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नॉर्वेजियन सिनेमा

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नॉर्वे का एक सिनेमाघर
मतियास तोर्दाल ब्लेमन (Mathias Tørdal Bleymann) नॉर्वे के एक युवा अभिनेता और संगीत-नाटक कलाकार हैं, जिनका जन्म 1998 में हुआ था। उन्होंने 27 जून 2022 को ओस्लो में "Mathias Tørdal Bleymann Skuespiller" नामक एकल स्वामित्व वाली कंपनी की स्थापना की, जो नाट्य कला में प्रदर्शन और मनोरंजन गतिविधियों में संलग्न है ।​ उनकी फिल्मोग्राफी में "Thomas vs. Thomas (A Sensational Theory Regarding an Insignificant Life in the Multiverse)" (2022) जैसी फिल्में शामिल हैं ।​ मतियास तोर्दाल ब्लेमन की कला और अभिनय के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें नॉर्वे के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक उभरते हुए कलाकार के रूप में प्रस्तुत करती है।​

नॉर्वेजियन सिनेमा का एक समृद्ध और विविध इतिहास है, जिसमें पारंपरिक और समकालीन कथा कहने की शैलियों का मिश्रण है। यह अपनी नॉर्डिक सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक फिल्म निर्माण तकनीकों के साथ जोड़ता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से पहचान प्राप्त कर रहा है। नॉर्वेजियन सिनेमा के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

प्रारंभिक सिनेमा और मूक फिल्म युग

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  • मूक फिल्म युग: दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह, नॉर्वे का शुरुआती फिल्म इतिहास मूक फिल्मों द्वारा चिह्नित था। नॉर्वे की पहली फीचर फिल्म Folkets Røst (1908) को एक मील का पत्थर माना जाता है।[1]
  • स्वर्ण युग: 1950 और 1960 के दशक में, नॉर्वेजियन सिनेमा में लोकप्रियता में वृद्धि हुई, और पाल बैंग-हैंसन और जेंस आर. निल्सन जैसे निर्देशकों ने अपनी फिल्मों के लिए पहचान बनाई।

प्रमुख शैलियाँ और आंदोलन

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  • यथार्थवाद: नॉर्वेजियन सिनेमा पर अक्सर यथार्थवादी दृष्टिकोण का प्रभाव होता है, जो व्यक्तिगत संघर्षों, ग्रामीण जीवन और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रहता है। निर्देशकों जैसे केल सन्डवॉल और एन्ने सेविट्सकी ने अपनी फिल्मों में मानव स्वभाव और रिश्तों के विषयों की जांच की है।
  • ऐतिहासिक और राजनीतिक फिल्में: नॉर्वे ने ऐसी फिल्में बनाई हैं जो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को उजागर करती हैं, विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसकी भूमिका। उदाहरण के तौर पर मैक्स मैनस (Max Manus: Man of War (2008))[3], जो नॉर्वेजियन प्रतिरोध सेनानियों की कहानी बताती है।

समकालीन सिनेमा

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  • जोआचिम ट्रियर आज के नॉर्वेजियन सिनेमा के प्रमुख निर्देशकों में से एक हैं। उनकी फिल्में जैसे रिप्राइज़ (Reprise (2006)), ओस्लो, अगस्त 31, (2011)[4], और थेलमा (2017)[5] अपने विचारशील कथा कहने के लिए अंतरराष्ट्रीय सराहना प्राप्त कर चुकी हैं और अस्तित्ववादी विषयों की जांच करती हैं।
  • एस्किल वोग्ट, जो ट्रियर के साथ अक्सर सहयोग करते हैं, ने भी अपनी पहचान बनाई है, विशेष रूप से अपनी पहली फीचर फिल्म मासूम लोग (The Innocents (2021))[6] के लिए, जो असाधारण क्षमताओं वाले बच्चों के बारे में एक अलौकिक थ्रिलर है।

फिल्म समारोह और पहचान

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नॉर्वेजियन फिल्मों को वैश्विक फिल्म समारोहों में पहचान मिली है, जिसमें कान, बर्लिन, और टोरंटो जैसे प्रमुख समारोह शामिल हैं। हॉगसेन में नॉर्वेजियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और ओस्लो फिल्म्स फ्रॉम द साउथ फेस्टिवल नॉर्वे में प्रमुख कार्यक्रम हैं जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों को प्रदर्शित करते हैं।[7][8][9]

नॉर्वेजियन सिनेमा के विषय

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  • प्राकृतिक सौंदर्य: नॉर्वे के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य कई फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो पात्रों की भावनात्मक स्थितियों का प्रतीक होते हैं या नाटकीय घटनाओं के लिए एक पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं।[10]
  • अलगाव और अकेलापन: देश के विशाल ग्रामीण क्षेत्रों और अंधेरे सर्दियों के कारण, नॉर्वेजियन फिल्मों में अक्सर अलगाव और आत्म-विश्लेषण के विषय होते हैं।
  • सामाजिक मुद्दे: कई फिल्में मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संबंधों और लिंग भूमिकाओं जैसे सामाजिक मुद्दों का अन्वेषण करती हैं, और यथार्थवाद पर जोर देती हैं। प्रमुख शैलियाँ और आंदोलन
  • यथार्थवाद: नॉर्वेजियन सिनेमा पर अक्सर यथार्थवादी दृष्टिकोण का प्रभाव होता है, जो व्यक्तिगत संघर्षों, ग्रामीण जीवन और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रहता है।[11] निर्देशकों जैसे केल सन्डवॉल और एन्ने सेविट्सकी ने अपनी फिल्मों में मानव स्वभाव और रिश्तों के विषयों की जांच की है।
  • नॉर्वेजियन हॉरर: नॉर्वे ने हॉरर शैली में भी अपनी पहचान बनाई है, जैसे कि ट्रोलहन्टर् (2010), एक फाउंड-फुटेज शैली की फिल्म, जिसे आंद्रे ओवरेडाल ने निर्देशित किया[12], और दी वेव (2015), एक आपदा फिल्म, जिसे रोअर उतहॉग ने निर्देशित किया, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हो गईं।
  • ऐतिहासिक और राजनीतिक फिल्में: नॉर्वे ने ऐसी फिल्में बनाई हैं जो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को उजागर करती हैं, विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसकी भूमिका। उदाहरण के तौर पर Max Manus: Man of War (2008), जो नॉर्वेजियन प्रतिरोध सेनानियों की कहानी बताती है।

सन्दर्भ

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