जगन्नाथ धल

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(धल विद्रोह से अनुप्रेषित)
जगन्नाथ धवल देव
Jagannath Dhabal Deb
-
उपनाम : जगन्नाथ धल
जन्मस्थल : धालभूम परगना, बंगाल (अब झारखण्ड)
मृत्युस्थल: धालभूम परगना, बंगाल, ब्रिटिश भारत (अब झारखण्ड)
आन्दोलन: धलभूम विद्रोह (चुआड़ विद्रोह)
राष्ट्रीयता: भारतीय


राजा जगन्नाथ धल एक भारतीय क्रांतिकारी एवं बंगाल (अब झारखण्ड) स्थित जंगल महल में धलभूम (घाटशिला) परगना के राजा थे।[1][2] वह उन भारतीय राजाओं में से एक हैं, जिन्होंने सर्वप्रथम ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की अधीनता अस्वीकार किया और उनके विरुद्ध 1767—1777 में आंदोलन किया।[3]

भूमिका[संपादित करें]

1767 में धलभूम के तत्कालीन राजा ने ईस्ट इंडिया कंपनी की अधीनता स्वीकार नहीं की, तो मार्च 1767 में राजा की गिरफ्तारी के लिए कैप्टन फर्गुसन को भेजा गया था। लगभग 2000 लोगों ने हथियारों के साथ धलभूम राजा को घेर लिया, जिस कारण फर्गुसन राजा को गिरफ्तार नहीं कर सका और उसे वहां से भागना पड़ा। बाद में कैप्टन फर्गुसन धलभूम राजा को बंदी बनाने में सफल हुआ, और उसे मिदनापुर जेल में डाल दिया।[4] 5000 रुपये सालाना राजस्व देने की शर्त पर धलभूम राजा के भतीजे जगन्नाथ धल को राजा बनाया गया।[5]

अगस्त 1767 में घाटशिला (धलभूम) परगना में दामपाड़ा के सरदार-घाटवाल जगन्नाथ सिंह पातर ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। जिसे पकड़ने के लिए अंग्रेजी कंपनी द्वारा राजा जगन्नाथ धल को आदेश दिया गया, लेकिन उन्होंने जगन्नाथ पातर को बंदी नहीं बनाया। जिस कारण राजा जगन्नाथ धल को गिरफ्तार करने के लिए कैप्टन फर्गुसन को दोबारा घाटशिला भेजा गया, जगन्नाथ धल जंगलों में जाकर छिप गए। लेकिन बाद में उन्होंने आत्मसमर्पण किया तथा अंग्रेजी कंपनी द्वारा उन्हें माफ़ कर दिया गया।[6]

विद्रोह[संपादित करें]

1768 में, राजा जगन्नाथ धल राजस्व कर जमा करने से मना कर दिया। वह ब्रिटिश अधिकारियों की बात टालने लगे तथा धलभूम को स्वतंत्र राज्य बनाने के लिए आंदोलन किया। धलभूम में पुनः अंग्रेजी शासन स्थापित करने के लिए कैप्टन रूक को भेजा। कैप्टन रूक जगन्नाथ धल को बंदी नहीं बना सका लेकिन उसने उसके भाई नीमू धल को बंदी बना लिया। राजा जगन्नाथ धल के समर्थन में पूरे राज्य ने हथियार उठा लिया। दामपाड़ा के जमींदार जगन्नाथ पातर सहित परगना के सभी जमींदार जगन्नाथ धल के समर्थन में खड़े हुए और अंग्रेजी कंपनी के खिलाफ आंदोलन किया। कैप्टन मोर्गन द्वारा नीमू धल को धलभूम का नया राजा बनाया गया।[7]

जगन्नाथ धल की सेना में चुआड़ (भूमिज) और हो जनजाति लोग शामिल थे, जो जंगलों में छिपकर अंग्रेजी सेना तीरों से हमला करती और जंगल में गायब हो जाती। कैप्टन मोर्गन के अनुसार, उन्हें मार पाना अंग्रेजी सेना के लिए मुश्किल हो गया था। अगस्त 1768 में, कैप्टन मोर्गन जगन्नाथ धल का पीछा करते हुए हल्दीपोखर पहुंचे।[8] 1769 में, धलभूम में एक बार फिर विद्रोह हुआ जिसमें लगभग 5000 चुआड़ों (भूमिजों) ने नरसिंहगढ़ किले पर हमला किया तथा नए राजा और अंग्रेजी सेना को भागने पर मजबूर किया।[9] लेकिन जल्द ही कैप्टन फोर्ब्स द्वारा भूमिजों को भगा दिया गया, जिसने अपनी सेना की एक टुकड़ी कुचुंग में छोड़ा। उसके जाते ही, कुचुंग में भूमिजों ने सभी सैनिकों को काट दिया, जिसके बाद कैप्टन गुडयार को भेजा गया।

