देशी भाषा

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"देशी" शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्द "देश" से है।

आधुनिक अर्थ में देशी भाषा से आशय देश में प्रचलित उन भाषाओं में से किसी एक से है जिनका उद्गम एवं विकास प्राकृत अथवा अपभ्रंश से हुआ हो अथवा जिनका उद्भव स्थानीय बोलियों के आधार पर प्राय: स्वतंत्र रूप से हुआ हो। भारतीय संविधान के अनुसार भारत में इस तरह की बीसों देशी भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। इनमें से हिंदी, मराठी, गुजराती, बँगला, उड़िया आदि प्रथम (आर्यभाषाओं के) वर्ग में तथा तमिल, तेलुगु, कन्नड आदि द्वितीय (द्राविड़) वर्ग में आती हैं।

सन्दर्भ ग्रन्थ[संपादित करें]

  • भरत : नाट्यशास्त्र;
  • रुद्रट : काव्यालंकार;
  • हेमचंद्र : देशीनाममाला;
  • विद्यापति : कीर्तिलता;
  • डॉ॰ गजानन वासुदेव
  • पगारे : हिस्टारिकल ग्रामर ऑव अपभ्रंश।