नेशनल हेराल्ड प्रकरण
नेशनल हेराल्ड प्रकरण वर्तमान समय (दिसम्बर २०१५) में जारी एक मुकदमा है जिसे भारत के प्रसिद्ध राजनेता सुब्रमनियन स्वामी ने सोनिया गाँधी, राहुल गांधी एवं उनकी कम्पनियों एवं उनसे सम्बन्धित अन्य लोगों के विरुद्ध आरम्भ किया है। इस मामले में गांधी परिवार को एक बहुत बड़ा झटका तब लगा जब प्रवर्तन निदेशालय नें ६४ करोड़ रूपए की सम्पत्ति को स्थायी रूप से कुर्क कर दिया। ये सम्पत्तियाँ हरियाणा के पंचकुला में हैं। [1][2]
आरोप एवं इतिहास
[संपादित करें]सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग कर रहा है जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए। कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे। तब से इस आदेश की तामील लंबित है।
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी से लोन देने के नाम पर नेशनल हेराल्ड की दो हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली। कांग्रेस ने पहले नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को 26 फरवरी, 2011 को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। इसके बाद पांच लाख रुपये से यंग इंडिया कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास है। इसके बाद के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडिया को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडिया को कांग्रेस का ऋण चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडिया को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड के 99 प्रतिशत शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का ऋण भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडिया को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया।
सुब्रमण्यम स्वामी के प्रश्न
[संपादित करें]- सोनिया-राहुल की कंपनी यंग इंडिया ने दिल्ली में सात मंजिला हेराल्ड हाउस को किराये पर कैसे दिया? इसकी दो मंजिलें पासपोर्ट सेवा केंद्र को किराये पर दी गईं जिसका उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने किया था। यानि यंग इंडिया किराये के तौर पर भी बहुत पैसा कमा रही है।
- राहुल ने एसोसिएटेड जर्नल में शेयर होने की जानकारी 2009 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में छुपाई और बाद में 2 लाख 62 हजार 411 शेयर प्रियंका गांधी को ट्रांसफर कर दिए। राहुल के पास अब भी 47 हजार 513 शेयर हैं।
- 20 फरवरी 2011 को बोर्ड के प्रस्ताव के बाद एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को शेयर हस्तांतरण के माध्यम से यंग इंडिया को कैसे ट्रांसफर किया गया जबकि यंग इंडिया कोई अखबार या जर्नल निकालने वाली कंपनी नहीं है।
- कांग्रेस द्वारा एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को बिना ब्याज 90 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज कैसे दिया गया जबकि यह गैर-कानूनी है क्योंकि कोई राजनीतिक पार्टी किसी भी व्यावसायिक काम के लिए कर्ज नहीं दे सकती।
- जब एसोसिएटेड जर्नल का ट्रांसफर हुआ तब इसके ज्यादातर शेयरहोल्डर मर चुके थे ऐसे में उनके शेयर किसके पास गए और कहां हैं?
- कैसे एक व्यावसायिक कंपनी (यंग इंडिया) की मीटिंग सोनिया गांधी के सरकारी आवास 10 जनपथ पर हुई?
कार्यवाही
[संपादित करें]इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, मोतीलाल वोरा और सुमन दुबे सहित 6 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। निचली अदालत ने 26 जून को सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर समन जारी किए थे। इसके बाद सोनिया और राहुल के वकील ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने में छूट और समन रद्द करने को लेकर याचिका दायर की थी, जिसे ८ दिसम्बर २०१५ को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ठुकरा दिया और सभी अभियुक्तों को १९ दिसम्बर को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश किया।
न्यायाधीश ने 27 पेज के आदेश में कहा कि पूरे मामले पर उसके व्यवस्थित परिप्रेक्ष्य में विचार करने के बाद, अदालत को इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई संकोच नहीं कि ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ (वाईआईएल) के जरिये ‘एसोसिएटिड जरनर्ल्स लिमिटेड’ (एजेएल) पर नियंत्रण हासिल करने में याचिकाकर्ताओं द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली, जबकि कांग्रेस पार्टी, एजेएल और वाईआईएल के मुख्य लोग समान हैं, आपराधिक मंशा का सबूत देती है।
न्यायाधीश ने कहा कि बहरहाल, किसी भी सूरत में यह नहीं कहा जा सकता है कि संबंधित शिकायत के आरोपी के तौर पर याचिकाकर्ताओं को तलब करने के लिए कोई मामला नहीं बनता। सच जानने के लिए याचिकाकर्ताओं के संदिग्ध आचरण पर आरोप के चरण में उचित तरीके से जांच की जरूरत है और इसलिए इन आपराधिक कार्यवाहियों को इस शुरूआती चरण में निरस्त नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश ने यह भी राय व्यक्त की कि याचिकाकर्ताओं (सोनिया, राहुल और अन्य) पर लगे आरोपों की गंभीरता में एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल से जुड़ा धोखाधड़ी का आभास होता है और इसलिए याचिकाकर्ताओं पर लगे गंभीर आरोपों पर उचित तरीके से गौर किये जाने की जरूरत है।
अन्ततः १९ दिसम्बर को सोनिया और राहुल सहित सभी अभियुक्त (साम पित्रोदा को छोड़कर) न्यायालय में हाजिर हुए। न्यायालय ने उन्हें जमानत पर छोड़ते हुए पुनः २० फरवरी २०१५ को हाजिर होने को कहा है।
अन्य शेयरधारकों का आरोप
[संपादित करें]दिल्ली उच्च न्यायालय के कड़े रुख के बाद नेशनल हेराल्ड के अन्य शेयरधारकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें किसी भी बैठक (मीटिंग) के लिये कोई सूचना नहीं दी गयी थी शेयर को धोखाधड़ी करते हुए बिना उनकी अनुमति के ही यंग इण्डिया को हस्तानान्तरित कर दिया। भारत के भूतपूर्व कानून मंत्री शान्ति भूषण भी उन लोगों में शामिल हैं जो व्यथित हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- क्या है नेशनल हेराल्ड केस, जिसको लेकर सोनिया-राहुल पर ईडी कस रहा शिकंजा (दैनिक जागरण)
- नेशनल हेराल्ड केस: जिसकी तलवार सोनिया और राहुल पर हमेशा लटकी रहती है (प्रभासाक्षी)
- नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया-राहुल को कब-कैसे और क्या मिला ‘फायदा’, समझें पूरा मामला (जनसत्ता)
- नेशनल हेराल्ड मामला : पूर्व कानून मंत्री ने सोनिया-राहुल की बढ़ाईं मुश्किलें, शेयर ट्रासंफर को देंगे कोर्ट में चुनौती (राजस्थान पत्रिका)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Big Blow To Gandhis: ED Permanently Attaches Properties Worth Rs 64 Crore In National Herald Case". मूल से 15 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
- ↑ "कांग्रेस की मुसीबत: ईडी ने जब्त की एजेएल की 16.38 करोड़ की संपत्ति". मूल से 15 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.