दुर्गा बाई व्याम
| दुर्गा बाई व्याम | |
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2012 मे दुर्गा बाई व्याम | |
| जन्म |
1972 बरबसपुर, मध्य प्रदेश, भारत[1] |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
दुर्गा बाई व्याम (जन्म 1973)[2] वह भारतीय आदिवासी महिला कलाकारों में से एक है जो भोपाल में जनजातीय कला की गोंड शैली में काम करती है। दुर्गा का अधिकांश काम उनके जन्मस्थान, मध्य प्रदेश के मंडला जिले के एक गांव, बरबसपुर में निहित है। [3]
प्रारंभिक जीवन
[संपादित करें]दुर्गा बाई व्याम का जन्म मध्य प्रदेश के एक गाँव बरबसपुर में 1972 में हुआ था। [3] छह साल की उम्र में, उन्होंने अपनी मां से दिग्ना की कला सीखी, जो शादियों और फसल के त्योहारों के दौरान घर की आंतरिक और बाहरी दीवारों और फर्श पर ज्यामितीय पैटर्न को चित्रित करने की एक रस्म थी। [3] [4] उनके शुरुआती दिग्ना कार्यों को समुदाय के लोगों ने खूब सराहा। [5]
व्यवसाय
[संपादित करें]दुर्गा बाई की शुरुआती वर्षों में उनकी कला में महत्वपूर्ण योगदान उनकी माँ का और उनकी दादी का रहा है। [5] दुर्गा बाई व्याम ने 1996 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल द्वारा आयोजित एक कलाकार शिविर में अपनी रचनात्मक यात्रा की शुरूआत की। [6] 15 साल की उम्र में, दुर्गा बाई ने मिट्टी और लकड़ी के मूर्तिकार सुभाष व्याम से शादी की। [4] दुर्गा बाई के कलात्मक जीवन मे केवल सुभाष व्याम ही नहीं, बल्कि उनकी चचेरे भाई, एक गोंड आर्टिस्ट जंगगढ़ सिंह श्याम जी का भी हाथ है। आजकल दुर्गा बाई और सुभाष एक साथ कार्यशालाएँ लेते हैं और कलाकारों को गोंड चित्रकला के अभिन्न तत्व सिखाते हैं, और चित्रकला के माध्यम में आधुनिकीकरण द्वारा लाए गए परिवर्तनों को दर्शाते हैं। [7]
दुर्गा बाई के कौशल से प्रभावित होकर जंगगढ़ सिंह श्याम ने उसे प्रोत्साहित किया और उसे सलाह दी कि जो कुछ उन्होंने वर्षों तक किया है उसे न दोहराएं बल्कि नई चीजों को दिखाने के लिए अपने कौशल का उपयोग करें। [8] उसके विषय आदिवासी लोककथाओं और पौराणिक कथाओं में निहित हैं और मुख्य रूप से गोंड प्रधान समुदाय और लोकप्रिय लोककथाओं के पन्थ से लिए गए हैं। [3][9] उन्होंने कई देवी-देवताओं को भी चित्रित किया जिनमे रतमाइमुरखुरी जिन्हे रात की संरक्षक माना जाता हें; महारालीन माता, जो बुरे आत्मा को गाँवों में प्रवेश करने से रोकती हैं; खेरो माता, बुरे लोगों के खिलाफ रक्षक; बुडी माई, फसल की संरक्षक; और कुलशीनमाता, एक देवी जिसका आह्वान फसल बोए जाने के समय किया जाता हें। दुर्गा ने नर देवों, जेसे बड़ा देव, उनके सर्वोच्च देवता, और चुला देव को भी चित्रित किया, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि गृहस्थ चूल्हा (चूल्हा) हमेशा जलता रहे।
"जिन विषयों को मैंने हमेशा चित्रित करना पसंद किया है वे हैं नदियां, पेड़-वृक्ष, बांस का पेड़, जो जीवन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बडा देव का वाद्य यंत्र बन और बांसुरी, बने हैं। दिवाली उत्सव, कन्यादान, घर और बच्चे, जानवरों के रूप मे बाघ, हिरण, मृगों के साथ हरिण, मोर, बैल, बगीचे की छिपकली, सुअर, पेड़ों के ऊपर बैठे पक्षी और नीचे बैठे जानवर हैं।" [10]
