परजीवी विज्ञान

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:59, 2 फ़रवरी 2017 का अवतरण (बॉट: वर्तनी एकरूपता।)

परजीवीयों के अध्ययन को परजीवी विज्ञान कहते हैं|

वयस्क काली मक्खी (सिमुलियम याहेंस) संग ऑनकोसेर्का वॉल्व्युलस (Onchocerca volvulus) कृमि के एण्टिना से निकलता हुआ। यह परजीवी अफ्रीका में रिवर ब्लाइंडनैस (नदी अंधता) नामक रोग के लिये उत्तरदायी होता है। यह नमूना रासायनिक विधि से जमाया व क्रिटिकल बिंदु तक सुखाया हुआ है। फिर परंपरागत स्कैनिंग इलैक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा गया। 100X (सौ गुणा) आवर्धित चित्र

परजीवी विज्ञान परजीवों सहित उनके मेजबान (होस्ट), तथा उनके बीच के संबंध का अध्ययन है। जीव विज्ञान के विषय के तौर पर, परजीवी विज्ञान का विस्तार, चर्चित प्राणी या उसके वातावरण पर निर्भर नहीं होता, वरन उनके जीवन के तरीके पर निर्भर होता है। अतएव यह अन्य विषयों के, संयोजन से बना है; व कई उप-विषयों की तकनीकों पर आधारित है, जैसे कोशिका जैविकी, सूचना-जैविकी, जैवरासायनिकी आण्विक जैविकी, इम्युनोलॉजी, अनुवांशिकी, विकासवाद एवं पारिस्थितिकी

जीवन की पद्धति पृथ्वी पर सर्व सामान्य है। जिसमें सभी प्रधान टैक्सा के प्रतिनिधि सम्मिलित हैं, जो साधारणतम एक कोशिकीय जीव से लेकर जटिल कशेरुकियों तक हो सकते हैं। प्रत्येक मुक्त-जीव जाति की अपनी अनुपम परजीवी प्रजातियां होतीं हैं।

पारजैविकी के प्रकार

इन विभिन्न प्रकार के जीवों के अध्ययन में; विषय, छोटी व साधारणतर इकाईयों में बँट जाता है, जिन पर अधिक ध्यानाकर्षण होता है, व जो समान तकनीकें प्रयोग करते हैं, भले ही अध्ययनकर्ता समान रोग या जीवों का अध्ययन ना कर रहें हों। इस विज्ञान में अत्यधिक शोध के परिणामस्वरूप यह इन दो या अधिक परिभाषाओं से वर्णित हो पाता है। सामान्यतः प्रोकैर्योट्स का अध्ययन जीवाणु विज्ञान के अन्तर्गत आता है, ना कि परजीवी विज्ञान के।


आयुर्विज्ञान पारजैविकी

परजीवी विज्ञान की प्राचीनतम श्रेणी, आयुर्विज्ञान या चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित है। यह मानव को प्रभावित/संक्रमित करने वाले परजीवियों का अध्ययन होता है। इसमें निम्न क्षेत्र आते हैं:-

  • एककोशिकीय जीवों का अध्ययन (प्रोटोज़ोऑलोजी), जैसे प्लाज़मोडियम स्पिसशिज़, जिससे मलेरिया होता है। चार भिन्न प्रकार के मलेरिया परजीवी हैं, प्लाज़मोडियम फैल्सिपैरम (Pl.falciparum), प्लाज़मोडियम मैलेराय (Pl.malariae), प्लाज़मोडियम वाइवैक्स (Pl.vivax) & प्लाज़मोडियम ओवेल (Pl.ovale)।
  • लिश्मेनिया डोनोवानी (Leishmania donovani), एककोशीकीय जीव, जिससे लेइश्मेनियैसिस होता है।
  • बहुकोशिकीय जीवों का अध्ययन (हैल्मिंथोलॉजी), जैसे स्किस्टोसोमा स्पीशिज़, व्यूचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी एवं हुकवर्म।

चिकित्सा परजैविकी से औषधि विकास, महामारी विज्ञान व ज़ूनोसिस (पशुजनित रोगों) के अध्ययन संबंधित हैं।

पशु परजैविकी

जो परजीवी कृषि आदि को आर्थिक हानि पहुँचाते हैं, या पशुओं में संक्रमण करते हैं; उनका अध्ययन पशु परजैविकी कहलाता है। इसमें अधय्यन की जाने वाली प्रजातियों में से कुछ हैं:

  • ल्यूसीलिया सेरिकैटा, एक मक्षिका, जो फार्म के पशुओं की खाल पर अण्डे देती है। इनमें से कीड़े निकल कर, खाल में छेद करके अंदर मांसपेशियों तक घुस जाते हैं, व पशु को परेशान करते हैं।
  • ओटोडैक्टेस साइनोटिस, एक बिल्ली, जो सैंकर के लिये उत्तरदायी है।
  • जायरोडैक्टाइलस सैलेरिस , साल्मन का एक मोनोजीनियन परजीवी, जो कि अप्रतिरोधी होने पर एक पूरे के पूरे साल्मन समाज को ही नष्ट कर देता है।

ऐम्फीस्टोम्स

परिमाणात्मक पारजैविकी

होस्ट (आतिथेय) विशिष्टों के बीच, परजीवी एक संग्रहीत वितरण दर्शाते हैं, इस प्रकार परजीवियों का बाहुल्य, अल्पसंख्यक होस्ट में रहते हैं। इस गुण के कारण, पारजीविज्ञ उन्नत जैवसंख्यिकी प्रणालियां प्रयोग कर सकते/पाते हैं।

संरचनाकृत पारजैविकी

यह परजीवियों के प्रोटीनों की संरचना का अध्ययन होता है। पारजैविक प्रोटीन संरचना का निर्धारण यह जानने में मदद करता है, कि ये प्रोटीन किस प्रकार मानवों में उपस्थित होमोलॉगस प्रोटीनों से भिन्न कार्यरत है। साथ ही प्रोटीन संरचना औषधि खोज की प्रक्रिया में सहायक होतीं हैं।

परजीवी पारिस्थितिकी

परजीवी होस्ट जनसंख्या पारिस्थितिकी के बारे में सूचना भी उपलब्ध कराते हैं। मत्स्य उद्योग जैविकी में, उदा० परजीवी समुदाय को समान मत्स्य उपजाति की विशिष्ट जनसंख्या को पहचानने के लिये प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही परजीवियों में विशेष गुणों की संगति तथा जीवन शैली होती है, जो उन्हें होस्ट में स्थान बनाने को अग्रसर करती व सहायक होतीं हैं। पारजैविक पारिस्थितिकी के पहलुओं को समझना होस्ट द्वारा परजीवी से बचने की रणनीति पर प्रकाश डाल सकता है।

टैक्सोनोमी एवं फायलोजैनेटिक्स

परजीवियों में वृहत भिन्नता, जीव वैज्ञानिकों के लिये उनका वर्णन करना तथा उन्हें नामावली बद्ध करना एक बड़ी चुनौती उपस्थित करती है। हाल ही में हुए विभिन्न जातियों को पृथक करने, पहचानने व विभिन्न टैक्सोनॉमी पैमानों पर उनके विभिन्न समूहों के बीच संबंध ढ़ूढने हेतु डी॰एन॰ए॰ प्रयोग पारजैवज्ञों के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण व सहायक रहे हैं।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियां

साँचा:जीव विज्ञान- फुटर