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नारायण पण्डिताचार्य

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श्री नारायण पण्डिताचार्य (या, नारायण पंडित ; 1290 ई० - 1370 ई०) द्वैत वेदान्त परम्परा में एक भारतीय विद्वान और दार्शनिक थे।[1] वे त्रिविक्रम पंडितचार्य के सबसे छोटे पुत्र थे, जो श्री माधव के शिष्यों में से एक थे। उन्होंने श्री माधव विजय की रचना की, जो श्री मध्वाचार्य की एक छंदबद्ध जीवनी है।[2] भारतविद् बी. एन. के. शर्मा लिखते हैं कि, "नारायण ने माधव की अपनी महान छंदबद्ध जीवनी की रचना करके अपने लिए एक स्थायी प्रसिद्धि अर्जित की है।[3]

नारायण पंडितचार्य को 20 से अधिक ग्रन्थों का रचनाकार माना जाता हैः [4]

  • श्री माधव विजय, श्री मध्वाचार्य की काव्यमय जीवनी
  • संग्रहरामायणम्
  • तत्त्वमञ्जरी, श्री विष्णुतत्वविनिर्णय (श्री मध्वाचार्य द्वारा रचित दशप्रकरण में सर्वश्रेष्ठ) की टीका,
  • प्रमाणलक्षणटीका
  • नयचन्द्रिका
  • भवदीप
  • 'यमकभारतटीका', यमकभारत की टीका
  • कृष्णामृतमहार्णवटीका -- कृष्णामृतमहार्णव की टीका
  • अणुमध्वविजयः (प्रमेयनवमालिका)
  • मध्वविजय भावप्रकाशिका
  • मणिमञ्जरी
  • नृसिंहस्तुति (39 छंदों में) [5]
  • सुभोदय
  • पारिजातहरणम्
  • योगदीपिका
  • शिवस्तुति
  • अणुवायुस्तुति
  • लघुतारतम्यस्तोत्र
  • तिथित्रयनिर्णय
  • अंशांशिनिर्णयः
  • मध्वामृतमहार्णव

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. S. Anees Siraj (2012). Karnataka State: Udupi District. Government of Karnataka, Karnataka Gazetteer Department. p. 735. Narayana Pandita (1290- 1370): He was the third son of Trivikrama Panditacharya. He has composed a historical epic named Sumadhwa Vijaya based on Madhwacharya's biography.
  2. Bryant 2007, p. 361.
  3. Sharma 2000, p. 216.
  4. Sharma 2000, p. 217.
  5. Sharma 2000, p. 221.