धौर्रा माफी गाँव, कोइल (अलीगढ़)
धौर्रा माफी | |||
— गाँव — | |||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||
देश | भारत | ||
राज्य | उत्तर प्रदेश | ||
ज़िला | अलीगढ़ | ||
आधिकारिक भाषा(एँ) | हिन्दी, अवधी, बुंदेली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, पहाड़ी, उर्दु, अंग्रेज़ी | ||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: http://aligarh.nic.in |
निर्देशांक: 27°53′N 78°04′E / 27.89°N 78.06°E
धौर्रा माफी कोइल, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश स्थित एक गाँव है।
भूगोल
[संपादित करें]जनसांख्यिकी
[संपादित करें]यातायात
[संपादित करें]आदर्श स्थल
[संपादित करें]शिक्षा
[संपादित करें]गांव का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में खेती-किसानी की तस्वीर आंखों के सामने तैर जाती है। लोगों के बीच आमतौर पर यह माना जाता है कि यहां के ज्यादातर लोग खेती किसानी पर ही निर्भर है। हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि यहां के लोग पढ़-लिखकर अलग-अलग फील्ड में नाम नहीं कमा रहे हैं। लेकिन, अगर हम आपसे कहें कि इस गांव में खेती बंद ही हो गई है और यहां के सभी लोग नौकरी कर रहे हैं तो यह यकीनन आपके लिए चौकाने वाला होगा। लेकिन हकीकत यही है। इस गांव का नाम है धोर्रा माफी गांव। आइए जानते हैं इस गांव के बारे में विस्तार से।
Asia Most Literate Village, Dhorra Mafi Aligarh: एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव भारत में है. यह गांव उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में है. अपनी यूनिवर्सिटी के लिए प्रसिद्ध इस जिले में एक गांव है धोर्रा माफी ये गांव कहीं और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के जवां ब्लॉक में है. इस गांव का नाम है धोर्रा माफी. इस गांव में 90 फीसदी आबादी साक्षर है. यानी इस गांव के 90 फीसदी लोग पढ़े लिखे हैं.उत्तर प्रदेश का धोर्रा माफी गांव पढ़ाई-लिखाई के मामले में दूर-दूर तक ख्याति प्राप्त कर चुका है. इस गांव के तमाम लोग बड़े-बड़े पदों पर हैं. गांव को भारत ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा गांव माना जाता है धोर्रा माफी गांव अलीगढ़ जिले के जवां ब्लॉक में स्थित है। यह केवल यूपी में नहीं बल्कि एशिया में सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा गांव है। यहां की आबादी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 से 11 हजार के करीब है। इसमें भी 90 फीसदी से ज्यादा लोग साक्षर हैं, जो कि अपने आप में रिकॉर्ड है। साल 2002 में धोर्रा माफी गांव के नाम को ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में शामिल किया गया था। वहीं, इस गांव का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए होने वाले सर्वे के लिए भी चुना गया था। गांव में पिछले पांच सालों से खेती बंद हो चुकी है। यहां के ज्यादातर लोग जॉब करते हैं और बड़े-बड़े पद पर कार्यरत हैं। इनमें से कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर है। यहां से पढ़े हुए लोग आईएएस और प्रोफेसर के पदों पर भी नियुक्त हुए हैं।
सन्दर्भ
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
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