नारायण सिंह भाटी

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नारायण सिंह भाटी (1930–2004) पुलिस अधीक्षक तथा राजस्थानी भाषा के साहित्यकार थे। 1970 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

वे 1976 से 1980 तक अजमेर के पुलिस अधीक्षक रहे। उन्हें चार बार राष्ट्रपति पुलिस पदक और 6 बार गैलेंट्री अवार्ड भी मिले। 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने भाग लिया। आजादी से पहले वह जैसलमेर के कनोट के हाकम भी रहे।

कार्य[संपादित करें]

वे १९५५ से १९९३ तक चोपसाणी, जोधपुर स्थित राजस्थानी शोध संस्थान के संस्थापक एवं निदेशक थे। वो पुराने राजस्थानी साहित्य के परिरक्षण (बचाव) के लिए पूर्ण रूप से कार्यान्वित रहे।[1]

उनका कार्य मीराँ, साँझ, परमवीर, ओळूँ, जीवन धन सहित राजस्थान और मालवा के सामाजिक आर्थिक इतिहास का स्रोत है। (1700-900AD).

पुरस्कार[संपादित करें]

उन्हें १९८१ में उनकी कृत्ति बरसण रा डिगयोड़ा डूँगर लांघियाँ के लिए साहित्य अकादमी, दिल्ली ने पुरस्कृत किया।[2] उन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी पृथ्वीराज पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।[3] भारत सरकार द्वारा उन्हें २०१० में भारत के चतुर्थ सर्वोच्य नागरीक पुरस्कार पद्म श्री प्रदान किया गया।

ये भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "राजस्थानी शोध संस्थान". मूल से 3 अक्तूबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2013.
  2. "राजस्थानी (1974 से)". मूल से 28 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2013.
  3. के॰ एम॰ जॉर्ज (संपा॰). "एन॰ एस॰ भाटी". आधुनिक भारतीय साहित्य-एक संकलन (Modern Indian Literature-An Anthology). N. पृ॰ 1147. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7201-324-8.