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नेपालभाषा का प्राचीन वाङ्मय काल

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लिखित नेपालभाषा का प्रथम काल प्राचीन वाङ्मय काल है। यह नेपालभाषा का वह काल है जिसमें नेपालभाषा में लिखित परम्परा का विकास हो चुका था, परन्तु साहित्य का निर्माण नहीं हुआ था। नेपालभाषा के बहुत सारे प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थ प्राकृतिक व मानवीय का‍रण से नष्ट होने का कारण दर्शाते हुए कुछ विज्ञ इस काल का अस्तित्त्व पर प्रश्न करते है। परन्तु, उपलब्ध ग्रन्थ, शिलालेख, ताम्रपत्र, ताडपत्र आदि के आधार पर इस युग को मूलप्रवाह भाषाविद नेपालभाषा के इतिहास का एक हिस्सा मानते है। इस काल व इसके उपकालौं का समयावधि (शुरुवात व अन्त्य) विभिन्न समय पर मिल रहा विभिन्न दस्ताबेज के साथ परिवर्तनशील है। अभी के तथ्य अनुसार, इस काल का शुरुवात ९वीं शताब्दी में और अन्त्य नेपालभाषा के प्रथम साहित्यिक ग्रन्थ तन्त्रख्यान के लिखने के साथ सन १५१८ में हुआ था।[1]

पृष्ठभूमि

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नेपालभाषा के प्राचीन काल में विभिन्न पत्र, शिलापत्र, ताम्रपत्र, ग्रन्थ आदि लिखे गए थे। अभी तक मिले प्रमाण अनुसार नेपालभाषा वाङ्मय में साहित्य से प्राचीन शास्त्र, ग्रन्थ व पत्र है।[2] परन्तु, यह तथ्य को अधिकांश विज्ञ अपूर्ण मानते है। प्राचीनकाल के वाङ्मय में पृथक काल में पृथक स्थान से लिखित दस्ताबेज उपलब्ध है। परन्तु, इन उपलब्ध दस्ताबेज में बहुत समानता पाइ जाती है। अतः, विज्ञौं का मानना है कि काल व भूगोल से पृथक होकर भी समान प्रकार के वाङ्मय निर्माण होने के निमित्त इन दस्ताबेजौं के श्रृंखला में दुसरे भी ऐसे कृति है जो अभी उपलब्ध नही है। इन के विचारधारा को वेह निम्न लिखित ऐतिहासिक घटना पर आधारिक करते है-

  • संस्कृत व नेपालभाषा में लिखित नेपाल का वंशावली गोपाल राजवंशावली में सन १३४९ के आसपास बंगाल के सुल्तान समशुद्दिन द्वारा नेपाल के आक्रमण करके नेपाल के प्रायः सभी ग्रन्थ जला देने का वर्णन किया गया है।[3] इस घटना के बारे में स्वयम्भूनाथ का ने॰ सं॰ ४९२ का शिलालेख व पिम्बाहा का ने॰ सं॰ ४७७ का अभिलेख में भी उल्लेख किया गया है।[2]
  • ईसाई धर्मगुरु फादर जोसेफ द रो भाटे ने नेपाल में बसे हुए समय में ३००० हस्तलिखित ग्रन्थ जलादिया था।[4]
  • नेपाल के ब्रिटिश रेजिडेन्ट अफिसर ब्राइन हफ्टन हड्सन द्वारा अपने पुस्तक "एस्सेज अन द लॅंग्वेज, लिटरॅचर एण्ड रिलिजन ऑफ नेपाल एण्ड तिब्बत" लिखने के लिए प्राचीन ग्रन्थ संकलित किया था जो बाद में गुम हो गया।[2]
  • नेपालभाषा के अन्धकाल राणाकाल में नेवार द्वारा राणाओं से बगावत करने का खतरा को मध्यनजर करके राणा शासकौं ने नेपाल में आधिकारिक स्तर में नेपालभाषा का प्रयोजन का अन्त किया था। साथ ही में नेपालभाषा मे रचित बौद्ध तथा नास्तिक ग्रन्थ को इश्वरविरोधी के संज्ञा देकर राष्ट्रिय संग्रहालय से निकाल कर फेंकदिया था, जिनमें से कुछ तात्कालीन ब्रिटिश राजदूतावास के कर्मचारी डा॰ राइट ने संकलन करके अक्स्फोर्ड लाइब्ररी में भेंज दिया था।[5]

वर्गीकरण

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इन घटनाऔं के वाबजुद भी बचे हुए नेपालभाषा के लिखित (वाङ्मय) के आधार पर नेपालभाषा वाङ्मय के इतिहास को निम्न लिखित कालखण्ड में विभाजन किया जा सकता है[2] -

  • पत्र वाङ्मय (ने॰ सं॰ १५९- ने॰ सं॰ ४९४)
  • ग्रन्थ वाङ्मय (ने॰ सं॰ ४९४ -ने॰ सं॰ ६३८)

ग्रन्थ वाङ्मय के उत्तरार्ध काल में नेपालभाषा के साहित्यिक युग के प्राचीनतम ग्रन्थ मिलते है।

पत्र वाङ्मय

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पत्र वाङ्मय में विभिन्न काल खण्ड में लिखी गयी दस्ताबेजौं को सम्मिलित किया जाता है। प्राचीन नेपालभाषा में ताडपत्र, शिलापत्र, ताम्रपत्र, सुवर्णपत्र आदि में लिखित व उत्कीर्णित पत्र मिलते है। इन पत्रौं को निम्न लिखित प्रकार में विभाजित किया जा सकता है -

