दोभाषी

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दोभाषी (बांग्ला : দোভাষী) शब्द का उपयोग मध्यकाल की बांग्ला भाषा के लिए किया जाता है जब जिसमें फारसी के बहुत से शब्द होते थे। बंगाल पर अंग्रेजों का अधिकर होने के पूर्व यह भाषा बहुत प्रचलित थी। अंग्रेजी काल में बंगला भाषा में सुधार हुआ और फारसी शब्दों का बहिष्कार किया गया। दोभाषी शैली केवल पूर्वी नागरी लिपि में ही प्रचलित नहीं थी बल्कि सिलहटी नागरी में भी प्रचलित थी। इसके अलावा चटगाँव, पश्चिमी बंगाल और अराकान में प्रयुक्त परिवर्तित अरबी लिपि में भी दोभाषी का उपयोग होता था। इस भाषा का पूर्वी और दक्षिणी-पूर्वी बंगाल की आधुनिक भाषाओं (जैसे सिलहटी, चित्तग्रामी, और रोहिंग्या) पर बहुत प्रभाव पड़ा।

उदाहरण
तामाम इनसान आजाद भाबे समान इज्जत आर हक लइया पयदा ह​य। ताँहादेर हुँश ओ आकल आछे; एइ कारणे जरूरी आछे ये एकजन बेरादरी मन लइया आरेक जनेर साथे मिलिया मिशिया थाके।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]