1773 में जगन्नाथ धल ने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ नीमू धल पर आक्रमण किया। राजा नीमू धल की सहायता के लिए कैप्टन फोर्ब्स को सेना के साथ भेजा गया, जिसके बाद नरसिंहगढ़ और हलदीपोखर में शांति बनाए रखने के लिए सेना की टुकड़ी छोड़ी गई।[10][11] अगले साल 1774 में, जगन्नाथ धल के नेतृत्व में चुआड़ों ने बहरागोड़ा और नरसिंहगढ़ के सभी तथा हल्दीपोखर के दो गांवों को आग के हवाले कर दिया।[12] पूरे राज्य से अंग्रेजी कंपनी को खदेड़ने के लिए सभी क्षेत्रों से चुआड़ (भूमिज) जगन्नाथ धल की सेना में शामिल होने लगे। एक अंग्रेज अधिकारी ने ब्रिटिश कंपनी को पत्र लिखकर कहा कि, "जबतक जगन्नाथ धल को वश में नहीं किया गया, तब तक ब्रिटिश कंपनी को स्वर्णरेखा की इस क्षेत्र से राजस्व का एक आना भी प्राप्त नहीं होगा..."। राजा जगन्नाथ धल ने पत्र में दोबारा राजा बनाए जाने की मांग की। जिसके बाद 1777 में जगन्नाथ धल को प्रथम वर्ष 2000 रुपए, द्वितीय वर्ष 3000 रुपए और चौथे वर्ष 4000 रुपए राजस्व देने की शर्त पर दोबारा धलभूम (घाटशिला) का राजा घोषित किया गया। इसके पश्चात, जगन्नाथ धल का विद्रोह समाप्त हुआ।[13] बाद में, साल 1800 में राजस्व भुगतान 4267 रुपए कर दिया गया। राजा जगन्नाथ धल के इस विद्रोह को धल विद्रोह (धलभूम विद्रोह) भी कहा जाता है, जो 1767-1834 के चुआड़ विद्रोह का एक हिस्सा था।[14]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. O'Malley, Lewis Sydney Steward (2011). Bengal District Gazetteers: Sinhbhum, Saraikela and Kharsawan (अंग्रेज़ी में). Concept Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7268-215-6.
  2. Choudhury, Pranab Chandra Roy (1958). Singhbhum (अंग्रेज़ी में). Secretariat P., Bihar.
  3. Revenue, Bihar (India) Board of; Lacey, Walter Graham (1942). Final Report on the Revisional Survey and Settlement Operations of Pargana Dhalbhum in the District of Singhbhum (1934-38) (अंग्रेज़ी में). Superintendent, Government Print.
  4. Bihar, India Superintendent of Census Operations (1965). District Census Handbook, Bihar: Singhbhum (अंग्रेज़ी में). Government of Bihar.
  5. Journal of Historical Research (अंग्रेज़ी में). Department of History, Ranchi University. 1959.
  6. Bihar, India Superintendent of Census Operations (1965). District Census Handbook, Bihar: Singhbhum (अंग्रेज़ी में). Government of Bihar.
  7. The Quarterly Review of Historical Studies (अंग्रेज़ी में). Institute of Historical Studies. 1976.
  8. The Quarterly Review of Historical Studies (अंग्रेज़ी में). Institute of Historical Studies. 1976.
  9. O'Malley, Lewis Sydney Steward (2011). Bengal District Gazetteers: Sinhbhum, Saraikela and Kharsawan (अंग्रेज़ी में). Concept Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7268-215-6.
  10. O'Malley, Lewis Sydney Steward (2011). Bengal District Gazetteers: Sinhbhum, Saraikela and Kharsawan (अंग्रेज़ी में). Concept Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7268-215-6.
  11. Das, Binod Sankar (1973). Civil Rebellion in the Frontier Bengal, 1760-1805 (अंग्रेज़ी में). Punthi Pustak.
  12. Journal of Historical Research (अंग्रेज़ी में). Department of History, Ranchi University. 1959.
  13. Kulke, Hermann (2006). Interrogating History: Essays for Hermann Kulke (अंग्रेज़ी में). Manohar Publishers & Distributors. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7304-679-7.
  14. Choudhury, Pranab Chandra Roy (1959). 1857 in Bihar (Chotanagpur and Santhal Parganas) (अंग्रेज़ी में). Gazetteer's Revision Branch, Revenue Department, Bihar.


झारखंड के प्रसिद्व लोग

बिरसा मुण्डा|जयपाल सिंह मुंडा|तिलका माँझी|गंगा नारायण सिंह|सिद्धू कान्हू|अलबर्ट एक्का|राजा अर्जुन सिंह| जतरा भगत|गया मुण्डा|फणि मुकुट राय|दुर्जन साल|मेदिनी राय|बुधू भगत|जगन्नाथ सिंह|तेलंगा खड़िया|रघुनाथ सिंह|पाण्डे गणपत राय|टिकैत उमराँव सिंह|शेख भिखारी|मुंडल सिंह|महेंद्र सिंह धोनी|करिया मुंडा|प्रेमलता अग्रवाल|दीपिका कुमारी|राम दयाल मुंडा|अंजना ओम कश्यप|बिनोद बिहारी महतो|शिबू सोरेन|निर्मल महतो|अर्जुन मुंडा|बाबूलाल मरांडी|रघुवर दास|हेमंत सोरेन|संबित पात्रा