नाम्ड्रोल्लिङ
नाम्ड्रोल्लिङ / थेग्छोग नाम्ड्रोल शद्ड्रुब दरग्यास लिङ | |
---|---|
![]() | |
नाम्ड्रोल्लिङ पद्मसंभव बौद्ध विहार का भीतरी दृश्य | |
स्थापित | १९६३ संस्थापक पद्म नोर्बु रिन्पोछे |
प्रकार: | सार्वजनिक उच्चा बौद्ध अध्यन केंद्र |
कुलाधिपति: | कर्मा कुछेन रिनपोछे |
अध्यक्ष: | ग्यंखाङ ट्रुल्कु, मुग्सांस कुछेन |
उपाध्यक्ष: | खान्पो पद्म शेसरब, खान्पो नाम्ड्रोल छेरिङ, खान्पो छेवाङ ग्यम्छो |
विद्यार्थी संख्या: | ८,८९१ |
अवस्थिति: | बैलकुप्पे, मैसूर, कर्नाटकदक्षिण, ![]() |
जालपृष्ठ: | Official Website |
नाम्ड्रोल्लिङ और पूरा नाम थेग्छोग नाम्ड्रोल शद्ड्रुब दरग्यास लिङ (तिब्बती: ཐེག་མཆོག་རྣམ་གྲོལ་བཤད་སྒྲུབ་དར་རྒྱས་གླིང་།, Wylie: theg-mchog-rnam-grol-bshad-sgrub-dar-rgyas-ling) पद्म नोर्बु रिन्पोछे द्वारा सन १९६३ में स्थापित किया गया एक बौद्ध सांप्रदायिक शिक्षा केंद्र है जो विश्व में तिब्बती बौद्ध धर्म की अन्तर्गत ञिङमा सम्प्रदाय का सबसे बड़ा शिक्षा संस्था में से एक है। इस शैक्षिक केंद्र दक्षिण भारत, कर्नाटक, मैसूर जिले की बैलकुप्पे में स्थित है। यह हजारों बौद्ध छात्रों के लिए छात्रावास, शिक्षा केन्द्र, पुस्तकालय, स्कूल, अस्पताल, ध्यान केंद्र इत्यादिका सुविधाओं है।
इतिहास[संपादित करें]

फोटो द्वारा: Chris Fynn, 1981

यह शिक्षा केन्द्र पल्युल संप्रदाय की ग्यारहवाँ सिंहासन धारक पद्म नोर्बु रिन्पोछे द्वारा सन् १९६३ में स्थापित किया था।
![]() | यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
शाखाएं[संपादित करें]
- प्राथमिक तथा माध्यमिक विद्यालय
- पुर्वानुदित प्राचीन बौद्ध अध्यन केंद्र
- पुर्वानुदित प्राचीन बौद्ध अनुसंधान केंद्र
- ञिङमा नानेरी मठ
- ञिङमा नानेरी उच्चा शिक्षा केंद्र
- बौद्ध पुस्तालय
- अनुवादक मंडल
- संपादक मंडल
- सम्तन वोद्सल लिङ ध्यान केंद्र
- ड्रुब ञिस् गछाल लिङ ध्यान केंद्र
- टि टि मेडिकल सेन्टर
- पी.डी.एल गेस्ट हाउस
धार्मिक समारोह[संपादित करें]
लोसार, ड्रुब्छेन (आसन्न निधि पारम्परिक महासाधना), गुरु पद्म सम्भवका दिवस, कमयी ड्रुब्छेन (दिर्घागम पारम्परिक महासाधना इत्यादि...
तस्विरहरू[संपादित करें]
-
संस्दोग पलरी मंदिर
-
तारादेवी मंदिर
-
नाम्ड्रोल्लिङ मठ का बुद्ध मूर्ति
-
पद्म सम्भव बौद्ध विहार
-
पुर्वानुदित बौद्ध अध्यन केन्द्र का मूल द्वार
-
भिक्षुणी आश्रम
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- Zangpo, Tsering Lama Jampal (1988), A Garland of Immortal Wish-Fulfilling Trees, Ithaca, NY: Snow Lion Publications. ISBN 0-937938-64-5, ISBN 978-0-937938-64-5
- Nyoshul Khen Rinpoche (2005), "A Marvelous Garland of Rare Gems: Biographies of Masters of Awareness in the Dzogchen Lineage", Junction City, CA: Padma Publishing. ISBN 978-1-881847-41-0