द्वितीय विश्व युद्ध का भूमध्यसागर और मध्यपूर्व रंगमंच
भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व रंगमंच, द्वितीय विश्व युद्ध | |||||||
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द्वितीय विश्व युद्ध का भाग | |||||||
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योद्धा | |||||||
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सेनानायक | |||||||
बर्नार्ड मॉन्टगोमरी, ड्वाइट आइजनहावर, विंस्टन चर्चिल | एरविन रोममेल, बेनिटो मुसोलिनी, अल्बर्ट केसेरलिंग | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
अनुमानित 3 लाख | अनुमानित 5 लाख |
भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व रंगमंच द्वितीय विश्व युद्ध का एक प्रमुख युद्ध क्षेत्र था, जो जून 1940 से मई 1945 तक फैला रहा। इस क्षेत्र में मित्र राष्ट्रों और धुरी राष्ट्रों के बीच लड़ाई हुई, जिसमें उत्तरी अफ्रीका, भूमध्य सागर, और मध्य पूर्व के बड़े हिस्से शामिल थे।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व पर नियंत्रण प्राप्त करना था, जो रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र थे। यहाँ पर दोनों पक्षों ने संसाधनों और भू-राजनीतिक स्थिति पर प्रभुत्व पाने के लिए युद्ध किया।
पृष्ठभूमि
[संपादित करें]युद्ध का यह रंगमंच द्वितीय विश्व युद्ध के पहले चरण से ही प्रारंभ हो गया था। 1940 में इटली ने ब्रिटेन और उसके सहयोगियों के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। इस क्षेत्र का महत्व स्वेज नहर, तेल संसाधनों, और भूमध्यसागरीय मार्गों के कारण था।[1]
मित्र राष्ट्रों ने इटली और जर्मनी की सेनाओं को हराने के लिए एक जटिल रणनीति तैयार की। यह क्षेत्र राजनीतिक, आर्थिक, और सैन्य दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण था।[1]
प्रमुख अभियान
[संपादित करें]उत्तरी अफ्रीका का युद्ध
[संपादित करें]उत्तरी अफ्रीका में लड़ाई का आरंभ 1940 में हुआ, जब इटली ने लीबिया से मिस्र पर हमला किया। हालांकि, ब्रिटिश सेनाओं ने सफलतापूर्वक इटली की सेनाओं को पीछे धकेल दिया। बाद में जर्मनी ने एरविन रोममेल के नेतृत्व में अफ्रीकी कोर भेजकर इटली का समर्थन किया। रोममेल और ब्रिटिश जनरल बर्नार्ड मॉन्टगोमरी के बीच प्रसिद्ध एल अलामीन की लड़ाई (1942) इस रंगमंच की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक थी।[2]
इराक और ईरान अभियान
[संपादित करें]मध्य पूर्व में ब्रिटिश और सोवियत सेनाओं ने इराक और ईरान में रणनीतिक तेल संसाधनों को नियंत्रित करने के लिए अभियान चलाए। 1941 में इराक में अंग्रेजों ने असफल विद्रोह को कुचला। इसी वर्ष सोवियत संघ और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप से ईरान पर कब्जा कर लिया।[2]
भूमध्यसागर अभियान
[संपादित करें]भूमध्यसागर मित्र राष्ट्रों और धुरी राष्ट्रों के बीच एक समुद्री युद्ध क्षेत्र था। माल्टा, स्वेज नहर, और अन्य समुद्री मार्गों पर नियंत्रण के लिए कई नौसैनिक और हवाई लड़ाइयाँ लड़ी गईं।[1]
परिणाम
[संपादित करें]मित्र राष्ट्रों ने इस रंगमंच में अपनी जीत से धुरी राष्ट्रों को महत्वपूर्ण रणनीतिक नुकसान पहुँचाया। उत्तरी अफ्रीका की लड़ाइयों में धुरी सेनाओं की हार ने यूरोप में मित्र राष्ट्रों के लिए दक्षिणी मोर्चे को खोल दिया। इटली के आत्मसमर्पण और भूमध्यसागर के मार्गों पर नियंत्रण ने मित्र देशों की सामरिक स्थिति को मजबूत किया।[2]
ऐतिहासिक महत्व
[संपादित करें]यह रंगमंच द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की विजय के लिए निर्णायक साबित हुआ। इससे मित्र राष्ट्रों को तेल और अन्य संसाधनों तक पहुँच मिली और धुरी राष्ट्रों की सैन्य शक्ति कमजोर हुई।[1]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ ई "Mediterranean Theater of Operations". The National WWII Museum | New Orleans (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2025-01-28.
- ↑ अ आ इ "World War II in the Mediterranean and Middle East". obo (in अंग्रेज़ी). Retrieved 2025-01-28.