देवगढ़

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देवगढ़
Deogarh
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शांतिनाथ मंदिर
शांतिनाथ मंदिर
देवगढ़ is located in उत्तर प्रदेश
देवगढ़
देवगढ़
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 24°31′34″N 78°14′17″E / 24.526°N 78.238°E / 24.526; 78.238निर्देशांक: 24°31′34″N 78°14′17″E / 24.526°N 78.238°E / 24.526; 78.238
देश भारत
प्रान्तउत्तर प्रदेश
ज़िलाललितपुर ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल783
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, बुंदेली
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

देवगढ़ (Deogarh) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के ललितपुर ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह बेतवा नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ गुप्त राजवंश काल के कई स्थापत्य हैं, जिनमें कई हिन्दू व जैन मंदिर भी सम्मिलित हैं।[1][2]

विन्ध्याचल की दक्षिण-पश्चिम पर्वत श्रृँखला पर देवगढ का प्राचीन नाम लुअच्छागिरि है। 1974 तक यह नगर झांसी जिले के अन्तर्गत आता था। यह नगर झांसी से लगभग 123 किलोमीटर है।

गुप्त, गुर्जर, प्रतिहार, गड़रिया चंदेल ,गौंड, मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों के काल में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है। 8वीं से 17वीं शताब्दी तक यह स्थान जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था।

पहले प्रतिहारों और बाद में चंदेलों ने इस पर शासन किया। देवगढ़ में ही बेतवा के किनारे यहाँ 41 में से बचे 31 जैन मंदिर भी दर्शनीय हैं। यहाँ 19 मान स्तम्भ और दीवालों पर उत्कीर्ण 200 अभिलेख सहित कुल 500 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जैन मंदिरों के ध्वंसावशेष यहाँ बहुतायत में विद्यमान हैं। गुप्तकालीन दशावतार मंदिर भी दर्शनीय हैं। यहाँ प्रतिहार, कल्चुरि और चंदेलों के शासनकाल की प्रतिमाएँ और अभिलेख बिखरे पड़े हैं। पुरातत्व की दृष्टि से देवगढ़ जग प्रसिद्ध है। बिखरी हुई मूर्तियों को संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। देवगढ़ पुरातत्वविदों का एक महत्वपूर्ण कला केंद्र है। पुरातत्व सम्पदा से सम्पन्न है देवगढ़। इसे बेतवा नदी का आइसलैण्ड कहा जाता है।

मुख्य आकर्षण[संपादित करें]

दशावतार मंदिर-[संपादित करें]

भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर को प्रारंभ में पंचयत्न मंदिर के नाम से जाना जाता था। गुप्त काल में बना यह मंदिर प्राचीन कला का एक उत्कृष्‍ट नमूना है। गंगा और यमुना के आकर्षक चित्र मंदिर के प्रवेश द्वार पर उकेर गए हैं। यह प्रवेश द्वार मंदिर के गर्भगृह तक जाता है। मंदिर की दीवारों के साथ बने गजेन्द्रमोक्ष, नर नारायण तपस्या और अनंतशायी विष्णु पैनल विष्णु पुराण के दृश्यों को दर्शाते हैं। मंदिर के निचले हिस्से में बनी मीनारें खासी आकर्षक हैं।

देवगढ़ किला-[संपादित करें]

चन्देरी से 25 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में देवगढ़ किला स्थित है। किले के भीतर 9वीं और 10 वीं शताब्दी में बने जैन मंदिरों का समूह है जिसमें प्राचीन काल की कुछ मूर्तियां देखी जा सकती हैं। किले के निकट ही 5वीं शताब्दी का विष्णु दशावतार मंदिर बना हुआ है, जो अपनी सुंदर मूर्तियों और नक्कासीदार स्तंभों के लिए जाना जाता है।

जैन मंदिर-[संपादित करें]