  • लिखित
  • उत्कीर्णित

लिखित पत्र में प्रमुख पत्र निम्न लिखित है[2] -

  • ने॰ सं॰ १५९ का क्रयपत्र
  • ने॰ सं॰ २११ का बन्धकपत्र
  • सन १११४ वा ने॰ सं॰ २३५ का उकुबहाल का ताडपत्र

इन में से उकुबहाल का ताडपत्र अभी तक मिले पत्र में प्रथम ताडपत्र है जिसमें नेपालभाषा के पूर्ण वाक्य मिले है। इस से पहले के क्रयपत्र और बन्धक पत्र में आंशिक नेपालभाषा के वाक्यांश संस्कृत भाषा से साथ में प्रयोजित है।[6] इन प्राचीन वाङ्मय में तिब्बती-बर्मेली और हिन्द-युरोपेली भाषा परिवार के अन्य भाषाऔं का शब्द व प्रभाव मिलता है जिससे यह तथ्य पुष्टि होता है कि यह भाषा इन दो भाषा परिवार के प्रयोगकर्ता से निरन्तर सम्पर्क में रहा है और इस भाषा के विकास में दोनों भाषा परिवार का प्रभाव है।[7]

उत्कीर्ण

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नेपालभाषा में ताम्रपत्र, शिलापत्र व अन्य धातु में कुंदकर बनायी गयी बहुत सारा पत्र अभी भी उपलब्ध है। यह पत्र प्रायः सार्वजनिक स्थल व धर्मालयौं मे स्थापित होने के कारण से इन पत्रौं से नागरिकौं का सम्बन्ध रहता आया है। धातु व पाषाण में लिखी गयी व नागरिकौं से सम्बन्ध रखने के कारण से इन्हे जलाना, चुराना, निकालके फेंकना आदि कार्य कठिन था। साथ ही में प्राकृतिक रूप में भी धातु व पाषाण कागज के पत्र से कम ही क्षय होने के कारण से ऐसे ज्यादा उत्कीर्ण पत्र संरक्षित है। इन में से अभी तक मिले पत्र में सब से प्राचीन नेपालभाषा मे कुंदा हुआ पत्र ने सं २९३ में राजा रुद्रदेव के समय में लिखित वज्रयोगिनी क स्तम्भाभिलेख है।[2]

ग्रन्थ वाङ्मय (सन १२८०-सन १५१८)

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प्राचीन नेपालभाषा के ग्रन्थ वाङ्मय में मूख्यःत २ प्रकार के काम हुए थे- ग्रन्थ रचना व ग्रन्थ अनुवाद। नेपालभाषा के अभी तक के प्राचीनतम ग्रन्थ गुह्य काली पूजा विधि है, जो सन १२८० में लिखी गइ थी। इस पश्चात प्राकृत भाषा से अनुवादित चिकित्साशास्त्र व तन्त्र शास्त्र का ग्रन्थ हरमेखला (सन १३७४) व न्याय सम्बन्धित न्यायशास्त्र (सन १३८०) आदि पुस्तक लिखी गयी। प्राचीन वाङ्मय युग का अन्तिम ग्रन्थ भागवत पुराण (सन १५०५) को माना जाता है जिसके बाद प्राचीन साहित्यिक युग तन्त्रख्यान (सन १५१८) से शुरु होता है।

इस काल में लिखी गयी कुछ प्रमुख कृतियां इस प्रकार है[1][2] -

  • चिकित्सा : हरमेखला, औषधार्वस्व वैद्यकम्, माधवनिदान
  • पशु चिकित्सा : अश्व आयुर्वेद शास्त्र, अश्व लक्षणम्, शालिहोत्र
  • न्यायशास्त्र : न्यायविकासिनी (नारदसंहिता), न्यायशास्त्र
  • शब्दकोश : १४वी शताब्दी में लिखित संस्कृत आधारित अमरकोश जिसका विभिन्न संस्करण निकलता रहा। यह कोश इन्टरनेट पर भी उपलब्ध है[8]
  • इतिहास : गोपाल राज वंशावली (संस्कृत व नेपालभाषा में)
  • ज्योतिष : दशाफल, भाषाज्योतिष, वृहतजातक, भास्वति, ज्योतिराजकरण
  • धर्म : गुह्य काली पूजा विधि, दश कर्म पद्धति
  • वास्तु : नाम विहिन ग्रन्थ
  • संगीत : संगीत चन्द्र, गायन लोचन, ताल अनुअरणम्, मृदंग अनुकरनम्
  • गणित : लिलावती

इस काल में निर्मित बहुत नाम रहित पुस्तक विभिन्न विषय जैसे- युद्ध, काम, चित्रकला आदि पर आधारित है।

  1. "ज्वजलपा". Archived from the original on 10 फ़रवरी 2010. Retrieved 1 जनवरी 2010.
  2. तुलाधर, प्रेमशान्ति (2000), नेपालभाषा साहित्यया इतिहास (The History of Nepalbhasa Literature), नेपालभाषा एकेदमि
  3. गोपाल राजवंशावली, पृ॰२ व ५२
  4. Levy, Silvian, La Nepal, page 116
  5. आचार्य, बाबुराम (1973), नेपालको इतिहास, page १२३
  6. मल्ल, डा॰ कमलप्रकाश, The Earliest Dated Document in Newar: The Palfleaf from Uku Bahah
  7. तमोट, काशीनाथ, पुलांगु नेपालभाषा वाङ्मय मुना
  8. "इन्टरनेट पर अमरकोश". Archived from the original on 13 सितंबर 2009. Retrieved 1 जनवरी 2010.