पर्यावास विखंडन

पर्यावास विखंडन (habitat fragmentation) किसी जीव के पर्यावास क्षेत्र में प्रतिकूल परिस्थिति के उपक्षेत्र बन जाने से उसके कई अलग-थलग खंड बन जाने की प्रक्रिया को कहते हैं। यह खंड एक-दूसरे से जुड़े नहीं होते और जीव न तो इन खंडों के बीच सहजता से आ-जा सकता है, न अन्य खंडों में रहने वाले अपनी जीववैज्ञानिक जाति के अन्य जीवों के साथ प्रजनन कर सकता है और न ही सभी खंडों के प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करने में सक्षम होता है।[1]
इस विखंडन से जीवों की आबादी भी विखंडित हो जाती है। फलस्वरूप जीवों की संख्या कम हो जाती है। कुछ परिस्थितियों में वह जाति विलुप्ति की कागार पर आ जाती है। यदि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे शताब्दियों या हज़ारों वर्षों में भूवैज्ञानिक कारणों से हो तो एक जाति के विभाजन से नई जाति भी उत्पन्न हो सकती है। आधुनिक काल में मानवीय हस्तक्षेप से हुए पर्यावास विखंडन के कारण वन्य जीवन को भारी हानि पहुँची है।[2][3]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Sahney, S., Benton, M.J. & Falcon-Lang, H.J. (2010). "Rainforest collapse triggered Pennsylvanian tetrapod diversification in Euramerica" (PDF). Geology. 38 (12): 1079–1082. doi:10.1130/G31182.1. Archived from the original on 11 अक्तूबर 2011. Retrieved 18 अप्रैल 2018.
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(help)CS1 maint: multiple names: authors list (link) - ↑ Lienert, Judit (July 2004). "Habitat fragmentation effects on fitness of plant populations – a review". Journal for Nature Conservation. 12 (1): 53–72. doi:10.1016/j.jnc.2003.07.002.
- ↑ Simberloff, Daniel (1 January 1998). "Small and Declining Populations". Conservation Science and Action (in अंग्रेज़ी). Blackwell Publishing Ltd.: 116–134. doi:10.1002/9781444313499.ch6.