1996 में, उनके एक गोंड साथी, आनंद सिंह श्याम ने उन्हें मध्य प्रदेश के भारत भवन में अपने काम का प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया। तब से, दुर्गा बाई ने भारत में और विदेशों में भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। [3] दुर्गा बाई ने अपनी पहली विमान और विदेश यात्रा फ्रैंकफर्ट बुक फेयर, फ्रैंकफर्ट में की - इसी उपलक्ष्य में उन्हें गोंड शैली में हवाई जहाज के चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। [11]
इस कलाकार दंपति ने पारंपरिक गोंड दीवार कला को एक और आयाम देते हुए 2018 में कोच्चि मुजिरिस बेनेले में समुद्री प्लाईवुड पर एक प्रयोगात्मक ग्राफिक कथा बनाई है। [12]
पुरस्कार और मान्यता [13]
[संपादित करें]- हस्तशिल्प विकास परिषद, 2004
- इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स स्कॉलरशिप, 2006-2007
- पारंपरिक चित्रकला में उत्कृष्टता के लिए रानी दुर्गावती [14]
- कथा चित्रकला रनर अप अवार्ड, अपने बच्चों की पुस्तक, "माई एंड अ फ्रेंड्स" के लिए
- तारा बुक्स द्वारा 2008 में प्रकाशित राम सिंह उर्वती और भज्जू श्याम की "द नाइट लाइफ ऑफ ट्रीज" शीर्षक वाली पुस्तक के लिए बोलोग्ना रागाज़ी पुरस्कार
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Durga Bai". Saffronart. अभिगमन तिथि: March 8, 2019.
- ↑ "The Gond artist Durgabai". sunitanair.in. अभिगमन तिथि: 2019-03-15.
- 1 2 3 4 5 "Durga Bai | Paintings by Durga Bai | Durga Bai Painting - Saffronart.com". Saffronart. अभिगमन तिथि: 2019-03-15.
- 1 2 "Durga Bai: Telling Women's Stories With Gond Art". 2014-05-26. मूल से से 23 सितंबर 2018 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 24 मार्च 2021.
- 1 2 Pande, Alka (2016). Many Indias. Must Arts Private Limited.
- ↑ Vyam, Durgabai (2012). "The Lyricism and Audacity of the Adivasi Imagination". Indian Literature. 56 (4 (270)): 219–234. आईएसएसएन 0019-5804. जेस्टोर 23345940.
- ↑ KUMARI, SAVITA (2011). "Symposium on Indigenous Art, Contemporary Significance". Indian Anthropologist. 41 (1): 95–99. आईएसएसएन 0970-0927. जेस्टोर 41921941.
- ↑ Between Memory and Museum. Tara Books. 2015. ISBN 978-93-83145-29-4.
- ↑ "Contemporary Artist Durga Bai Vyom". Artsper. अभिगमन तिथि: March 8, 2019.
- ↑ Indigenius Artists – India. Sunita Nair. 2018. ISBN 978-93-5311-387-2.
- ↑ Varma, Rashmi (November 2013). "Primitive Accumulation: The Political Economy of Indigenous Art in Postcolonial India". Third Text. 27 (6): 748–761. डीओआई:10.1080/09528822.2013.857902. आईएसएसएन 0952-8822.
- ↑ "Gond artists' tryst with the folklore". The Hindu. Special Correspondent. 2018-12-21. आईएसएसएन 0971-751X. अभिगमन तिथि: 2019-03-15.
{{cite news}}: CS1 maint: others (link) - ↑ "DURGA BAI – GOND ARTIST Of MADHYA PRADESH".
- ↑ "Durga Bai". sutragallery. मूल से से 16 फ़रवरी 2020 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 2019-04-06.