पाहां चह्रे

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काठमांडू में पाहां चह्रे त्योहार

पाहां चह्रे जिसे नेपाल में पासा चरे के नाम से भी जाना जाता है, नेपाल मण्डल में वर्ष के सबसे बड़े धार्मिक त्योहारों में से एक माना जाता है। यह काठमांडू में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त नेपाल के विभिन्न स्थानों पर भी इसे पूरे उत्साह से मनाया जाता है। इसमें तीन दिनों तक कई कार्यक्रम होते हैं, जैसे परेड, नकाब आदि पहन कर नृत्य और घुड़दौड़। धार्मिक रूप से इन तीनों ही दिन पूजा सहित कई धार्मिक गतिविधियाँ भी की जाती है।[1][2]

नेपाली भाषा में पाहां का अर्थ है अतिथि और वहीं पासा का अर्थ है मित्रचह्रे का अर्थ है चंद्र पखवाड़े का चौदहवां दिन और इसी दिन यह त्योहार शुरू होता है अर्थात् नेपाल के चन्द्र कैलेंडर के पांचवें महीने चिल्ला के 14वें दिन। इस दिन दोस्तों और रिश्तेदारों को अपने घर आमंत्रित करना और उन्हें दावत देकर सम्मानित करना त्योहार के मुख्य आकर्षणों में से एक है। चूंकि यह त्योहार चंद्र कैलेंडर के अनुसार आयोजित किया जाता है, इसलिए हर साल इसकी तिथियों में अंतर आता रहता हैं।[3]

पहला दिन[संपादित करें]

न्यातामारु अजीमा पायखान (नकाबपोश नृत्य)

त्योहार शाम को देवता लुकु महाद्यः की पूजा के साथ शुरू होता है। इन्हें हिंदू देवता शिव के रूपों में से एक माना जाता है। लुकु महाद्यः का अर्थ है धँसा हुआ महाद्यःऔर उनकी छवि जमीन में एक छेद में एक कूड़े के कोने में निहित होती है। गृहस्थ मांस और शराब सहित एक भोज का प्रसाद बनाकर देवता की भक्ति करते हैं। पका हुआ फूल जिसे स्थानीय भाषा में लुँबुँ और मूली जिसे स्थानीय भाषा में वहबुँ कहते है, त्योहार के विशेष प्रसाद हैं और इन्हें सोने और चांदी का प्रतीक माना जाता है। काठमांडू के न्याता में सड़क के कोने पर पत्थर के मंच पर पवित्र नकाबपोश नृत्य दिखाए जाते हैं। इसे स्थानीय भाषा में न्यातामारु अजीमा पायखान या श्वेतकाली नृत्य के नाम से जाना जाता है। विभिन्न देवताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले मुखौटे पहने अभिनेताओं द्वारा नृत्य नाटिका का प्रदर्शन किया जाता है। यह नृत्य शाम को शुरू होता है और पूरी रात चलता है।[4]

दूसरा दिन[संपादित करें]

दूसरे दिन का मुख्य कार्यक्रम घोड़े जात्रा के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। काठमांडू के टुंडीखेल में इसका भव्य आयोजन होता है। घोड़े जात्रा में टुंडीखेल में नेपाल सेना द्वारा आयोजित घुड़दौड़ और अन्य कार्यक्रम होते हैं। पड़ोसी शहर ललितपुर के बाल कुमारी में भी एक घोड़े की दौड़ आयोजित की जाती है।[5]

इस दिन सात देवी देवी लुमाधि अजीमा, कंगा अजीमा, म्हैपी अजीमा, तकाती अजीमा, मायती अजीमा, यतामारु अजीमा और बछला अजीमा की छवियों को तीर्थस्थलों पर स्थापित किया जाता है और काठमांडू के कई इलाकों में परेड किया जाता है।[6]

तीसरा दिन[संपादित करें]

आसन में पाहां चह्रे त्योहार का अंतीम दिन

तीसरे दिन समापन कार्यक्रम के दौरान देवी की मूर्तियों को पालकियों में करके आसन बाजार के चौक पर इकट्ठा किया जाता है। पालकी चलाने वाले, संगीतकार और अनुयायी लाल, नीले और पीले रंग की टोपी पहनते हैं जो अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हैं। भक्तों को प्रसाद चढ़ाने का मौका देने के लिए जुलूस अक्सर रुकते हैं। जब पालकी विभिन्न मार्गों से आसन पर पहुँचती है, तो द्य: लवाकेगु नामक त्योहार आयोजित किया जाता है। द्य: लवाकेगु के दौरान मंदिरों के साथ आने वाले प्रतिभागी ज्वलनशील मशालों का आदान-प्रदान करते हैं। चटनमरी के नाम से जानी जाने वाली चावल की चपटी रोटी चौक के चारों ओर घरों की छतों से पालकी पर बिखेरी जाती है। त्योहार तीन अजीमा देवी की बैठक को फिर से लागू करता है जो आपस में बहनें हैं।[7][8]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Sāyami, Dhūsvām (1972). The Lotus & the Flame: An Account on Nepalese Culture. Kathmandu: Department of Information, Ministry of Communication, HMG, Nepal. पृ॰ 35.
  2. "आज पाहाँ चह्रे, जमिनमुनि लुकेर बसेको महादेवलाई पूजा गरिँदै". pahilopost.com. अभिगमन तिथि 20 नवम्बर 2021.
  3. Sāyami, Dhūsvām (1972). The Lotus & the Flame: An Account on Nepalese Culture. Kathmandu: Department of Information, Ministry of Communication, HMG, Nepal. पृ॰ 35.
  4. Singh, Ekaram (2006). "Swetkali Dance of Naradevi". प्रकाशित Prajapati, Subhash Ram (संपा॰). The Masked Dances of Nepal Mandal. Madhyapur Art Council. पृ॰ 21. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 99946-707-0-0.
  5. "Ghode Jatra being marked today". Republica. Kathmandu. 30 March 2014. अभिगमन तिथि 2 April 2014.
  6. Bajracharya, Chunda (2000). Newa Tajilajii Nakhachakha [Festivals in Newar Culture] (Newari में). Kathmandu: Nepal Bhasa Academy. पपृ॰ 190–196.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  7. Sāyami, Dhūsvām (1972). The Lotus & the Flame: An Account on Nepalese Culture. Kathmandu: Department of Information, Ministry of Communication, HMG, Nepal. पृ॰ 33.
  8. "Paha Chahre festival celebrated in the UK". Republica. Kathmandu. 3 April 2014. अभिगमन तिथि 3 April 2014.