धर्मपद (व्यक्ति)
ओड़ीसा के इतिहास में धर्मपद, बिशु महारणाङ्क नामक एक महान वास्तुशिल्पी के पुत्र थे जिसने एक ही रात्रि में एक मन्दिर का निर्माणकार्य पूर्ण कराया और १२०० शिल्पियों को मृत्युदण्द से बचा लिया। इसके पश्चात उस महान शिल्पकार ने अपने प्राणो का उत्सर्ग कर दिया ताकि यह कथा फैले नहीं। उस समय धर्मपद की आयु १२ वर्ष थी।[1]