पनमबूर

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पनमबूर बीच

यह कर्नाटक का वो हिस्सा है जहां अरब सागर काफी खतरनाक माना जाता रहा है। समुद्र के उग्र रूप और तेज़ प्रवाह की वजह से मंगलौर की इस तटरेखा पर सैलानियों का आना कुछ समय पूर्व तक जाना नहीं के बराबर ही रहा। चूंकि इस तटीय इलाके नें कई हादसे देखे हैं इसलिए सैलानियों को ये इलाका दूसरी जगहों से ज्यादा असुरक्षित लगता रहा है। मंगलौर के नगर निगम के अनुसार 2008 तक समुद्र के इस किनारे पर हर साल मरने वालों की संख्या 28 से 30 के करीब थी। हालाकि आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 2011 में ही भारत के दूसरे तटीय इलाकों में 28 हजार लोगों की डूबने से मौतें हुई हैं। सिर्फ मुंबई के वर्सोवा, सांताक्रूज़ और जूहू बीचों पर हर साल डूबने से हुई मौतों का औसत लगभग 23 है। गोवा में ये औसत 12 का है। जहां गोवा में वर्ष 2011 में डूबने से 12 मौतें हुईं हैं, वहीं पनमबूर बीच को अब भारत में सबसे सुरक्षित बीच माना जाता है। आज अरब सागर के इस तट पर हादसे शून्य तक आ गए हैं और ये बीच सैलानियों से भरा होने लगा है।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]