नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि

नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि (आई॰सी॰सी॰पि॰आर॰) एक बहुपक्षीय संधि है, जो सभी राष्ट्रों के नागरिक और राजनीतिक अधिकारों का सम्मान करने हेतु प्रतिबद्ध करती है। इसमें अन्तर्गत धर्म की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और चुनावी अधिकार, उचित प्रक्रिया, और निष्पक्ष सुनवाई जैसे अधिकार आते हैं। यह संधि मानवाधिकारों की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। [1]
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
[संपादित करें]नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि की जड़ें मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणाकी प्रक्रिया से जुड़ी हैं। सन् 1945 के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में "मनुष्य के आवश्यक अधिकारों पर घोषणा" का प्रस्ताव रखा गया, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई। इसके बाद आर्थिक और सामाजिक परिषद् को मानवाधिकारों से संबंधित दस्तावेज़ का मसौदा तैयार करने का कार्य सौंपा गया। प्रारंभिक प्रक्रिया में दस्तावेज़ को दो हिस्सों में विभाजित किया गया:— पहला, जो मानवाधिकारों के सामान्य सिद्धांतों को स्थापित करने से संबंधित था, और दूसरा, बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं पर आधारित सम्मेलन या संधि पर आधारित था। 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया गया।
कार्यान्वयन एवं प्रभाव
[संपादित करें]नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि में कुल 167 राष्ट्रों ने भाग लिया। इनमें से 67 राष्ट्रों ने हस्ताक्षर और अनुसमर्थन द्वारा तथा शेष राष्ट्रों ने परिग्रहण या उत्तराधिकार द्वारा भाग लिया है। इसमें है मात्र पाँच देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए। अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है।
2013 के एक अध्ययन के अनुसार, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि द्वारा मानवाधिकार के उन क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार किया गया जहाँ साक्ष्य-उत्पादन सरल और प्रमाण के मानक कम मिले। भाषण, संघ, सभा और धर्म की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों के लिए सरकारी नीतियों में सुधार हुआ। हालांकि, व्यक्तिगत अखंडता से संबंधित अधिकारों, जैसे यातना और अमानवीय व्यवहार, को रोकने में इसका सीमित प्रभाव पड़ा है क्योंकि इन मामलों में कानूनी साक्ष्य जुटाना जटिल प्रक्रिया माना गया। [2]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त का कार्यालय।
- ↑ लुपू, योनातन (2013). "सर्वोत्तम साक्ष्य: अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समझौतों के घरेलू न्यायिक प्रवर्तन में सूचना की भूमिका।". International Organization (अंग्रेज़ी में). 67 (3): 469–503. S2CID 15372366. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0020-8183. डीओआइ:10.1017/S002081831300012X. मूल से पुरालेखित 20 अगस्त 2022. अभिगमन तिथि 20 अगस्त 2022.सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)