धानुक जाति

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धानुक
विशेष निवासक्षेत्र
Flag of भारत भारतFlag of नेपाल नेपाल • धानुक बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल में भी पाया जाता है। हालंकि धानुक तीन देश में पाया जाता है। भारत नेपाल बांग्लादेश में धानुक पाया जाता है। नेपाल और भारत में धानुक अधिक मात्रा में है। बांग्लादेश में मुस्लिम की जनसंख्या अधिक मात्रा में है। बांग्लादेश में धानुक कम मात्रा में है।जब भारत १९४७ में बांटा तो उनकी आवादी घट गई।
भाषाएँ
हिन्दीमैथिलीभोजपुरीबंगाली भाषा नेपाली भाषा आदि
धर्म
हिन्दू

धानुक / धाणक (अंग्रेजी: Dhanuk/Dhanak), एक जातीय समूह है जिसके सदस्य भारत, नेपाल और बांग्लादेश में पाए जाते हैं। भारत में धानुक मूलतः बिहार , झारखण्ड , त्रिपुरा , पश्चिम बंगाल , राज्यों में विभिन्न नामों / जातियों से जाने जाते हैं। वर्तमान धानक समाज की भारत में स्थिति ऐतिहासिकता जनसंख्या हरियाणा , राजस्थान , दिल्ली , पंजाब , महाराष्ट्र देश की अनुसूचित जातियों में यह एक प्रमुख जाति है । इस जाति ( धानक , धानुक ) , को हरियाणा , उत्तर प्रदेश , पंजाब , हिमाचल प्रदेश , राजस्थान , मध्य प्रदेश , चंडीगढ़ और दिल्ली में अनुसूचित जाति घोषित किया गया है । अनुसूचित जनजातियां 1901 और 1977 में धानका ( जो कि क्षेत्रीय भाषा के प्रभाव के कारण धानक से धानका पड़ा ) को राजस्थान और महाराष्ट्र में अनुसूचित जन जाति घोषित किया गया । 1978 में धानका को मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग में घोषित किया गया है । उन्हें पिछड़े जाति का दर्जा प्रदान किया गया है । नेपाल मे वे सप्तरी, सिरहा और धनुषा के तराई जिलों में बसे हुए हैं। वे या तो क्षत्रिय या एक अल्पसंख्यक स्वदेशी लोग हैं। पूर्वी तराई के धानुक मंडल के रूप में भी जाना जाता है और पश्चिमी तराई के धानुक 'पटेल' कहलाते हैं। बिहार में धानुक जसवार कुर्मी के रूप में भी जाना जाता है। पूरे बिहार में इनके उपनाम सिंह , महतो , मंडल , रावत , पटेल , सिन्हा , विश्वास इत्यादि हैं। तीनों देशों में धानुक हिन्दू हैं, और इस तरह के मैथिली , भोजपुरी और अवधी के रूप में हिंदी के विभिन्न बोलियां बोलते हैं।

परंपरा के अनुसार, 'धाणक' संस्कृत शब्द 'धनुष्यक' से लिया गया है जिसका अर्थ है धनुषधारी / धनुवंशी। [1][2]

धानुक जा‍ति‍ के लोग राजा महाराजा काल मे उनकी अग्रिम पंक्ति में धनुर्धर के रूप में रहते थे जो किसी भी युद्ध में सबसे पहला आक्रमण करते थे ओर युद्ध में सबसे आगे खड़े रहते थे क्योंकि इनकी निशानेबाजी सभी जातियों में सबसे अच्छी थी । धानुक जो धनुष्क से उद्धरित हुआ है इसका मतलब ही धनुष चलाने वाला होता है राजाओ में सेनापति का कर्तब्य निभाया करते थे,इन्हें इस बात का गर्व है कि श्रीराम भगवान् भी एक धनुष धारी थे, धानुक जाति का उल्लेख मालिक मुहम्मद जायसी की किताब पदमावत/पद्मावत में भी उल्लेख है।

आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव की किताब दिल्ली सल्तनत में भी इसी बात का उल्लेख है।

महापुरुष[संपादित करें]

नेता[संपादित करें]

बिहार में उदय मंडल धानुक समाज के नेता के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने फणीश्वरनाथ रेणु को भारत रत्न देने की मांग की है।[3]

उपजातियाँ[संपादित करें]

  • शिलौंट
  • दुधवार
  • चिरौंट
  • चनकट्टा
  • मगहिया

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Bihar men samajik parivartan ke kuchh ayam. Vani Prakashan. 2001. पपृ॰ 252–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7055-755-5.

सन्दर्भ[संपादित करें]