देवगढ़ के 31 जैन मंदिर लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। विष्णु मंदिर के बाद बना यह मंदिर कनाली के किले के भीतर बने हुए हैं। यह किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से बेतवा नदी का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। छठी से सत्रहवीं शताब्दी तक यह स्थान जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था। मंदिर में जैन धर्म से संबंधित अनेक चित्र बने हुए हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र' में सात भोंयरे (भूमिगत स्थान) बहुत प्रसिद्ध हैं ! जो पावा, देवगढ़, सेरोंन, करगुवां, बंधा, पपौरा और थूवोन में स्थित हैं ! कहा जाता है, यह सात 7 भोंयरे दो भाइयों अर्थात 'देवपत' और 'खेवपत' द्वारा निर्माण किये गए है ।

पुरातात्विक संग्रहालय-[संपादित करें]

देवगढ़ के आसपास के एकत्रित की गई अनेक मूर्तियों को इस संग्रहालय में रखा गया है। भारतीय इतिहास की विभिन्न कलाओं को यहां संरक्षित किया गया है। देवगढ़ और आसपास की खुदाई से प्राप्त की गई अनेक मूर्तियों को यहां देखा जा सकता है।

नीलकंठेश्वर-[संपादित करें]

ललितपुर से 45 किलोमीटर दक्षिण में नीलकंठेश्‍वर स्थित है। यहां के घने जंगलों में चंदेल काल का एक शिव त्रिमूर्ति मंदिर है। यह मंदिर पाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रवेश द्वार के निकट ही विशाल कैलाश पर परम शिव मूर्ति स्थापित है। मंदिर के निकट मैदान में एक मुखलिंग है। इस मुखलिंग की ऊंचाई 77 सेमी. है और इसका व्यास 1 फीट 30 सेमी. है।

रणछोड़जी-[संपादित करें]

बेतवा तट पर तीसरा स्थान रणछोड़ जी है। यह स्थान घोर्रा से 4-5 किलोमीटर दूर है। पाली त्रिमूर्ति मंदिर के समान यहां भी एक मंदिर बना हुआ है, लेकिन यह मंदिर शिखरहीन है। यहा भगवान विष्णु और लक्ष्मी की सुंदर प्रतिमांए स्थापित हैं। हनुमानजी की भी एक विशाल मूर्ति यहां देखी जा सकती है। प्राचीन काल के कुछ मंदिरों के अवशेष भी यहां दर्शनीय हैं। जो हमारी समृद्धि का कहानी कहते हैं। कुछ समय पहले यहां घना जंगल था और अनेक जंगली जानवर यहां घूमते रहते थे।

निकटवर्ती पर्यटन[संपादित करें]

बरूआ सागर, ओरछा और चन्देरी देवगढ़ के पास स्थित अन्य दर्शनीय स्थल हैं। इन स्थानों में अनेक शानदार मंदिर, महल और किले देखे जा सकते हैं। ओरछा बुंदेल शासकों द्वारा बनवाए गए अनेक मंदिरों और महलों के लिए प्रसिद्ध है। चन्देरी की हस्तनिर्मित साड़ियां पूरे क्षेत्र में चर्चित हैं। बरूआ सागर अपनी झील और किले के लिए प्रसिद्ध है।

आवागमन[संपादित करें]

वायु मार्ग-

ग्वालियर देवगढ़ का नजदीकी एयरपोर्ट है, जो लगभग 235 किलोमीटर की दूरी पर है। ग्वालियर से देवगढ़ के लिए टैक्सी या बसें की जा सकती हैं।

रेल मार्ग-

जखलौन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है जो देवगढ़ से 13 किलोमीटर दूर है। झांसी-बबीना पैसेंजर ट्रैन से यहां आसानी से पहुंजा जा सकता है। ललितपुर यहां का अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो देवगढ़ से 23 किलोमीटर दूर है।

सड़क मार्ग-

आसपास के शहरों से सड़क मार्ग के माध्यम से आसानी से देवगढ़ पहुंचा जा सकता है। झांसी, ओरछा, ललितपुर, माताटीला बांध, बरूआ सागर आदि स्थानों से नियमित बसें और टैक्सियों देवगढ़ के लिए चलती हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975