त्र की एक पुस्तक है। डीफ स्वर्ग, उनकी पहली काल्पनिक रचना है। एक आधुनिक देश के नव-फासीवाद की तरफ अग्रसर होने के खतरे की चेतावनी देने वाले रूप और शैली के साथ प्रयोग इस पुस्तक में लिखे गए हैं। इन पॉलिटिक्स ऑफ द वम्ब-द पेरिल्स ऑफ आईवीएफ, सरोगेसी एंड मॉडिफाइड बेबीज़ (2016) में विरानी ने आक्रामक रूप से दोहराए जाने वाले चक्रों में महिलाओं पर उपयोग किए जाने पर आईवीएफ और सहायक प्रजनन के अन्य रूपों की आलोचना की और वाणिज्यिक सरोगेसी और तीसरे पक्ष की सहायता से प्रजनन के अन्य स्वरूपों पर दुनिया भर में प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया।[11]

अरुणा शानबाग मामला

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सन 2009 में पिंकी विरानी ने 27 नवम्बर 1973 को मुम्बई के केईएम अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स अरुणा शानबाग की ओर से भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। अरुणा शानबाग जब अस्पताल में नर्स थीं तब एक सफाईकर्मी द्वारा उनका यौन उत्पीड़न किया गया था।[12] हमले के दौरान सफाईकर्मी ने शानबाग को एक जंजीर से गला घोंटकर हत्या करने का प्रयास किया और ऑक्सीजन की कमी ने उसे वर्धी (vegetative) अवस्था में छोड़ दिया। घटना के बाद उसका केईएम अस्पताल में इलाज किया गया और सन् 2015 में निमोनिया से मृत्यु हो गई। उन्हें 42 वर्षों तक एक फीडिंग ट्यूब द्वारा जीवित रखा गया।[13] विरानी की सन् 2009 की याचिका में, उन्होंने तर्क दिया कि "अरुणा का निरंतर अस्तित्व गरिमा के साथ जीने के उनके अधिकार का उल्लंघन है।" सुप्रीम कोर्ट ने 7 मार्च 2011 को अपना फैसला सुनाया।[14] न्यायालय ने अरुणा से जीवन रक्षा प्रणाली हटाने की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन इसके परिणामस्वरूप भारत में इच्छामृत्यु को वैध बनाने वाले व्यापक दिशानिर्देशों जारी किये गये। सर्वोच्च न्यायालय ने विरानी को शानबाग की "निकटतम सम्बंधी" के रूप में मान्यता देने से भी इनकार कर दिया, जिसका वर्णन विरानी ने याचिका दायर करने के लिए किया था।[15]

निजी जीवन

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उन्होंने शंकर अय्यर से शादी की है, जो एक पत्रकार और एक्सीडेंटल इंडिया के लेखक हैं।[16]

ग्रंथ सूची

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  • अरुणाज़ स्टोरी: द ट्रू अकाउंट ऑफ़ ए रेप एंड इट्स आफटरमैथ (शब्दशः अनुवाद: अरुणा की कहानीः एक बलात्कार और उसके बाद के वास्तविक विवरण) वाइकिंग, 1998।
  • बिटर चॉकलेटः चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज़ इन इंडिया, पेंगुइन बुक्स, 2000
  • Once was Bombay [एकसमय बॉम्बे] (in अंग्रेज़ी). Viking. 1999. ISBN 0-670-88869-9.
  • डीफ़ स्वर्ग, हार्परकॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया, 2009.  ISBN 81-7223-849-5ISBN 81-7223-849-5
  • पॉलिटिक्स ऑफ़ वॉम्ब—द पेरिल्स ऑफ़ ईवीएफ, सरोगेसी एंड मोडिफाइड बैबीज, पेंगुइन रैंडम हाउस, 2016।  ISBN 978-0670088720, आईएसबीएन 978-0670088720

सन्दर्भ

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  1. Virani, Pinki, 1959- (2001). Once was Bombay. New Delhi: Penguin. ISBN 0-14-028791-4. OCLC 49350714.{{cite book}}: CS1 maint: multiple names: authors list (link) CS1 maint: numeric names: authors list (link)
  2. Srinivasan, Madhumita (2015-08-05). "Theatre tribute to Aruna Shanbaug". द हिन्दू (in Indian English). ISSN 0971-751X. Retrieved 2020-01-30.
  3. आर॰ कृतिका (19 जुलाई 2009). "As we see ourselves". द हिन्दू. Archived from the original on 29 जून 2011. Retrieved 17 जुलाई 2013.
  4. "The Egg Commerce". डैली पायनियर. 25 सितम्बर 2016. {{cite web}}: Check date values in: |date= (help)
  5. "Pinki Virani". HarperCollins (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2022-05-25.
  6. Pratyush Patra. "Aruna Shanbaug's story retold on stage". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. दिल्ली. Retrieved 2018-12-04.
  7. शिखा जैन (21 अक्टूबर 2018). "Aruna's Story: She was no less a martyr who sparked progressive change". Retrieved 2018-12-04.
  8. Drama critic (2004-01-07). "Nobody's Child". द इंडियन एक्सप्रेस. Archived from the original on 29 सितम्बर 2004. Retrieved 2010-08-29. {{cite news}}: Check date values in: |archive-date= (help)
  9. Drama critic (11 अप्रैल 2005). "An unspoken bitter truth". द हिन्दू. चेन्नई. Archived from the original on 3 नवम्बर 2012. Retrieved 2008-12-24.
  10. शालिनी उमाचंद्रन (12 सितम्बर 2004). "It happens here too". द हिन्दू. चेन्नई. Archived from the original on 30 सितम्बर 2004. Retrieved 2013-07-13. {{cite news}}: Check date values in: |date= and |archive-date= (help)
  11. "Pinki Virani on commercial surrogacy: 'Worst kind of patriarchy posturing as pro-woman choice'". फर्स्टपोस्ट. 11 सितम्बर 2016. Retrieved 11 सितम्बर 2016. {{cite news}}: Check date values in: |access-date= and |date= (help)
  12. "India court admits plea to end life of rape victim". बीबीसी न्यूज़, दिल्ली. 17 दिसम्बर 2009.
  13. "Aruna Shanbaug: Brain-damaged India nurse dies 42 years after rape". बीबीसी न्यूज़. 18 मई 2015. Retrieved 11 सितम्बर 2016. {{cite news}}: Check date values in: |access-date= (help)
  14. "After 36 yrs of immobility, a fresh hope of death". इंडियन एक्सप्रेस. 17 दिसम्बर 2009. Retrieved 7 मार्च 2011.
  15. "Supreme Court decision on Aruna Ramachandra Shanbaug versus Union of India" (PDF). भारत का सर्वोच्चय न्यायालय. Archived from the original (PDF) on 10 जनवरी 2017. Retrieved 11 सितम्बर 2016. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  16. "Virani saga". द ट्रिब्यून. 1 अगस्त 2009.

बाहरी कड़ियाँ

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