निबारन चंद्र लास्कर

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प्रो निबारन चंद्र लास्कर (1902 - 1987) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वह भारत की संविधान सभा के सदस्य चुने गए थे। बाद में वह 1952 और 1957 के संसदीय चुनावों में असम की कछार संसदीय (अब सिल्चर संसदीय सीट) से भारत की संसद लोकसभा लिए चुने गए थे।

परिचय एवं राजनैतिक सफर[संपादित करें]

प्रो. निबारन चंद्र लास्कर का जन्म 15 जनवरी 1902 को हुआ था। वे एक गायक, संगीतकार, खिलाड़ी, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद थे। वह ढाका विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक विजेता और संस्कृत और बंगाली में डबल एमए थे।

1944 की अवधि में वह राजनीति में चले आए, और वे सिलचर स्थानीय बोर्ड, सिलचर नगर बोर्ड, (1946-49) तक सदस्य चुने गए। वह (1946-52) तक असम की सिल्चर(सु) विधानसभा सीट से सदस्य चुने गए। बाद में वह असम विधानसभा से भारत की संविधान सभा के लिए चुने गए।

(1950-52) तक वह असम सरकार में (राहत और पुनर्वास) उप मंत्री बने। 1952, 1957 के संसदीय चुनावों में वह कछार संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर दो बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। वह (1955-57) तक ससंद की लोक लेखा समिति के सदस्य चुने गए।

वे असम राज्य के कछार जिले के पहले कॉलेज गुरुचरण कॉलेज के संस्थापक प्रोफेसर थे। वर्ष 1961 में, उन्होंने असम को असम की राज्य भाषा बनाने के असम विधानसभा के फैसले के विरोध में सक्रिय राजनीति से इस्तीफा दे दिया, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि बंगाली भी राज्य की एक प्रमुख भाषा थी। बराक घाटी की 90% आबादी बांग्ला भाषी थी। 13 मई 1961 को सिलचर रेलवे स्टेशन पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में 11 प्रदर्शनकारी पुलिस की गोलीबारी में मारे गए। उस घटना के बाद कई सांसदों और विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और प्रो. एनसी लास्कर उनमें से एक सांसद थे। इस्तीफा के बाद वह अपने जीवन के बाद के हिस्से में समाज सेवा और परोपकार में लगे रहे।

25 जून 1987 को उनका निधन हो गया। उनकी राजनीतिक विरासत उनके पुत्र निहार रंजन लास्कर ने संभाली, जो 1962, 1967, 1971, 1977, 1980 के संसदीय चुनावों में करीमगंज संसदीय सीट पांच बार लोकसभा के सदस्य चुने गए थे।