पाबूजी की फड़

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पाबूजी की फड़
संबंध हिन्दू
निवासस्थान राजस्थान
शास्त्र पाबूजी की कहानी
क्षेत्र राजस्थान

पाबूजी की फड़ जो एक वस्त्र पर बनाई गई चित्रकारी है। फड़ को पड़ के रूप में भी बोला जाता है। इनकी स्मृति में प्रतिवर्ष जैसलमेर के पास प्राचीन गांव कारियाप में पड़-महोत्सव के रूप में एक मेले का आयोजन होता है तथा यह रावणहत्था नामक वाद्य यंत्र के साथ गायी जाती हैं। कला भारतीय राज्य राजस्थान में अत्यधिक प्रसिद्ध है।[1][2]

इतिहास[संपादित करें]

पाबूजी की छवि, राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में

पाबूजी राठौङ का सम्बन्ध राठौङ राजवंश से था तथा लोक-देवता के रूप में पूजे जाते हैं। यह 14वीं सदी (16वीं सदी में भी उल्लेख किया गया है) राजस्थान के फलोदी तहसील के कोलू नामक दूरदराज़ के गाँव में रहते थे। इनका विवाह अमरकोट (पाकिस्तान) के सोढा की पुत्री के साथ हुआ परन्तु देवल चारणी नामक महिला की गायों की रक्षार्थ फेरो के बीच ही युद्ध मे चले गये और वीरगति को प्राप्त हुए। पश्चिम राजस्थान मे राजपूत, भील, एवं राईका समाज मे इनकी अधिक महता है ।्षी

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Dalrymple, William (2009). Nine Lives. The Singers of Epics. Bloomsbury Publishing Plc. पपृ॰ 96–97. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-4088-0153-1. मूल से 29 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-06-13.
  2. "The bhopas of Rajasthan". The National. 2009-09-04. मूल से 22 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-06-13.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]