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धोबी

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धोबी जाति भारतीय संस्कृति के वेदांनुसार शूद्र वर्ण में आती है। स्वतंत्र भारतीय परिदृश्य में ये अनुसूचित जाति में समाहित है। धोबी जाति काफ़ी सहज़ सामाजिक संबंध एवं प्रगतिशील सोच की जानी जाती है। इसके विवरण रामायण कालीन एवं महाभारत कालीन गंथों में भी देखने को मिलता है। विभिन्न वैवाहिक एवं धार्मिक कार्यकर्मों में धोबी जाती की आवश्यकता इनके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते है।इस समाज के लोग पूर्व में मूलतः कपड़े धोने के कार्य में संलग्न रहे हैं। वर्तमान परिवेश में इस समाज ने अच्छी शैक्षणिक उपलब्धि हासिल की है। इस समाज में अग्रणी समाज सुधारक संत गाडगे महाराज एवं छत्तीसगढ़ की लोक गायिका रजनी रजक जैसे महान लोगो का जन्म लिया है। जिन्होंने एक सुन्दर सामाजिक उदाहरण प्रस्तुत किये है। वर्तमान समय में ये अनुसूचित जाति वर्ग में उच्च शिक्षित जाति में दर्ज किया जाता है। इस जाति की बहूलता उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, नेपाल आदि स्थानों में देखा जा सकता है। 2023 के आंकड़े अनुसार इस समाज के महिला साक्षरता दर अनुसूचित जाति में ज्यादा है।

रजक (धोबी) भारत में पाये जाने वाले जाति समूह हैं इन्हें भारत के अलग-अलग राज्यों में इन्हें अलग-अलग नामों जैसे- कनौजिया,राव,सिन्हा,माथुर,मुकेरिया, वन्नर मांदीवाला, अगसार, पारित, श्रीवास, दिवाकर, रजक, चकली, राजाकुला, वेलुत्दार, एकली, सेठी, चौधरी,मरेठिए या, पणिक्कर आदि अन्य कई नामों से जाना जाता है।[उद्धरण चाहिए] हिन्दू धोबी को (रजक ) नाम से जाना जाता है। धोबी शब्द की व्युत्पत्ति धावन से मानी जाती है। रजक (धोबी) रीषि कश्यप के वंशज है और यही कारण है की धोबी (रजक) का गोत्र कश्यप है। जो मुल रूप से सूर्यवंशी है। अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति में उन्हें सम्मिलित किया गया है। २०११ की भारतीय जनगणना आँकड़ों के अनुसार धोबी जाति की कुल जनसंख्या 15000000 होने का अनुमान है!रजक धोबी जाति का धार्मिक महत्व एवं गौरव" 1. करवाचौथ में करवा धोबिन थी। 2. सोमवती अमावस्या में सोमा धोबिन की पूजा।। 3. सत्यनारायण कथा में सत्य नाम का धोबी। 4. संगीत की महान देवी बनौ देवी। 5. भगवान कृष्ण को धोबी के द्वारा सिखाया गया घोबा पछाड़ सीख कर ही कंस का वध कर पाये थे। 6. रजक राजा - हर्षवर्धन । 7. रजक संत-रजक ऋषि । 8. रजक राजा -पीरू वन्नार । 9. रजक राजा -चिंतामणि धोबा । 10. महान गायक-बानौ देवी । 11. देश पर कुर्बान-घुलिया धोबी । 12. रजक देव- (1)- मदिवाला माचिदेवा (जिन्हें वीरा गनाचेरी मदिवाला माचिदेवा के नाम से भी जाना जाता है) एक लोकप्रिय महान योद्धा , स्वतंत्रता सेनानी और 12वीं सदी के संत थे। वह मदीवाला (वन्नार) जाति के थे। (2) नगर सैन बाबा। 13. नारी शक्ति-चेतल्या अम्मा । 14. दुनिया को शिक्षा-सन्त गाडगे बाबा । 15. चौरासी सिद्ध पुरुषो में एक-धोम्मापा सिद्ध । 16. दुनिया में सबसे ज्यादा शिक्षण शालाए बनाने वाले सन्त गाडगे के बाबा । 17. नानक बाबा के पंच प्यारों में एक-रजक। 18. झांसी की युद्ध की वीरागंना-झालर बाई । 19. प्रसिद्ध पत्रकार गौरी शंकर रजक । 20. नेपाल फिल्म अभिनेत्री उषा । 21. भारतीय महिला क्रिकेट टीम की गेंदबाज- ममता कनौजिया । 22. श्रीलंका की राष्ट्रपति- रनसिंगेह प्रेमदास । 23. वैज्ञानिक व उधोगपति चेत कनौजिया एन आर आई अमेरिका । 24. उद्योगपति- राज कनौजिया भारत । 25. पूर्व राष्ट्रपति-के, आर. नारायणन । 26.ढाल वंश -धलभूम राजपरिवार वास्तव में धोबी वंशज थे, जो बाद में खुद को क्षत्रिय बताने लगे।[3] इसके प्रमुख राजाओं में राजा जगन्नाथ धल, राजा रामचंद्र धल, राजा चित्रेश्वर धल, राजा शत्रुघ्न धल, आदि शामिल हैं।[4][5] राजा जगन्नाथ धल अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम आंदोलन करने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बिहार के एक वरिष्ठ अधिकारी जो 20 वर्षीय श्री सुधीर कुमार रजक भी धोबी जाती से आते हैं जो वर्तमान में चिकित्सा पदाधिकारी है ■॥

