धनन्जय मुद्रिया

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धनन्जय मुद्रिया आँध्र प्रदेश के किसी साम्राज्य का सम्राट था। वह तेनाली रामाकृष्णा के द्वारा प्रास्थ हो गया था।

जीवनी[संपादित करें]

धनन्जय की पत्नी,पुत्र तथा वधु की एक लूट-पाट के दौरान मृत्यु हो गयी थी। वह अपने पौत्र के साथ रहता था। धनन्जय सम्राट कृष्णदेवराय से शत्रुता करता था। जिस दिन विजयनगर साम्राज्य मे काली माँ पूजा हो रही थी तो धनन्जय के सैनिको ने काली देवी के लिये रखे हुये गहने चोरी कर लिये। कृष्णदेवराय को बहुत क्रोध आया तथा वह युद्ध की तयारी करने लगा। तेनाली रामा, राजगुरु तथाचार्य तथा महामन्त्री तिम्मारसु को युद्ध स्विकार नही था। तेनाली रामा तथा राजगुरु तथाचार्य कृष्णदेवराय को बताये बिना धनन्जय के पास शान्ति प्रताव लेकर गये। परन्तु धनन्जय ने एक प्रताव रखा कि रामा उसे शतरंज के खेल मे प्रास्थ करे। वह शतरन्ज का बहुत अच्छा खिलाड़ी था। पर वह रामा से हार गया तथा आत्मसमर्पण कर दिया।


सन्दर्भ[संपादित करें]