नानावती-प्रेम आहूजा केस

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कमांडर के. एम. नानावती बनाम महाराष्ट्र राज्य 1959 का एक भारतीय अदालती मामला था, जिसमें एक नौसेना कमांडर कवास मानेकशॉ नानावती पर अपनी पत्नी के प्रेमी प्रेम आहूजा की हत्या का मुकदमा चलाया गया था। धारा 302 के तहत अभियुक्त कमांडर नानावती को शुरू में एक जूरी द्वारा दोषी नहीं घोषित किया गया था, लेकिन इस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया और मामले को बेंच ट्रायल के रूप में वापस लिया गया। इस मामले को अक्सर ग़लती से भारत में अंतिम जूरी परीक्षण माना जाता है, लेकिन बाद में कई परीक्षण हुए जिनमें जूरी का इस्तेमाल किया गया, कुछ 1960 के दशक में भी। नानावती को अंततः विजयलक्ष्मी पंडित, महाराष्ट्र की नवनियुक्त राज्यपाल और प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन द्वारा क्षमा कर दिया गया था।

इस घटना को अभूतपूर्व मीडिया कवरेज मिला और इसने 1973 की फिल्म अचानक, 2016 की फिल्म रुस्तम और 2019 की वेब सीरीज द वर्डिक्ट जैसी कई किताबों और फिल्मों को प्रेरित किया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

रुस्तम (फ़िल्म)

अचानक (1973 फ़िल्म)

ये रास्ते हैं प्यार के (1963 फ़िल्म)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]