जनसांख्यिकी

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आन्ध्र प्रदेश

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आंध्र प्रदेश में, रजक पिछड़ा वर्ग की कुल आबादी का 12% है। vo to hai

सन्दर्भ -(धोबी जाति की उत्पत्ति ) पौराणिक कथाओं के अनुसार बताया जाता है कि भगवान शिव और सती के विवाह के पश्चात जो की दक्ष प्रजापति की बेटी सती से भगवान शिव का विवाह हुआ जो की राजा दक्ष को यह ठीक नहीं लगा उन्होंने भगवान शिव को गलत पापी कहा फिर कुछ समय पश्चात राजा दक्ष ने एक यज्ञ किया जिसमें ब्रह्मांड के सभी देवी देवता उपस्थित हुए तथा सभी साधु संत ऋषि मुनि भी शामिल हुए जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया राजा दक्ष ने उनको नहीं बुलाया परंतु सती ने भगवान शिव से निवेदन किया कि वह इस यज्ञ में जाना चाहती हैं भगवान शिव के मना करने पर भी सती वहां तक पहुंच गई वहां पर दक्ष प्रजापति ने सती को और भगवान शिव को बहुत अपमानित किया जो की सती ने अपने आपको अग्नि को सम्मिलित कर दिया अपनी अपनी आहुति दे दी भगवान शिव को इस बात का पता चला वह क्रोध में होकर अपने रौद्र रूप में अपने अंश जो की अपनी जटाओं से भगवान वीरभद्र को प्रकट किया अपनी जटाओ को पत्थरों पर फेंक दिया जिस भगवान वीरभद्र का जन्म हुआ यह प्रकट हुए शिव जी ने दक्ष प्रजापति को सबक सिखाने के लिए उनको भेजा भगवान वीरभद्र दक्ष प्रजापति के यज्ञ स्थल पर पहुंचे और सेनाओ सहित दक्ष प्रजापति का गला काटकर यज्ञ में उसकी आहुति दे दी उसके पश्चात क्रोध में भगवान वीरभद्र कैलाश पर्वत पर पहुंचे जो की भगवान शिव ने उनको ऋषि मुनियों व अन्य लोगों की हत्याओं का अपराध का पश्चाताप के लिए भगवान वीरभद्र को पृथ्वी पर ऋषि मुनियों के कपड़े धोने का कार्य सोपा जिससे धोबी जाति की उत्पत्ति हुई[1]

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राज सम्राट

  1. Singh, Tej (2018-09-01). ""राई नृत्य" की वाहक बेड़िया जाति". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education. 15 (7): 54–62. doi:10.29070/15/57794. ISSN 2230-7540.