पाठ प्रस्तावना
पाठ प्रस्तावना (Introducing a lesson) या पाठ योजना (lesson plan) शिक्षक द्वारा किसी पाठ के लिए अनुदेशन के पाठ्यक्रम या "सीखने के मार्ग" का विस्तृत विवरण है। कक्षा में शिक्षण को निर्देशित करने के लिए शिक्षक द्वारा एक दैनिक पाठ योजना तैयार की जाती है। यह विवरण शिक्षक की पसंद, पढ़ाए जाने वाले विषय और छात्रों की आवश्यकताओं के आधार पर अलग-अलग होंगे। पाठ योजना एक विशेष पाठ को पढ़ाने के लिए शिक्षक की मार्गदर्शिका है। इसमें ये चीजे शामिल है - लक्ष्य (छात्रों को क्या सीखना चाहिए), लक्ष्य तक कैसे पहुँचा जाएगा (विधि, प्रक्रिया), और यह मापने का तरीका कि लक्ष्य कितनी अच्छी तरह से प्राप्त हुआ ( परीक्षण, कार्यपत्रक, गृहकार्य आदि)। [1]
प्रस्तावना कौशल ( Introduction Skill), शिक्षण प्रक्रिया की नींव है। प्रस्तावना कौशल, सूक्ष्म शिक्षण का प्रथम कौशल है जिसको शिक्षण प्रक्रिया में छात्राध्यापकों को शिक्षण हेतु तैयार करने के लिए सीखाया जाता है। किसी भी प्रकरण का आरम्भ करने से पूर्व प्रस्तावना प्रश्नों की श्रेणियों का निर्माण किया जाता है जिसमें 3-4 प्रश्नों का चयन किया जाता है। प्रथम प्रश्न से जिस उत्तर की प्राप्ति होती है उसी के आधार पर दूसरे प्रश्न का निर्माण किया जाता है जिससे छात्रों को समझने में सरलता हो सके और वे सरलता से प्रश्नों के उत्तर दे सकें। प्रश्न पूछते समय शिक्षक को यह ध्यान देना चाहिए कि कक्षा अनुशासन में रहे। जब प्रश्न पूछा जाए तो छात्र पूरे वाक्य में उत्तर दें और उत्तर देने से पूर्व जिन छात्रों को उस प्रश्न का उत्तर पता हैं, वह अपना हाथ ऊपर उठाएं। यदि सभी छात्र उत्तेजित होकर उत्तर देने लग गए तो ऐसे में कक्षा में अनुशासनहीनता का वातावरण बन जाएगा जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है।
प्रस्तावना कौशल को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे 'पाठोपस्थापन कौशल', 'विषयाभिमुख कौशल', 'विन्यास प्रेरण कौशल', 'प्रेरणा कौशल' , 'उत्प्रेरणा उपक्रम कौशल' आदि।
प्रस्तावना कौशल के उद्देश्य
[संपादित करें]अध्यापक का उद्देश्य पाठ आरम्भ करते समय केवल रुचि उत्पन्न करना ही नहीं होता बल्कि पूर्व अनुभवों को जाग्रत कर उसका उपयोग भी करना होता है। प्रस्तावना कौशल के प्रमुख उद्देश्य ये हैं-
- छात्रों को यह बताना कि आज हम क्या पढ़ने वाले हैं,
- छात्रों के पूर्वज्ञान का पता लगाना
- पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान से जोड़ना (पूर्वज्ञान से नवीन ज्ञान की ओर तथा ज्ञात से अज्ञात की ओर ले आना),
- छात्रों में रुचि जागृत करना,
- पढ़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना,
- छात्रों का ध्यान केन्द्रित करना
- उत्साहित करना,
- उद्देश्य कथन
प्रश्नों की संख्या ५ से ७ होनी चाहिए। पूर्व ज्ञान का प्रयोग करते हुए कक्षा में सक्रियता बढ़ायें। समुचित विधि का प्रयोग कर अध्यापन को रोचक बनाना चाहिये। प्रकरण तथा कक्षा स्तर को ध्यान में रखकर उपयुक्त विधि का चयन करना चाहिये। अन्त में सम्भावित/समस्यात्मक प्रश्न पूछना चाहिये।
प्रस्तावना कौशल के घटक
[संपादित करें]- पूर्व ज्ञान से संबंधित कथन (Statements related To Previous Knowledge)
- विषय-वस्तु व उसके उद्देश्यों से संबंधित कथन (Statements related To Content And Its Objectives)
- कथनों में शृंखलाबद्धता (Proper sequence in statements)
- छात्रों में प्रेरणा व रुचि पैदा करने की क्षमता (Capability Of Creating Motivation And Interest In Students)
- उचित सहायक सामग्री का प्रयोग (Using Proper Teaching Aid)
- उद्देश्य-कथन उचित रूप से कहना (Making the statement of aim properly)
सावधानियाँ
[संपादित करें]प्रस्तावना कौशल के समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिये-
- प्रस्तावना प्रश्न छात्रों के पूर्वज्ञान से संबंधित होने चाहिए, अन्यथा प्रकरण शुरू करने से पहले ही छात्रों के मन मे दुविधा व्याप्त होने लग जाएगी जिससे वे उस प्रकरण को समझने में रुचि नही लेंगे।
- प्रस्तावना प्रश्नों में क्रमबद्धता होनी चाहिए। प्रत्येक प्रश्न से उत्पन्न उत्तर के आधार पर ही अगले प्रश्न का निर्माण किया जाना चाहिए।
- प्रश्न पूछने की गति में स्थिरता होनी चाहिए। छात्रों को उत्तर देने में अधिक समय नहीं लगना चाहिए और प्रश्नों के उत्तर हाँ और ना में नहीं होने चाहिए।
- प्रस्तावना प्रश्नों की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे छात्र प्रश्नों को आसानी से समझ सकें और उनके उत्तर दे सकें।
- प्रश्नों के प्रवाह के समय शिक्षण सहायक सामग्री का भी उचित प्रयोग किया जाना चाहिए, जिससे छात्र उसमें रुचि ले सकें। प्रश्नों की संख्या 3 से 6 होनी चाहिए।
- प्रश्न पूछ लेने के पश्चात उद्देश्य-कथन छात्रों में जिज्ञासा पैदा करने वाला होना चाहिए, जिससे प्रकरण को जानने और समझने में उनमें उत्सुकता बढ़ सके।
- प्रश्न व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होने चाहिए और प्रश्न के प्रवाह के समय शिक्षक को उत्साह का भाव अभिव्यक्त करना चाहिए।
- प्रश्नों का प्रवाह उचित गति के साथ होना चाहिए। शिक्षक को अपनी आवाज ऊँची और स्पष्ट रखनी चाहिए जिससे पीछे बैठे छात्र भी आसानी और स्पष्टता के साथ सुन सकें।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "What Is A Lesson Plan?". English Club. अभिगमन तिथि 15 October 2014.