निकोबार मॅगापोड

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निकोबार मॅगापोड
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी
वर्ग: पक्षी
गण: गॉलिफ़ॉर्मिस
कुल: मेगापोडिडाए
वंश: मॅगापोडिअस
जाति: ऍम. निकोबारिऍनसिस
द्विपद नाम
मॅगापोडिअस निकोबारिऍनसिस
ब्लाइद, १८४६
उपजाति
निकोबार मॅगापोड का आवास क्षेत्र। सलेटी रंग में दूसरे मॅगापोडों का आवास क्षेत्र दर्शाया गया है।

निकोबार मॅगापोड या निकोबारी जंगली मुर्ग (Nicobar Megapode या Nicobar Scrubfowl) (Megapodius nicobariensis) भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के निकोबार के द्वीपों में पाया जाता है। इसकी २ उपजातियाँ निकोबार के १४ द्वीपों में पाई जाती हैं जो इस प्रकार हैं:-

  • ऍम.ऍन. ऍबॉटि — ग्रेट निकोबार, लिटिल निकोबार, कोण्डुल, मेंचल, ट्रेस तथा मेरो और
  • ऍम.ऍन. निकोबारिऍनसिस — कामोर्टा, ट्रिंकट, ननकौड़ी, कच्चल, टेरेसा, बॉमपोका तथा तिल्लनचॉन्ग[1]

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह दक्षिण पूर्वी एशिया के ज़्यादा निकट होने की वजह से पहले यह म्यानमार के कुछ तटवर्ती इलाकों में पाया जाता था, लेकिन अब वहाँ से विलुप्त हो गया है। दिसम्बर २००४ की सूनामी के बाद इनकी संख्या में भारी गिरावट देखी गई थी लेकिन बाद के वर्षों में इनकी संख्या में सुधार हुआ है, हालांकि अब भी मनुष्य द्वारा इनके इलाके का अतिक्रमण करने की वजह से इनको भारी ख़तरा है।[1]


विवरण[संपादित करें]

यह मुर्गनुमा पक्षी तकरीबन ५५० ग्राम से १ कि. तक वज़नी होता है और इसकी लम्बाई तकरीबन ३७.५ से ४१ से.मी. तक होती है।[2] इस पक्षी के शरीर के पंख भूरे रंग के होते हैं जो हल्के भूरे से गाढ़े भूरे तक हो सकते हैं। सिर गर्दन तक लगभग पंखहीन होता है और सलेटी रंग का होता है। आँखों के चारों ओर लाली होती है जो अलग-अलग पक्षियों में हल्के से लेकर गाढ़ी तक हो सकती है। चोंच अमूमन पीली ही होती है।[3]

आवास एवं व्यवहार[संपादित करें]

दिन के समय यह पक्षी खुले में आना पसन्द नहीं करता है। निकोबार के उन द्वीपों में जहाँ यह पक्षी पाया जाता है, जंगल समुद्र तट से सौ मीटर की दूरी में ही पाया जाता है। अतः दिन के समय यह इन जंगलों में छिपा रहता है लेकिन शाम होने पर यह समुद्र तट में घूमता है और छोटे घोंघे, झींगे इत्यादि खाता है। चौंकने पर यह ज़मीन पर ही भागना पसन्द करता है लेकिन खतरा बढ़ने पर यह उड़ जाता है।[2][3]

प्रजनन[संपादित करें]

पक्षी का लंबा अण्डा

यह पक्षी कोई घोंसला नहीं बनाता है बल्कि ज़मीन पर ही रेत और पत्तियाँ इकट्ठा करके एक गोलाकार ढेर बना लेता है और उसी में अपने अण्डे देता है। यह एक साथ अण्डे न देकर थोड़े-थोड़े समय के अन्तराल में ४ से ५ अण्डे देता है हालांकि कुछ ढेरों में दस तक भी अण्डे पाए गये हैं। साल में अण्डे देने के समय को लेकर अभी भी यक़ीन से कुछ भी कहा नहीं जा सकता है।[3]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. BirdLife International (2012). "Megapodius nicobariensis". IUCN Red List of Threatened Species. Version 2012.2. International Union for Conservation of Nature. अभिगमन तिथि १६ मई २०१३.
  2. Baker, E.C. Stuart (1928). The Fauna of British India including Ceylon and Burma. 5. London: Taylor and Francis. पपृ॰ 437–439. मूल से 17 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २६/१०/२०१४. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. Hume, A.O.; Marshall, C.H.T. (1880). Game Birds of India, Burmah and Ceylon. I. Calcutta: A.O. Hume and C.H.T. Marshall. पपृ॰ ११९-१२४. मूल से 1 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २६/१०/२०१४. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

भारतीय पक्षियों की सूची