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पास्तेरीकरण

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पास्तरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थ (जैसे दूध और फलों के रस) को हल्की गर्मी से उपचारित किया जाता है, साधारणतः रोगजनकों को खत्म करने और दराज जीवन का विस्तार करने के लिए 100 डिग्री सेल्सियस से कम। इस प्रक्रिया का उद्देश्य उन जीवों और प्रकिण्वों को नष्ट या निष्क्रिय करना है जो खाद्य विकृति होने या रोगों में योगदान करते हैं, जैसे वनस्पति जीवाणु लेकिन अंतर्बीजाणु नहीं।[1]

इस प्रक्रिया का नाम फ्रांसीसी सूक्ष्म जैवविज्ञानी, लुई पास्तर के नाम पर रखा गया था, जिनके 1860 के दशक में शोध से पता चला था कि ऊष्ण प्रसंस्करण शराब में अवांछित सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय कर देगा। पास्तरीकरण के दौरान खाद्य विकृति के प्रकण्वों निष्क्रिय हो जाते हैं। आज, खाद्य संरक्षण और खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए डेयरी उद्योग और अन्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में पास्तरीकरण का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

सन्दर्भ

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  1. Tewari, Gaurav; Juneja, Vijay K. (2007). Advances in thermal and non-thermal food preservation. Library Genesis. Ames, Iowa : Blackwell Pub. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8138-2968-5.