निवेश विवाद
निवेश विवाद मध्यकालीन यूरोप में चर्च और राज्य के बीच एक संघर्ष था, जो बिशपों और मठाधीशों (एबॉट्स) की नियुक्ति के अधिकार पर आधारित था। यह विवाद 11वीं और 12वीं सदी के दौरान हुआ, जब चर्च ने पवित्र रोमन सम्राट और अन्य यूरोपीय राजशाहियों की शक्ति को कमजोर करने के लिए कई कदम उठाए। इस विवाद की शुरुआत 1076 में पोप ग्रेगरी सप्तम और सम्राट हेनरी चौथी के बीच हुई थी। यह संघर्ष लगभग 50 वर्षों तक चला, और 1122 में यह खत्म हुआ, जब पोप कैलिस्टस द्वितीय और सम्राट हेनरी पंचम ने 'कॉनकोर्डेट ऑफ़ वर्म्स' पर सहमति जताई।[1]
इस समझौते के अनुसार, बिशपों को धर्मनिरपेक्ष सम्राट के प्रति विश्वास की शपथ लेनी होती थी, लेकिन उनका चयन चर्च द्वारा किया जाता था। यह समझौता चर्च को बिशपों को पवित्र अधिकार देने का अधिकार प्रदान करता था, जो अंगूठी और छड़ी से प्रतीकित होता था। जर्मनी में सम्राट को चर्च के अधिकारियों द्वारा बिशपों और एबॉट्स के चुनावों की अध्यक्षता करने का अधिकार था, जबकि इटली और बर्गंडी में यह अधिकार चर्च के पास था। इस समझौते ने चर्च को पवित्र अधिकार की नियुक्ति का अधिकार सुनिश्चित किया, जबकि सम्राट को बिशपों के चुनाव में हस्तक्षेप करने का अधिकार भी दिया।[2]
निवेश विवाद का एक अन्य प्रमुख संघर्ष 1103 से 1107 के बीच पोप पास्कल द्वितीय और इंग्लैंड के सम्राट हेनरी प्रथम के बीच हुआ। इस संघर्ष का समाधान 'कॉनकोर्डेट ऑफ लंदन' के रूप में हुआ था, जो वर्म्स के समझौते जैसा था।
निवेश विवाद ने यूरोप में चर्च और राज्य के बीच शक्ति संतुलन को पुनः स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सम्राटों ने पोपों के चयन में अपनी भूमिका को छोड़ दिया, जबकि चर्च ने बिशपों के पवित्र अधिकार को बनाए रखा। इस प्रकार, यह विवाद मध्यकालीन यूरोप में धर्म और राजनीति के रिश्ते को परिभाषित करने वाला एक महत्वपूर्ण संघर्ष बन गया।[3]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Investiture Controversy | Papal Power, Clerical Investiture & Henry IV | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-25.
- ↑ "The Investiture Controversy | Western Civilization". courses.lumenlearning.com. अभिगमन तिथि 2025-01-25.
- ↑ "निवेश विवाद". study.com. अभिगमन तिथि 2025-01-25.