धर्मो रक्षति रक्षितः

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धर्मो रक्षति रक्षितः एक लोकप्रिय संस्कृत वाक्यांश है जो महाभारत और मनुस्मृति में मिलता है।[1][2] [3][4][5] इसका अर्थ है कि "धर्म की रक्षा करने पर वह (रक्षा करने वाले की ) रक्षा करता है।"[6] दूसरे शब्दों में, "रक्षित धर्म, रक्षक की रक्षा करता है"। [7]

यह वाक्यांश मनुस्मृति के एक पूर्ण श्लोक का भाग है, जो निम्नलिखित है-

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥

महाभारत में 'धर्मो रक्षति रक्षितः' वाक्यांश तीन स्थानों पर आया है जिनमें शब्दों का थोड़ा अन्तर है। वनपर्व में युधिष्ठिर यक्ष से कहते हैं-

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ⁠।
तस्माद् धर्मं न त्यजामि मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ⁠॥
मृत धर्म मारने वाले को नष्ट कर देता है, और संरक्षित धर्म उद्धारकर्ता की रक्षा करता है। इसी लिए मैं धर्म का त्याग नहीं करता कि कहीं नष्ट होकर वह धर्म मेरा ही नाश कर दे।

अनुशासन पर्व में यह निम्नलिखित रूप में आया है-

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ⁠।
तस्माद् धर्मो न हन्तव्यः पार्थिवेन विशेषतः ⁠॥
मृत धर्म मारने वाले को नष्ट कर देता है, और संरक्षित धर्म उद्धारकर्ता की रक्षा करता है। इसलिये धर्म की हत्या नहीं करनी चाहिये, विशेषकर पार्थिव के द्वारा।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. विद्याप्रकाशानंदगिरीस्वामी। गीता मकरंद। भारत: श्री सुका ब्रह्म आश्रम, 1980.
  2. Tripathy, Dr Preeti. Indian Religions: Tradition, History and Culture (अंग्रेज़ी में). Axis Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-80376-17-2.
  3. Shaji, U. S. Studies in Hindu Religion (अंग्रेज़ी में). Cyber Tech Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7884-386-5. अभिगमन तिथि 3 January 2021.
  4. "Shloka Shock: A verse from religious text not always just religious". The Financial Express. 31 January 2019. अभिगमन तिथि 3 January 2021.
  5. Runzo, Joseph; Martin, Nancy M.; Sharma, Arvind. Human Rights and Responsibilities in the World Religions (अंग्रेज़ी में). Oneworld Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-85168-309-3. अभिगमन तिथि 3 January 2021.
  6. "Manusmriti Verse 8.15". wisdomlib.org. 9 December 2016. अभिगमन तिथि 9 December 2020.
  7. धर्मो रक्षति रक्षितः' : 'रक्षित धर्म रक्षक की रक्षा करता है’।