पाकिस्तान में बलात्कार

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पाकिस्तानी विधियों के अन्तर्गत पाकिस्तान में बलात्सङ्ग (जिसे आम भाषा में बलात्कार भी कहा जाता है) के लिए मृत्युदण्ड या फिर 10-25 वर्ष के बीच कारावास है। सामूहिक बलात्सङ्ग से सम्बन्धित मामलों के लिए दण्ड या तो मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास है।[1] पाकिस्तान में बलात्सङ्ग के मामलों में मुकदमा चलाने के लिए डीएनए परीक्षण और अन्य वैज्ञानिक साक्ष्यों का उपयोग किया जाता है।[2][3][4][5]

मुख्तारन बीबी के राजनीतिक रूप से स्वीकृत बलात्सङ्ग के बाद पाकिस्तान में बलात्सङ्ग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया।

पाकिस्तान में बलात्सङ्ग के कम से कम 11 केस प्रतिदिन दर्ज किए जाते हैं, 2015-2020 में 22,000 से अधिक रिपोर्ट दर्ज की गयीं; हालाँकि, 2020 के अंत में, उन मामलों में से केवल 4,000 केस ही न्यायालय में गये थे। आलोचकों का कहना है कि देश में दण्ड की दर कम है क्योंकि पाकिस्तान में बलात्सङ्ग के केसों में मुकदमा चलाने में सालों लग जाते हैं। निचले न्यायालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और राजनीतिक प्रभाव भी बलात्सङ्गी (बलात्कारी) को दण्ड से बचने में सहायता करता है।

इतिहास[संपादित करें]

1947 से 1979[संपादित करें]

1979 से पहले पाकिस्तान दण्ड संहिता की धारा 375 में कहा गया था कि सहमति प्राप्त होने पर भी 14 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ यौन कृत्यों को प्रतिबन्धित कर दिया गया है।[6] इसके पश्चात् भी पिछला कानून यह भी कहता है कि विवाह के दौरान बलात्सङ्ग तब तक बलात्सङ्ग नहीं माना जायेगा यदि पत्नी की आयु 14 वर्ष से अधिक है।[6]

1979 में ज़िना अपराध (हुदूद-प्रवर्तन) अध्यादेश 1979 (जारकर्म अपराध (हुदूद-प्रवर्तन) अध्यादेश) के पारित होने से पाकिस्तानी विधायिका ने देश के इतिहास में पहली बार बलात्सङ्ग और जारकर्म (Adultery) को अपराध बनाया।[6] अध्यादेश ने ऐसे अपराधों के लिए दण्ड को कारावास और आर्थिक दण्ड से बदलकर पत्थर मारने से मृत्युदण्ड में बदल दिया।

अध्यादेश के अनुसार, बलात्सङ्ग को इस प्रकार परिभाषित किया गया है :[6]

  • व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करना
  • व्यक्ति ने सम्भोग में भाग लेने के लिए सम्मति नहीं दी
  • अपराधी पीड़ित को डरा धमका कर, चोट पहुँचाकर या उपहति के भय डालकर पीड़ित की सहमति अभिप्राप्त करता है।
  • अपराधी और पीड़िता का विवाह न हुआ है

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Protection of Women (Criminal Laws Amendment) Act, 2006". pakistani.org. 1 December 2006. मूल से 22 November 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 August 2020.
  2. "Criminal Law (Amendment) (Offense of Rape) Act 2016". The Punjab Commission on Status of Women. अभिगमन तिथि 4 August 2020.
  3. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; bbc_rape_bill नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  4. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; pakobserver नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; newindianexpress नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  6. Noor, Azman bin Mohd (2012-07-15). "Prosecution of Rape in Islamic Law: A Review of Pakistan Hudood Ordinance 1979". IIUM Law Journal. 16 (2). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2289-7852. डीओआइ:10.31436/iiumlj.v16i2.55.