पर्यावरणीय निश्चयवाद

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

पर्यावरणीय निश्चयवाद अथवा पर्यावरणीय नियतिवाद मानव भूगोल की एक प्रमुख विचारधारा है जिसमें यह माना जाता है कि पर्यावरण ही किसी क्षेत्र के मानव एवं समाज की भौतिक एवं बौद्धिक अभिलक्षणों को निर्धारित करता है। मानव भूगोल में इसके प्रणेता जर्मन भूगोलवेत्ता फ्रेड्रिक रेटजेल थे हालाँकि, इस तरह के विचार कि पर्यावरण मानव के गुणों को नियंत्रित करता है पहले भी चीनी विद्वान् गुआंग झांग, यूनानी दार्शनिक हिप्पोक्रेटीज और अरब विद्वान् अल-जाहिज़ तथा इब्न-खाल्दून जैसे लोग व्यक्त कर चुके थे। इस विचारधारा में प्रकृति को मानवीय जीवन के नियंता के रूप में स्थापित किया गया था। इसे जलवायवीय निश्चयवाद अथवा भूगोलीय निश्चयवाद के नाम से भी जाना जाता है।

अमेरिका में इस विचारधारा की अगुवा एलेन चर्चिल सेम्पल थीं जो रेटजेल की शिष्या थीं।

मानव भूगोल का एक अन्य मत इसी निश्चयवाद के विरोध स्वरुप उभरा जिसे फ्रांसीसी स्कूल के ब्लाश, फेव्रे और जीन ब्रून्स इत्यादि विद्वानों ने प्रतिपादित किया और जो संभववाद के नाम से जाना गया। वर्तमान में निश्चयवाद की प्रमुख आलोचना इस आधार पर की जाती है कि इसने औपनिवेशिक काल में अफ्रीकी एशियाई लोगों के ऊपर यूरोपियन लोगों की नृजातीय श्रेष्ठता को सही ठहराने में वैचारिक रूप से योगदान किया। बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में यही पुराना निश्चयवाद पुनः नव-पर्यावरणीय निश्चयवाद के रूप में उभरा जिसमें एंड्रयू स्ल्यूटर जैसे विद्वानों का योगदान रहा।