धर्मकीर्ति
दिखावट
धर्मकीर्ति (७वीं सती) भारत के विद्वान एवं भारतीय दार्शनिक तर्कशास्त्र के संस्थापकों में से थे। बौद्ध परमाणुवाद के मूल सिद्धान्तकारों में उनकी गणना की जाती है। वे नालन्दा में कार्यरत थे। धर्मकीर्ति बौद्ध विज्ञानबोध के सबसे बड़े दार्शनिक दिङ्नाग के शिष्य थे।
धर्मकीर्ति, प्रमाण के महापण्डित थे। प्रमाणवार्तिक उसका सबसे बड़ा एवं सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जिसका प्रभाव भारत और तिब्बत के दार्शनिक चिन्तन पर पड़ा। इस पर अनेक भारतीय एवं तिब्बती विद्वानों ने टीका की है। वे योगाचार तथा सौत्रान्तिक सम्प्रदाय से भी सम्बन्धित थे। मीमांसा, न्याय, शैव और जैन सम्प्रदायों पर उनकी रचनाओं का प्रभाव पड़ा।
कृतियाँ
[संपादित करें]- सम्बन्धपरीक्षावृत्ति
- प्रमाणविनिश्चय
- प्रमाणवार्त्तिककारिका
- प्रमाणवार्त्तिकस्ववृत्ति
- न्यायबिन्दुप्रकरण
- हेतुबिन्दुनामप्रकरण
- वादन्यायनामप्रकरण
- सन्तानान्तरसिद्धिनामप्रकरण
- रूपावतार
सन्दर्भ
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- पाँच बौद्ध दार्शनिक (गूगल पुस्तक ; लेखक - राहुल सांकृत्यायन)
- वादन्यायः
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |