वाई वी चंद्रचूड़

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न्यायमूर्ति
यशवंत विष्णु चंद्रचूड़

पद बहाल
22 फरवरी 1978 – 11 जुलाई 1985
नियुक्त किया नीलम संजीव रेड्डी
पूर्वा धिकारी मिर्जा हमीदुल्ला बेग
उत्तरा धिकारी पी एन भगवती

जन्म 12 जुलाई 1920
पुणे, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 14 जुलाई 2008(2008-07-14) (उम्र 88)
मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
जीवन संगी प्रभा

न्यायमूर्ति यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, संक्षिप्त में वाई. वी. चंद्रचूड़ भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं।[1] यशवंत चंद्रचूड़ ने अपने एक महत्वपूर्ण मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को वैध कहा और जारता पर पुरुष को दोषी माना था। वह सबसे अधिक समय तक ( २२ फरवरी १९७८ से ११ जुलाई १९८५ तक २६९६) दिन तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

चंद्रचूड़ नूतन मराठी विद्यालय हाई स्कूल, एल्फिंस्टन कॉलेज और आईएलएस लॉ कॉलेज, पुणे में शिक्षित थे। न्यायमूर्ति वाई. वी. चंद्रचूड़ बंबई अस्पताल में भर्ती होने के तुरंत बाद 14 जुलाई 2008 को मृत्यु हो गई। वह अपनी पत्नी प्रभा, उनके बेटे धनंजय यशवंत चंद्रचूड़,[2] 2022 भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश और उनकी बेटी निर्मला में भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए उनकी पत्नी बन गए हैं। उनके पोते चिंतन चंद्रचूड़ एक कानूनी विद्वान और लेखक हैं।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "Justice Chandrachud keeps running into father's rulings". मूल से 9 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 सितंबर 2018.
  2. "Chandrachud vs Chandrachud: Son Overrules Father's Judgment, Yet Again". मूल से 30 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 सितंबर 2018.
न्यायिक कार्यालय
पूर्वाधिकारी
मिर्जा हमीदुल्ला बेग
भारत के मुख्य न्यायाधीश
22 फरवरी 1978 – 11 जुलाई 1985
उत्तराधिकारी
पी एन भगवती